जनवरी २ ० १ ३ में विले पार्ले के प्रोफ़ेसर अद्वैत शाह उस समय एक दम से चिंता में पड़ गए जब दो सप्ताह
के
बाद बावजूद इलाज़ के उनकी नेत्रश्लेश्मला शोथ(Conjunctivitis ) ठीक होना तो दूर उनकी बीनाई (Vision)को
ही एक दम से
कमज़ोर करने लगी .हालाकि वह एक मर्तबा नेत्र रोगों के माहिर से इलाज़ भी ले चुके थे .दौड़े दौड़े अब आप दूसरे
स्पेशलिस्ट के पास पहुंचे .पता चला इलाज़ के बावजूद आप आँख के एक ऐसे रोग की चपेट में आ चुकें हैं जिसमें
आँखों से आंसुओं की झड़ी लग गई है और रोग ही प्रकाश भीती (photo -phobia)की भी वजह बनने लगा है .
"Even with my shades on , I had trouble teaching .My students lagged behind in their syllabus because of my eye problems.The college had to ultimately arrange for a substitute teacher ,"said Shah .
शाह अभी आँख के इस पेचिलारोग से बाहर नहीं आ पाए हैं .उनकी आँख में एक अपारदर्शी स्पॉट (दाग )बना
हुआ है .
डॉ कविता रॉय cornea और refractive surgeon,आदित्य ज्योत अस्पताल (आँख के अन्दर एक श्वेत अस्तर
एक अपारदर्शी आवरण होता
है जो एक सुरक्षा कवच का काम करता है यही स्वच्छ पटल या श्वेत मंडल या कोर्निया है ,वाईट आफ दी आई )
कहतीं हैं- अनेक ऐसे विषाणु रहते हैं जो हमारी आँख को असर ग्रस्त करते हैं लेकिन Adenovirus -8 इनकी एक
बिरली (वायरल ,अनकोमन ,रेअर )स्ट्रेन है .बेशक इस विषाणु से पैदा नेत्रश्लेश्मला शोथ दो से तीन हफ़्तों में
ठीक हो जाती है लेकिन इससे संगत Antigen आँख में इस अवधि के बाद भी बना रह सकता है जो समस्याएं
पैदा कर सकता
है .शाह के मामले में ऐसा ही हुआ लगता है .
इस विषाणु से पैदा नेत्रश्लेश्मला शोथ से मुंबई वासी कुछ सालों के बाद फिर से असर ग्रस्त होते रहते हैं .
जसलोक अस्पताल के आवथेलमालाजिस्ट (Ophthalmologist,नेत्र रोगों के माहिर )डॉ फ़िरोज़ पटेल कहते हैं
,एक मर्तबा इस विषाणु की चपेट में आकर बीनाई गिर जाए विजन कमज़ोर पड़ जाए तो सुधार में खासा वक्त
लग जाता है .
"The virus causes small ,fine corneal spots and tear .A few patients take even six months to a year to recover ,"he said ,adding adenovirus conjunctivitis is seen after every two years or so .It affects in clusters ,"he added.
मलिना गोम्स इसकी चपेट में आईं ,इसे बढ़ने से रोकने में खासी मुश्किलों से उन्हें दो चार होना पड़ा है ,पहले
इनके पति फरवरी मॉस में इस वायरल स्ट्रेन की गिरिफ्त में आये ,बाद में इनका दो साला बेटा भी इससे ग्रस्त
हो गया .ऐसा है यह छूतहा रोग .हफ्ता बीतते बीतते उन का तीसरा बेटा भी इसकी चपेट में आ गया .मलिना
कहतीं हैं मुझे यह छूत अपने बाकी दो दस एवं चार साला बेटों से लगी .
हम सभी दो सप्ताह तक इस नेत्र रोग की गिरिफ्त में रहे लेकिन तब मेरी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई, होश उड़ गए
जब एक हफ्ते बाद ही मेरे दूसरे बेटे की आँख से खून का रिसाव होते दिखा .तुरत फुरत हम विशेषज्ञ के पास
पहुंचे .पता चला इसका कोई इलाज़ नहीं है वायरस अपना पूरा वक्त लेगा .
मलिना की आँख में अभी भी खाज भी है विजन धुंधला है (बीनाई गिर गई है ).
आल इंडिया आवथेलमोलोजिकल सोसायटी के डॉ संजय धवन कहतें हैं -यह विषाणु प्रजाति (strain
)उत्परिवर्तित होती रहती है mutate करती है बहरूपिया है यह स्ट्रेन जो अपना बाहरी आवरण बदलती रहती है
.इसीलिए हमारा शरीर इसका मुकाबला आसानी से नहीं कर पाता है .
आम तौर पर विषाणु की ५ ० स्ट्रेन ऐसी हैं जो नेत्र रोग श्लेश्मला शोथ(Conjunctivitis ) की वजह बनती हैं .
हालिया बरसों में Adenovirus -८ इसकी वजह बनता रहा है .उत्परि-वर्तन (Mutation )ने इसे और भी खतरनाक
बना दिया है .
आँख में रौशनी का इस आई फ्ल्यू में बे -तहाशा चुभना (Sensitivity to light ,Photo-phobia)एक गंभीर लक्षण
है इसकी किसी भी हाल अनदेखी नहीं की जानी चाहिए .
विशेष सावधानी :यदि आई फ्ल्यू के लक्षण हफ्ते बाद भी बने रहते हैं तब फ़ौरन स्पेशलिस्ट के पास पहुँचिये
.खुद अपना डॉ भूलकर भी न बनें .
