कैसे हो जाता है फंगल मैनिनजाईटइस (फफूंद से पैदा मष्तिष्क की झिल्ली और रीढ़ रज्जू में
सूजन का विरल एवं गंभीर रोग )?
सूजन का विरल एवं गंभीर रोग )?
पराग कणों की तरह फफूंद के बीजाणु ,हवा में तैरते स्पोर्स सांस के साथ हमारे नथुनों में दाखिल
होते रहतें हैं .लेकिन सांस के जरिए जब ये दाखिल होतें हैं
तब इनसे कोई नुकसानी नहीं होती है .लेकिन अगर यही फफूंद के बीजाणु हमारे खून में सुइयों
इंजेक्शनों के जरिए चले आएं तब कहानी उलझ जाती है .ये
छोटी महीन खून की नालियों में शामिल होके उन्हें अवरुद्ध कर सकते हैं .खून का थक्का जम
सकता है इन इस्माल ब्लड वेसिल्स में रक्त स्राव भी हो
सकता हैं इनमें .
ऐसे में ब्रेन अटेक (स्ट्रोक ,मष्तिष्क आघात या दिमागी दौरा )जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं .
इस स्थिति में टिपिकल मैनिनजाईटइस के आम लक्षणों यथा सर दर्द ,ज्वर (बुखार ),मिचली
,गर्दन की स्टिफनैस के अलावा अतिरिक्त लक्षणों के रूप
में:
तेज़ रोशनियों से चक्कर आ सकतें हैं ,बे -चैनी बढ़ सकती है .मरीज़ में एक या सिर्फ दो लक्षण
भी प्रगटित हो सकतें हैं .कभी कभार एक महीना से ऊपर
बीत जाता है और लक्षण प्रगट ही नहीं होते .
ऐसे में रोग निदान कर पाना माहिरों के लिए भी बड़ा टेढ़ा और मुश्किल काम हो जाता है .
फिलवक्त अमरीका के कई राज्यों में विषाणु और जीवाणु से पैदा होने वाली आम मष्तिष्क शोथ
से हटकर इस फफूंद से पैदा मष्तिष्क और रीढ़ रज्जू शोथ
को लेकर एक हडकंप मचा हुआ है .
11 लोग मर चुकें हैं और 119 मरीज़ इस संक्रमण की चपेट में यह रिपोर्ट लिखे जाने तक आ चुकें हैं .
इस संक्रमण (इन्फेक्शन )की वजह सुईं से दर्द नाशी के रूप दिए जाने वाला एक इस्टीरोइड
बना है . इसमें फफूंद था .
गनीमत यही है यह रोग छूतहा रोग नहीं है .विषाणु और जीवाणु से पैदा मष्तिष्क तंतु शोथ
छूतहा होती है .इन्फेक्शस होती है .
इस पर विस्तार से एक बार फिर लिखा जाएगा .खासकर टिपिकल मैनिनजाईटइस पर जो पूरबी
उत्तर प्रदेश के जी का जंजाल बना हुआ है .
2 टिप्पणियां:
निदान हो प्रभावी ढंग से।
बढ़िया जानकारी |
बधाई वीरुभई ||
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