जानकारी :क्या है पेशीय फड़क (Muscle twitching or Fasciculation)?
यह पेशीय तंतुओं की ऐसी फड़कन है जिस पर हमारा कोई बस नहीं चलता .यह अनभिप्रेत
(अन-ऐच्छिक ,इनवोलंटरी )सूक्ष्म गति है पेशियों के एक
लघुतर
क्षेत्र की ,इलाके की .
पेशीय तंतुओं के समूह को ,ग्रुप आफ मसल फाइबर्स को Fasciculi कहा जाता है .
पेशियों के यह अनैच्छिक संकुचन इतने बारीक भी नहीं हैं की इन्हें नंगी आँख न देखा जा सके
.यू ट्यूब पर एक वीडिओ मौजूद है जिसमें इस आकस्मिक
फड़कन को जो चमड़ी के नीचे होती है बाकायदा देखा जा सकता है नंगी आँखों .
देखें लिंक :
Fasciculations - YouTube | |
www.youtube.com/watch?v...Shar
Aug 19, 2008 - 3 min - Uploaded by FasciculationsFasciculations in my right brachii. I'm 23 years old, male, from Sweden and always healthy before I ... |
कई लोग सामने से गुज़रते हैं ,आपको लगता है आँख मारके .शरारत करके निकल गए .अब
बताइये क्या स्वामी रामदेव ऐसा अदबदा के कर रहें हैं या
निरापद पेशीय फड़क से ग्रस्त हैं बिनाइन फेस्सिक्युलेशन हैं ?
ज़ाहिर है अक्सर यह एक निरापद ,दुविधा या परेशानी में न डालने वाली स्थिति ही होती है ,भले
आप कभी कभार इसके चलते झेंप जाएँ लेकिन यह कोई
बीमारी नहीं है .
पूरे शरीर में कहीं भी यह फड़कन ,ट्वीचिंग हो सकती है यहाँ तक की ज़बान में भी .
यह कोई खतरे की घंटी भले न सही लेकिन क्रोनिक और लगातार बने रहने वाली ट्वीचिंग किसी
और गंभीर मेडिकल कंडीशन की ओर इशारा भी हो
सकती
है .
वजूहातें ,वजहें ,कौज़िज़ हो सकतें हैं इस अनैच्छिक फड़क के ?
Diseases database के मुताबिक़ इसके मूल में हो सकती हैं :
- Cervical spondylosis
- Multiple sclerosis
- Poliomyelitis
- Motor neuron disease
- Organophosphates
- Hypocalcaemia
- Spinal muscular atrophy type 3
- Neuromyotonia, Acquired
- Hereditary sensorimotor neuropathy type 1
अन्य वजूहातों में शामिल हो सकतीं हैं :
(1)मानसिक दवाब ,स्ट्रेस और बे -चैनी ,एन्ग्जायती
(2)कसरत और थकान
(3)शरीर में पानी की कमी हो जाना बोले तो निर्जलीकरण (Dehydration )
(4)कीट दंश या खटमल ,मच्छर आदि द्वारा चमड़ी काटा जाना .(Bug bites and fatigue)
(5)शरीर में इलेकटरो -लाईट (तरल जो आयनिक अवस्था में होते हैं ,जिनमे से बिजली आ जा
सकती है )का संतुलन बिगड़ जाना .
(6) केफीन युक्त पेय का ज्यादा सेवन
(7)कुपोषण
(8) पूरी नींद न ले पाना
(9) Amyotrophic lateral sclerosis (ALS)/(Lou Gehrig's disease,इस स्थिति में वह
तंत्रिकाएं .नसें या नर्व सेल्स असर ग्रस्त हो जातीं हैं जो पेशीय
गति पर नियंत्रण रखतीं हैं .
(10)Myalgic Encephalomyelitis (chronic fatigue syndrome)
(11)Muscular dystrophy (इस स्थिति में धीरे धीरे अस्थि पंजर की तमाम पेशियाँ कमज़ोर पड़ जातीं हैं .
