केवल वयस्कों के लिए (दूसरी क़िस्त ):सवाल ज़वाब सेक्सोलोजी के माहिरों के मुख से
?मैं एक शादीशुदा महिला हूँ .मैथुन के दौरान मुझे काम शिखर को छूने के लिए अपने भग -शिश्न (भग -नासा ,clitoris)को बराबर अपनी ऊंगलियों से
सहलाते रहना पड़ता है .क्या यह सामन्य बात समझी जाए .
*भग -नासा एक इरेक्टाइल ओर्गन है .इसे उत्तेजन प्राप्त होने पर इसमें भी पुरुष लिंग की तरह रक्त प्रवाह होने लगता है .इसमें भी लिंगोथ्थान की तरह
तूफ़ान आता है .तन जाता है यह भी सीधा ,उर्ध्वाधर .दिस इज आल्सो नॉन एज फिमेल पेनिस .
बेहतर हो आप यौन कर्म का संचालन करें .ड्राइवर की सीट पर आप बैठें .संचालन के सारे सूत्र अपने हाथों में रखें .गाड़ी का गीयर अपनी मर्जी से बदलें
यही वह प्रेम मिलन का योगासन है जिसमें भगनासा को अधिकतम उत्तेजन प्राप्त होता है .
पुरुष अक्सर घोड़ी पर आरूढ़ रहता है .मिशनरी पोजीशन में ऊपर से रौंदता है लेकिन भगनासा को रगड़ इस स्थिति में नसीब नहीं होती है .वह सुरक्षा
कवच धारण करके कुरुभूमि में कूद जाता है ,अस्त्र चलाता है लेकिन किसी को बींध नहीं पाता .
भगनासा को रगड़ न मिल पाने से महिलायें काम शिखर को छू ही नहीं पातीं हैं .रिसर्चरों ने भी इस तथ्य की पुष्टि की है .भगनासा में संवेदी कोशाओं का
एक पूरा नेटवर्क होता है जो महिला को काम के उत्तुंग शिखर की और ले जासकता है बा -शर्ते इन्हें उत्तेजन प्राप्त हो .भले पुरुष को वह उत्तेजन अपनी
जबान की नोंक से देना पड़े ,घोड़ी से उतर कर भले दोबारा आरूढ़ हो अजय अगर सवारी का इतना ही शौक है तो लेकिन घोड़ी को भी तो चारा चाहिए .
सन्दर्भ -सामिग्री :-Q & a /ASK EXPERT :ESXOLOGY/THE WEEK .HEALTH .SEPTEMBER 23,2012/www.the-week.com
2 टिप्पणियां:
स्तरीय प्रस्तुति |
बधाई स्वीकारे ||
sexy reply. :)
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