केवल वयस्कों के लिए :कुछ सवाल ज़वाब सैक्सोलोजी पर माहिरों के मुख से
?काफी देर तक लिंगोथ्थान बने रहने पर ,इरेक्शन कायम रहने पर मैं जब मूत्र त्याग करता हूँ उसके साथ सीमेन ( स्पर्म ,शुक्र ,पुरुष का वीर्य )भी चला
आता है
क्या ऐसा होना सामान्य बात है .
.* दरअसल यह मैथुन पूर्व का ,मिलन मनाने से पहले होने वाला स्राव है .इसे पैरा -युरेथ्रल ग्लेंड्स सीक्रिशन भी कह दिया जाता है .
Paraurethral glands : Any of the several small glands that opens into the female urethra near its opening and are homologous to
glandular tissue in the prostate gland in the male -also called skene's gland.
यह खासा पतला चिपचिपा पारदर्शी तरल होता है जबकि वीर्य दूधियापन लिए सफ़ेद होता है .जैसे सलाद की प्लेट या गोलगप्पे देख के कईयों के मुंह में
पानी आ जाता है उसी प्रकार मूत्र मार्ग या शिश्न में यौन मार्ग, सेक्स्युअल पैसेज ,यौन -उत्तेजना होने पर ,पर्याप्त स्टइम्युलेशन मिलने पर ,इनके गिर्द
मौजूद
ग्रन्थियां सक्रीय हो उठती हैं .लिंगोथ्थान इसी सक्रियता का नतीज़ा होता है .यह पूर्वमिलन स्राव मूत्र मार्ग को चिकनाए रखता है ताकि वीर्य निर्बाध बह
के आ सके स्खलित होने पर बिना किसी पीड़ा के .वीर्य भी तो काम शिखर पर इसी मार्ग से बाहर आता है .तो यह एक दम से सामान्य बात है .
?मेरी छाती मरदाना न होकर औरताना है .चूचुक भी बड़े बड़े हैं .बाकी मेरा यौन जीवन सामान्य है .लेकिन घर में भी कमीज़ आदि बदलने में शर्म महसूस
होती है .कोई उपाय इन बढ़ी हुई छातियों से निजात का .
* चिकित्सा शब्दावली में इस स्थिति को GYNAECOMASTIA कहा जाता है .इस स्थिति में चूचुक(NIPPLES) के नीचे खासी चर्बी चढ़ जाती है .यह
भले देखने में
नारी वक्ष प्रदेश लगे लेकिन इसमें वह गुण धर्म नहीं होतें हैं न वह यौन संवेद्यता रहती है .
कई मर्तबा नवजात में भी यह स्थिति देखी जाती है जिनमें माँ से नारी हारमोन गैर -अनुपातिक तौर पर चले आते हैं .यह एक शुद्ध शरीर क्रिया वैज्ञानिक
प्रभाव है .
किशोरों और वयस्कों में भी इस स्थिति का होना सामान्य बात है .भले यह झिझक का वायस बने .अगर इसकी वजह बेहद का मोटापा नहीं है तो वक्त
के साथ यह स्थिति स्वत :ही दब जाती है ठीक हो जाती है .
फिर भी यदि ज्यादा ही छवि सचेत हैं आप तो आपकी मदद के लिए कोस्मेटिक सर्जरी हाज़िर है आपके दुआरे .
?मैं एक शादी शुदा महिला हूँ .20 -25 दिन पहले मैंने बिना सुरक्षा उपाय अपनाए प्रेम मिलन मनाया .माहवारी की ड्यू तारीख से दो तीन दिन पहले मैंने
आपातकालीन गर्भ निरोधी टिकिया "ई -पिल "ले ली .हफ्ते बाद गर्भावस्था जांच से गर्भ ठहर जाने की पुष्टि हो गई थी .क्या इस टिकिया का गर्भस्थ पर
उसकी सामन्य बढ़वार पर कोई प्रतिकूल असर पड़ सकता है .
*इस प्रकार की गोलियां असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाने के 72 घंटों के भीतर भीतर ही लेनी होतीं हैं ,जितना जल्दी से जल्दी लिया जाए उतना ही बेहतर
रहता है .
