गुरुवार, 11 अक्तूबर 2012

फंगल मैनिनजाईटइस से मरने वालों की संख्या 12 हुई ,137 में प्रगट हुए लक्षण

फंगल मैनिनजाईटइस से मरने वालों की संख्या 12 हुई ,137 में प्रगट हुए लक्षण 


अमरीकी सेंटर्स फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक़ कमर दर्द से राहत के लिए एपि-

ड्यूरल इस्टीरोइडल इंजेक्शन लगवाने वाले मरीजों की 

तादाद 

बढ़के 137 और मरने वालों की 12 हो चुकी है .ये सुइयां फफूंदा भरीं थीं .फफूंदी भी ऐसी जिसपे 

काबू पाना आसान नहीं .एपीड्युरल सुइंयाँ रीढ़ रज्जू को 

ढके

 रहने वाली बाहरी झिल्ली और उसके ऊपर समायोजित रीढ़ की गुर्रियों  के बीच की खाली जगह 

में लगाईं जातीं हैं .लोकल एन्स्थीज़िया एपिड्युरल ही 

दिया 

जाता है .अमरीका के दस राज्य अब तक फफून्दीय मष्तिष्क शोथ (दिमाग को ढके रहने वाली 

झिल्ली और रीढ़ रज्जू की सूजन )की लपेट में आचुकें हैं .ये

 राज्य हैं :फ्लोरिडा ,इंडियाना ,मिशिगन ,मेरीलैंड ,मिनिसोटा ,न्यूजर्सी ,ओहायो ,नार्थकैरोलिना ,टेनेसी और वर्जिनिया .

संक्रमित होने वालों में दस लोग एक ब्लेक मोल्ड से संक्रमित  हैं .चिकित्सा शब्दावली में इस 

फफूंद का नाम है :Exserohilum rostratum.

शुरुआत इस संक्रमण की जबकि हुई थी फफूंद की एक और किस्म Aspergillus से .

मोल्ड का आम भाषा में मतलब होता है खाने की बासी चीज़ों यथा पुरानी डबल रोटी तथा नम 

सीलन भरे स्थानों पर लगने वाली हरी काली रंग की 

फरनुमा फंगस  (फफूंद ).

प्रकृति में इन्हें मिट्टी  और पादपों पे भी पसरी देखा जा सकता है .

Aspergillus से फेफड़ा संक्रमण तो होते देखा गया है लेकिन बिरले ही यह मष्तिष्क शोथ का 

सबब बनी है .जबकि Exserohilum rostratum.चमड़ी 

संक्रमण तथा हार्ट इन्फेक्शन की वजह की वजह बन सकती है लेकिन इससे पहले इसे कभी भी 

स्पाइनल फ्लुइड (रीढ़ से परीक्षण के लिए प्राप्त तरल )में 

नहीं देखा गया है .

इस विरल शोथ के इलाज़ में प्रयुक्त दवाएं क्योंकि पार्श्व प्रभाव रूप में गुर्दों को क्षति ग्रस्त कर 

सकतीं हैं इसलिए माहिर इन दवाओं का इस्तेमाल बचावी

 चिकित्सा के तौर पर उन लोगों में किए जाने के खिलाफ हैं जिनमें इस रोग के लक्षण प्रगटित नहीं  हैं। 

संक्रमित मरीजों में सर दर्द ,नेक पैन और मिचली के लक्षण प्रगट  हैं .कुछेक ने चक्कर आने 

तथा तेज़ रोशनियों से घबराहट होने की शिकायत भी की है .

मरने वाले तमाम लोग स्ट्रोक का ग्रास बनें हैं .क्योंकि सुईं के ज़रिए हमारे खून में शामिल होने 

के बाद फंगस छोटी छोटी रक्त वाहिकाओं में थक्का बनने  

से रुक जाती हैं .रक्त स्राव भी होने लगता है इनसे .नतीजा होता है स्ट्रोक .

संक्रमित बोले तो रीढ़ को पंचर करके प्राप्त तरल की जांच के बाद पोज़ीटिव  पाए गएँ लोग हैं .

माहिरों के अनुसार हो सकता है यह फंगस सर्क्युलेशन के जरिए दिमाग तक भी पहुँच रही हो 

.और इसीलिए मरने वाले स्ट्रोक से ही मरे हैं .

तीन खेपों में ज़ारी की गई फफूंदा सुइयां अब तक 13 ,000 लोगों को पहले ही लग चुकीं हैं 

.फफूंदा इस्टीरोइड   है Methylprednilosone .लेकिन माहिरों 

के अनुसार ख़तरा सिर्फ उन्हें ही हैं जिनको ये सुइयां बेक और नेक से ही बोले तो ग्रीवा  रीढ़ या

 लम्बर गुर्रियों (lumbar vertebrae)के बीच खाली स्थान 

पर ही लगाईं गईं हैं . 

ज़रुरत दहशत की नहीं एहतियात की है .लक्षण प्रगटित होते ही न्यूरोलोजिस्ट के पास पहुंचे .

(शेष अगली किस्त में पढ़ें,इलाज़  ).