(12)Hypothyroidism (थायरोइड ग्रन्थि के सुस्त पड़ जाने से कम सक्रीय रहने से ,मेटाबोलिक
रेट्स ,अपचयन दर घट जाती है इस स्थिति में मरीज़ कम
खाता फिर भी मोटा हो सकता है ,हो जाता है .
(13)Kennedy disease (एक अति वायरल वंशागत न्यूरो -मस्कुलर बीमारी , पेशीय- ऊतक
,मस्कुलर टिशु ,नर्व सेल्स दोनों इस बीमारी में असर ग्रस्त
हो जातें हैं .
(14)Organophosphate poisioning (कीट नाशियों से होने वाला ज़हरवाद या विषाक्तीकरण
)डाटा बेस ने भी इसकी चर्चा की है .
(15) Benzodiazepine withdrawal
(16) Excessive use of amphetamines or other stimulants
(17)रेबीज़ होने पर
(18)Mononucleosis (glandular fever ,caused by a viral infection ):ज्वर चढ़ने के
अलावा इस स्थिति में लसिका ग्रंथिया सूज जाती हैं .खून में
वाईट ब्लड सेल्स बढ़ जाते हैं .गले में दुखन भी हो सकती है .आम भाषा में इसे गिल्टी का बुखार
बोल देते हैं .विषाणु से पैदा होता है यह ख़ास बुखार .
(19) पार्किन्संस बीमारी
(20)कुछ दवाओं के अवांछित परिणाम स्वरूप भी यह बीमारी हो सकती है मसलन मूत्रल दवाएं
(diuretics)और corticosteroids.
(ज़ारी )
पेशीय फड़कन (Muscle twitching or Fasciculation ),दूसरी क़िस्त
गौर करें इन तथ्यों पर,वैज्ञानिक प्रेक्षणों पर :
(1)पेशीय फड़क कभी कभार होने वाली घटना ही है ,अक्सर इसकी पुनरावृत्ति नहीं ही होती है .
(2)जो लोग Amyotrophic lateral scelerosis (ALS) यानी उस चिकित्सा स्थिति से ग्रस्त हैं जिसमें वे नर्व सेल्स (तंत्रिका कोशायें ,नसें )ही असर ग्रस्त
हो
जातीं हैं जो पेशीय संचालन पर नियंत्रण रखती हैं उनके मामले में पेशीय फड़क का कोई पुष्ट और मान्य इलाज़ भी उपलब्ध नहीं है आज की तारीख में .
(3)पेशीय फड़कन जब सीने /छाती ,चेहरे और Quadriceps में होती है इसे नंगी आँखों भी देखा जा सकता है .
Quadriceps :is a large four part muscle at the front of the thigh that acts to extend the leg.
आम भाषा में चार सिरों वाली ऐसी पेशी जांघ के अग्र भाग में जो टांग को फ़ैलाने में मदद करती है ,फोरसेप्स कहलाती है .
कसरत और व्यायाम पेशीय फड़क की एक आम वजह बन जाती है .
calves(टांग की पिंडलियों की पेशियाँ ) ,arches of the feet(पैर के तलुवे की चाप ) ,quads ,hamstrings(घुटने के पीछे की नस जो टांग के ऊपर के
हिस्से की मांसपेशियों को नीचे की हड्डियों से जोडती है ) और gluteus की फड़कन की वजह कसरत भी बनती है .
वास्तव में जब हम देर तक व्यायाम करतें हैं तब हमारे शरीर में लेक्टिक एसिड का स्तर ऊपर चला जाता है जिससे हमारे शरीर में ऑक्सीजन की कमी
हो जाती
है।यह कमीबेशी ही पेशियों की इस अजीबोगरीब संकुचन की वजह बनती है .
एक अनुमान के अनुसार बालिगों में तकरीबन 70 -80 फीसद लोगों की खुराख में मैग्नीशियम की मात्रा वांच्छित (यथोचित मात्रा )से काफी कम रहती है
.ऐसे में पेशीय फड़कन के मौके बढ़ सकतें हैं .
अरक्षित हो जातें हैं ये लोग इस स्थिति के प्रति .
