गेस्ट पोस्ट : है कलिकाल की मार ,भजमन हरी हरी
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.......................डॉ .वागीश मेहता .
1218,शब्दालोक ,सेकटर 4 ,अर्बन इस्टेट ,गुडगाँव (हरियाणा )
(वर्तमान राजनीति का जो गंदा खेल चल रहा है ,इस खेल में लगभग सभी चिन्तक अन्दर से कुछ कह नहीं पाते ,किन्तु अभिव्यक्ति के रूप में व्यंग्य के
रूप
में तंज के रूप में फिर भी वह कुछ कहते ज़रूर हैं .जो कुछ भी देश में घट रहा है चाहे वह किसानों की धरती हड़प का मामला हो ,कोयले का हो या संसद में
नोट उछाले जाने का रहा हो ,या फिर औरत को तंदूरी मुर्गा बनाने का मामला रहा हो जिसमें हमारे प्रगति शील नेता बहुत प्रवीण हैं भले सुच्चा गढ़ में कुछ
नेता आके पूछ गए हों अभी हाल ही में इस बाबत ,बुद्धि जीवी हो या जनमानस अंदर से दुखी है टूटा हुआ है इस स्थिति को देखकर उसी की अभिव्यक्ति
मेरे
दोस्त और गुरुवत पूर्व सहयोगी रहे वागीश जी मेहता की इस रचना में खुलके हुई है .)
भजमन हरी हरी
है कलिकाल की मार,
भजमन हरी हरी .
भली करें करतार ,
भजमन हरी हरी .
(2)
खेतिहर की धरती लूटी ,
अन्तरिक्ष की किस्मत फूटी ,
धरती के नीचे का कोयला ,
ख़ा गए हिस्सेदार ,
भजमन हरी हरी .
(3)
जान किसी की नहीं सुरक्षित ,
आचार भ्रष्ट हैं नेता तस्कर ,
नारी की इज्ज़त लुटती है ,
हैं तेजाबी ठेकेदार ,
भजमन हरी हरी .
(4)
गिनती है तो सब चलता है ,
यू एन ओ में किसी और का ,
प्रतिवेदन मंत्री पढ़ता है ,
है संसद भी लाचार ,
भजमन हरी हरी .
(5)
संसद औ बाज़ार का अंतर ,
मिटा दिया यारों ने मिलकर ,
ध्वनी मत से बढ़ते हैं भत्ते ,
बाकी पर तकरार ,
भजमन हरी हरी
(6)
सत्ता का सिक्का चलता है ,
सांसद संसद में बिकता है ,
बे -इज्ज़त कुर्सी को पकडे है ,
जीजे की सरकार ,
भजमन हरी हरी .
(7)
चरागाह ये देश बनाया ,
पशुचारे पर घात लगाया ,
विकलांगों का हिस्सा खाया ,
क़ानून बड़ा बदकार ,
भजमन हरी हरी
है भ्रष्टों की सरकार ,
भजमन हरी हरी .
प्रस्तुति :वीरू भाई (वीरेंद्र शर्मा ),43,309 ,सिल्वरवुड ड्राइव ,कैंटन ,किशिगन 48,188
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sunder Prastuti
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