पेशीय फड़कन :रोगनिदान(चौथी क़िस्त )
(1)शरीर में तरल पदार्थों का जायजा लेने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है जो संभावित
इलेक्ट्रोलिटिक इम्बेलेंस की खबर देता है .
(2)थायरोइड ग्रन्थि की सक्रीयता जांचने के लिए थायरोइड ग्लेंड फंक्शन टेस्ट किया जाता है
क्योंकि हाइपोथायरोइडइज्म पेशीय फड़क की वजह बनते
देखी गई है .
(3)रीढ़ या फिर दिमाग का सीटी /एमआरआई स्कैन उतारा जाता है .
(4)आराम और फड़कन दोनों ही स्थितयों में पेशियों का विद्युत् आरेख उतारा जाता है .बोले तो
इलेक्ट्रो -मायो -ग्राम .यह प्रक्रिया इलेक्ट्रो -मायो -ग्रेफ़ी
कहलाती है .यहाँ मायो का मतलब मसल और ग्रेफ़ी का मतलब लेखन /आरेखन है .
आदिनांक सर्फेस इलेक्ट्रो -मायो -ग्रेफ़ी को पेशीय फड़कन रोग निदान की भरोसे मंद तरकीब बतलाया जाता है .
An electromyogram is a graphical tracing of the electrical activity in a muscle at
rest or during contraction ,used to diagnose nerve
and muscle disorder.
An electromyograph is a machine for producing an electromyogram from
electrical activity picked up via electrodes inserted into
muscle tissue.
(ज़ारी )
3 टिप्पणियां:
अच्छी जानकारी..
बढ़िया जानकारी ।
अच्छी श्रंखला ।।
बहुत ही सार्थक प्रस्तुति वीरुभई जी एक तरफ आप विभिन्न रोगों का निदान बतलाते है और एक तरफ ऐसी शानदार शायरी की प्रस्तुतियों द्वारा मरीजों का मानसिक तनाव भी दूर कर देते हैं .बहुत सुन्दर .विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनायें
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