सन्दर्भ - सामिग्री :-Virulent conjunctivitis may take a year to heal /TIMES CITY /THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,MARCH 30 ,2013,P4/Conjunctivitis strain damaging cornea & vision /Front page
के
बाद बावजूद इलाज़ के उनकी नेत्रश्लेश्मला शोथ(Conjunctivitis ) ठीक होना तो दूर उनकी बीनाई (Vision)को
ही एक दम से
कमज़ोर करने लगी .हालाकि वह एक मर्तबा नेत्र रोगों के माहिर से इलाज़ भी ले चुके थे .दौड़े दौड़े अब आप दूसरे
स्पेशलिस्ट के पास पहुंचे .पता चला इलाज़ के बावजूद आप आँख के एक ऐसे रोग की चपेट में आ चुकें हैं जिसमें
आँखों से आंसुओं की झड़ी लग गई है और रोग ही प्रकाश भीती (photo -phobia)की भी वजह बनने लगा है .
"Even with my shades on , I had trouble teaching .My students lagged behind in their syllabus because of my eye problems.The college had to ultimately arrange for a substitute teacher ,"said Shah .
शाह अभी आँख के इस पेचिलारोग से बाहर नहीं आ पाए हैं .उनकी आँख में एक अपारदर्शी स्पॉट (दाग )बना
हुआ है .
डॉ कविता रॉय cornea और refractive surgeon,आदित्य ज्योत अस्पताल (आँख के अन्दर एक श्वेत अस्तर
एक अपारदर्शी आवरण होता
है जो एक सुरक्षा कवच का काम करता है यही स्वच्छ पटल या श्वेत मंडल या कोर्निया है ,वाईट आफ दी आई )
कहतीं हैं- अनेक ऐसे विषाणु रहते हैं जो हमारी आँख को असर ग्रस्त करते हैं लेकिन Adenovirus -8 इनकी एक
बिरली (वायरल ,अनकोमन ,रेअर )स्ट्रेन है .बेशक इस विषाणु से पैदा नेत्रश्लेश्मला शोथ दो से तीन हफ़्तों में
ठीक हो जाती है लेकिन इससे संगत Antigen आँख में इस अवधि के बाद भी बना रह सकता है जो समस्याएं
पैदा कर सकता
है .शाह के मामले में ऐसा ही हुआ लगता है .
इस विषाणु से पैदा नेत्रश्लेश्मला शोथ से मुंबई वासी कुछ सालों के बाद फिर से असर ग्रस्त होते रहते हैं .
जसलोक अस्पताल के आवथेलमालाजिस्ट (Ophthalmologist,नेत्र रोगों के माहिर )डॉ फ़िरोज़ पटेल कहते हैं
,एक मर्तबा इस विषाणु की चपेट में आकर बीनाई गिर जाए विजन कमज़ोर पड़ जाए तो सुधार में खासा वक्त
लग जाता है .
"The virus causes small ,fine corneal spots and tear .A few patients take even six months to a year to recover ,"he said ,adding adenovirus conjunctivitis is seen after every two years or so .It affects in clusters ,"he added.
मलिना गोम्स इसकी चपेट में आईं ,इसे बढ़ने से रोकने में खासी मुश्किलों से उन्हें दो चार होना पड़ा है ,पहले
इनके पति फरवरी मॉस में इस वायरल स्ट्रेन की गिरिफ्त में आये ,बाद में इनका दो साला बेटा भी इससे ग्रस्त
हो गया .ऐसा है यह छूतहा रोग .हफ्ता बीतते बीतते उन का तीसरा बेटा भी इसकी चपेट में आ गया .मलिना
कहतीं हैं मुझे यह छूत अपने बाकी दो दस एवं चार साला बेटों से लगी .
हम सभी दो सप्ताह तक इस नेत्र रोग की गिरिफ्त में रहे लेकिन तब मेरी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई, होश उड़ गए
जब एक हफ्ते बाद ही मेरे दूसरे बेटे की आँख से खून का रिसाव होते दिखा .तुरत फुरत हम विशेषज्ञ के पास
पहुंचे .पता चला इसका कोई इलाज़ नहीं है वायरस अपना पूरा वक्त लेगा .
मलिना की आँख में अभी भी खाज भी है विजन धुंधला है (बीनाई गिर गई है ).
आल इंडिया आवथेलमोलोजिकल सोसायटी के डॉ संजय धवन कहतें हैं -यह विषाणु प्रजाति (strain
)उत्परिवर्तित होती रहती है mutate करती है बहरूपिया है यह स्ट्रेन जो अपना बाहरी आवरण बदलती रहती है
.इसीलिए हमारा शरीर इसका मुकाबला आसानी से नहीं कर पाता है .
आम तौर पर विषाणु की ५ ० स्ट्रेन ऐसी हैं जो नेत्र रोग श्लेश्मला शोथ(Conjunctivitis ) की वजह बनती हैं .
हालिया बरसों में Adenovirus -८ इसकी वजह बनता रहा है .उत्परि-वर्तन (Mutation )ने इसे और भी खतरनाक
बना दिया है .
आँख में रौशनी का इस आई फ्ल्यू में बे -तहाशा चुभना (Sensitivity to light ,Photo-phobia)एक गंभीर लक्षण
है इसकी किसी भी हाल अनदेखी नहीं की जानी चाहिए .
विशेष सावधानी :यदि आई फ्ल्यू के लक्षण हफ्ते बाद भी बने रहते हैं तब फ़ौरन स्पेशलिस्ट के पास पहुँचिये
.खुद अपना डॉ भूलकर भी न बनें .
सन्दर्भ - सामिग्री :-Virulent conjunctivitis may take a year to heal /TIMES CITY /THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,MARCH 30 ,2013,P4/Conjunctivitis strain damaging cornea & vision /Front page