आपकी गर्भावस्था क्योंकि अभी अपने आरम्भिक चरण में ही है 12 हफ्ते की मियाद के भीतर भीतर है आप चूषण प्राविधि से,(SUCTION METHOD )
जो सब जिलों में सहज
सुलभ है गर्भ से निजात पा सकतीं हैं .
अमूमन गर्भ निरोधी टिकिया का गर्भस्थ पर कोई प्रतिकूल असर नहीं भी पड़ता है .
?मैं यदि दिन में एक से ज्यादा बार प्रेम मिलन मनाता हूँ ,साथी के साथ दोबारा सम्भोग रत होता हूँ तो बाकी सब तो सामान्य रहता है काम शीर्ष तक सब कुछ
हू-बा -हु लेकिन स्पर्म बाहर नहीं आता है .
*भाई साहब यह चिकित्सा विज्ञान की भाषा में पुरुष का "REFRACTORY PERIOD " कहलाता है .एक तरह की यह आराम अवधि है .उम्र और
उत्तेजन के अनुरूप यह अवधि सभी में यकसां नहीं होती है .एक ही पुरुष के मामले में वैभिन्न्य देखा जा सकता है .
आपकी भौतिक और रागात्मक आवेगात्मक ,संवेगात्मक अवस्था भी अपना रोल प्ले करती है .अवसर की अनुकूलता और निजता भी .आस पास का
माहौल भी .
उम्र के साथ यह अवधि बढती जाती है .यानी ऐसा अकसर होने लगता है ,लिगोथ्थान भी है प्रेम मिलन भी लेकिन निष्फल ,बिना स्पर्म का .
लेकिन इसका आपकी सेहत से यौन जीवन से कुछ लेना देना नहीं है .असल बात है आपका भावात्मक यौन संसार .
(ज़ारी )
केवल वयस्कों के लिए (दूसरी क़िस्त ):सवाल ज़वाब सेक्सोलोजी के माहिरों के मुख से
?मैं एक शादीशुदा महिला हूँ .मैथुन के दौरान मुझे काम शिखर को छूने के लिए अपने भग -शिश्न (भग -नासा ,clitoris)को बराबर अपनी ऊंगलियों से
सहलाते रहना पड़ता है .क्या यह सामन्य बात समझी जाए .
*भग -नासा एक इरेक्टाइल ओर्गन है .इसे उत्तेजन प्राप्त होने पर इसमें भी पुरुष लिंग की तरह रक्त प्रवाह होने लगता है .इसमें भी लिंगोथ्थान की तरह
तूफ़ान आता है .तन जाता है यह भी सीधा ,उर्ध्वाधर .दिस इज आल्सो नॉन एज फिमेल पेनिस .
बेहतर हो आप यौन कर्म का संचालन करें .ड्राइवर की सीट पर आप बैठें .संचालन के सारे सूत्र अपने हाथों में रखें .गाड़ी का गीयर अपनी मर्जी से बदलें
यही वह प्रेम मिलन का योगासन है जिसमें भगनासा को अधिकतम उत्तेजन प्राप्त होता है .
पुरुष अक्सर घोड़ी पर आरूढ़ रहता है .मिशनरी पोजीशन में ऊपर से रौंदता है लेकिन भगनासा को रगड़ इस स्थिति में नसीब नहीं होती है .वह सुरक्षा
कवच धारण करके कुरुभूमि में कूद जाता है ,अस्त्र चलाता है लेकिन किसी को बींध नहीं पाता .
भगनासा को रगड़ न मिल पाने से महिलायें काम शिखर को छू ही नहीं पातीं हैं .रिसर्चरों ने भी इस तथ्य की पुष्टि की है .भगनासा में संवेदी कोशाओं का
एक पूरा नेटवर्क होता है जो महिला को काम के उत्तुंग शिखर की और ले जासकता है बा -शर्ते इन्हें उत्तेजन प्राप्त हो .भले पुरुष को वह उत्तेजन अपनी
जबान की नोंक से देना पड़े ,घोड़ी से उतर कर भले दोबारा आरूढ़ हो अजय अगर सवारी का इतना ही शौक है तो लेकिन घोड़ी को भी तो चारा चाहिए .