इसका पता लगाने की रोग निदानिक तरकीबों में अब तक सर्वोत्तम प्रभावी तकनीक Surface Electromyography(EMG) को ही समझा जा रहा है
जिसमें विराम और संकुचन की स्थितियों में पेशियों में विद्युत -सक्रियता की पड़ताल और आरेख तैयार किया जाता है .इस आरेख को ही
इलेक्ट्रोमायोग्राम कहा जाता है . तथा इस प्रक्रिया को सर्फेस इलेक्ट्रोमायोग्रेफ़ी .
.इसकी रोग निदान तरकीबों का अध्ययन और चर्चा हम आगे की किस्तों में विस्तार से भी करेंगे .
पेशीय फड़कन (Muscle twitching or Fasciculation )(तीसरी क़िस्त )
(तीसरी क़िस्त )
BENIGN TWITCHES
कब होती है पेशीय फड़कन निरापद ?
जब इसकी वजह मानसिक दवाब (स्ट्रेस )या मानसिक बे -चैनी (Anxiety)बने तथा असरग्रस्त
हिस्सों में शामिल हों भवें (Eye lids),पलकें ,पिंडलियाँ
टांगों
की या अंगुष्ठ (अगूंठा )बने तथा फड़कन बस चंद दिन ही
रहे .अक्सर इस स्थिति में किसी इलाज़ की दरकार भी नहीं रहती है .जिनमें बिना किसी प्रगट
मेडिकल कंडीशन के पेशीय फड़कन प्रगटित होती है अक्सर
उनमें रोग निदान के रूप में उन्हें "Benign Fasciculation Syndrome (BFS) की माहिर
पुष्टि करते हैं .
कब समझा जाए पेशीय फड़कन स्नायुविक वैज्ञानिक(स्नायुविज्ञान विषयक रोगों की वजह )?
TWITCHING COULD INDICATE A NEUROLOGICAL DISORDER IF
यदि आपकी स्पर्श अनुभूति ,संवेदन ,स्पर्श करने या होने को अनुभव कर सकना ,पूरे शरीर पर
या अंग पर पड़े प्रभाव से पैदा अनुभूति में आपको कोई ह्रास
कोई बदलाव दिखलाई दे महसूस हो ,पेशी का आकार छीजने लगे (Loss of muscle size or
wasting), इस छीज़न का साफ़ साफ़ प्रगटीकरण होने लगे
तब न्यूरोलोजिस्ट के पास सलाह के लिए पहुचना चाहिए .
यदि फड़कन का बने रहना किसी भी वजह से ज़ारी रहता है तब भी आप माहिर के पास ज़रूर
पहुँचिये .
बालकों के मामले में क्या करें ?
बालकों में पेशीय फड़कन की वजह एपिलेप्सी (अपस्मार ,आम भाषा में मिर्गी का रोग )भी हो
सकती है .
एक जन्मजात वंशागत प्राप्त तंत्रिका मनो -विकार(Neuropsychiatric disorder) Tourette
syndrome या Muscular dystrophy भी पेशीय फड़कन
की बुनियादी वजह हो सकती है . इन सभी मामलों पर अविलम्ब ध्यान दिया जाना चाहिए .
Tourette syndrome is a condition in which somebody experiences multiple tics
and twitches ,and utters involuntary vocal grunts
and obscene speech.
इस स्थिति में असर ग्रस्त बालक में चेहरे ,गर्दन और कंधों की पेशियों में स्वयंचालित
(अनभिप्रेत )संकुचन बार बार होता दिखला देता है .साथ में फड़कन
भी बारहा होती प्रगटित होगी बिला वजह की बु ड़बुड़ाहट ,करता अपशब्द बोलता नजर आयेगा बालक .
पेशीय डिसट्रोफी में अस्थि पंजर की पेशियाँ धीरे धीरे छीजने और कमज़ोर पड़ने लगती हैं .इन
तमाम मामलों में देर करने का कोई मतलब ही नहीं होता
है .डॉक्टर के पास पहुँचने में ऐसे मामलों में देर कैसी ?
अगली क़िस्त में पढ़िए रोगनिदानिक परीक्षण (TESTS)
(ज़ारी )
1 टिप्पणी:
रोचक जानकारी।
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