केवल वयस्कों के लिए (तीसरी क़िस्त ):सवाल ज़वाब माहिरों के मुख से
?पति पत्नी दोनों ही सेक्सोलोजिइस्ट के पास पहुंचे थे पति ने माहिर को बतलाया था डॉ .मैं इनकी कायिक
मांग
इनकी
यौन बुभुक्षा को पूरा नहीं कर पा रहा हूँ .इनकी फरमाइश है मैं रोज़ घुड़सवारी करूँ .
ये कहतीं हैं इनके जीजा साहब रोज़ ऐसा करते हैं .और साथ में यह भी कहती हैं सुखी ग्राहस्थ्य का सर्वोत्तम
उपाय यही है .
इससे पहले माहिर कुछ कहें पति ही बोला -ये जैसी भी हैं मुझे अच्छी लगतीं हैं मैं इनमें न एश्वर्य राय ढूंढता हूँ
न सुष्मिता ,मुझे इनसे पर्याप्त यौन तृप्ति और उत्तेजन प्राप्त हो जाता है .
**माहिर ने कहा अपने अनजाने ही यही तो हम अपने बच्चों के साथ भी कर रहें हैं .हम उनकी तुलना उनके
हमजोलियों के साथ कर बैठतें हैं ,देखो फलां पढ़ाई में कितना तेज़ है ,हमेशा होम वर्क चाक चौबंद .
हम उन्हें आई आई टीज और हारवर्ड में देखना चाहतें हैं .बच्चा चाहता है वह जैसा भी है उसे स्वीकृति मिलनी
चाहिए ,किसी से तुलना करके उसकी हेटी नहीं की जाए यह उसकी न्यूनतर अभिलाषा होती है लेकिन हम तो
अपनी झोंक में अपनी पिन्नक में रहते हैं ."जो है उसमें ,में नहीं ,जो नहीं है ,"चाहिए " में जीतें हैं .
इसका बच्चे के दिलोदिमाग पे क्या प्रभाव पड़ता होगा आप दोनों को अंदाज़ा नहीं होगा .
डॉ ,ने पत्नी से मुखातिब हो कहा -आपके पति भी स्वीकृति चाहतें हैं अपने होने की .अपनी इज्नेस की .संबंधों में
तुलना तत्व स्थिति को बद से बदतर बना सकता है .
तुलना की बुनियाद में अपेक्षाएं निहित रहतीं हैं .वह जो आप अपने साथी से चाहतें हैं .लेकिन यही तुलना उसमें
असुरक्षा की भावना भर देती है .अपने अप्रयाप्त होने का एहसास करवा देती है .
कई तो इन शब्द बाणों से आहत होते रहते हैं .भूल नहीं पाते इन कटाक्षों को .अवसाद ग्रस्त भी हो जातें हैं .
नियाग्रा फियाग्रा की ओर भी निकष पर खरा उतरने ,आपके तराजू पे पूरा उतरने के लिए चले आते हैं .इस सबके
और भी उलटे नतीजे निकलते हैं .
समझिये ,मानिए ये जो भी हैं जैसे भी हैं ,जितने भी हैं ,आपके हैं , आपके लिए ख़ास हैं ,टेलर मेड हैं ,इनके उन
गुणों पे ध्यान दीजिए जो असाधारण हैं .
कहना ही है किसी कमी के बाबत तो सीधा कहिये मुझे ऐसा लगता है ,मुझे ये चाहिए ,घुमाना फिराना क्यों है
किसी बात को आपस में .
सेक्स इज ए डेलिकेट इश्यु .इट इज आल इन दी माइंड .
(समाप्त )
सन्दर्भ -सामिग्री :-Q & a /ASK EXPERT :ESXOLOGY/THE WEEK .HEALTH .SEPTEMBER 23,2012/www.the-week.com
सन्दर्भ -सामिग्री : Q &
a ASK EXPERT :SEXOLOGY (THE WEEK .HEALTH .SEPTEMBER 23,2012)
www.the-week.com/editor @the -week.com
3 टिप्पणियां:
स्तरीय प्रस्तुति |
बधाई स्वीकारे ||
विषय अडल्ट है पर अडलट्रेटेड नहीं .
ज़रूरी और सही जानकारी .
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