डरा सो मरा
नकारात्मक सोच से, यह दुनिया भरमाय | |
सुनी सुनाई से सभी, सनसनाय शंकाय |
सनसनाय शंकाय , हकीकत जानो भाई |
दर्द नहीं बढ़ पाय, प्रसव पीड़ा की नाईं |
बंजारन को देख, प्रसव करती है कैसे |
है सटीक सन्देश, काफिला चलता ऐसे ||
सुनी सुनाई से सभी, सनसनाय शंकाय |
सनसनाय शंकाय , हकीकत जानो भाई |
दर्द नहीं बढ़ पाय, प्रसव पीड़ा की नाईं |
बंजारन को देख, प्रसव करती है कैसे |
है सटीक सन्देश, काफिला चलता ऐसे ||
Fearing childbirth may prolong labor
वे महिलाएं जो प्रसव के प्रति एक भय पाले रहतीं हैं औसतन एक घंटा बत्तीस मिनिट ज्यादा देर तक पूर्व प्रसव पीड़ा झेलतीं हैं बरक्स उनके जो इसे एक सहज स्वाभाविक प्रक्रिया के रूप में देखतीं हैं .
यह अन्वेषण Akershus University Hospital ,नोर्वे के रिसर्चरों ने किया है .बेशक पहली मर्तबा माँ बनने वाली महिलाओं के लिए पहला प्रसव भय पैदा करता है ,अपेक्षाकृत पूर्व प्रसव पीड़ा भी पहले प्रसव में देर तक ज़ारी रह सकती है ,epidurals जैसे obstetric interventions भी कई मर्तबा आजमाने पड़ते हैं लेकिन इन सबको भी मद्दे नजर रखते हुए इन तामाम बातों पर गौर करने के बाद भी रिसर्चरों ने पता लगाया है की प्रसव भीती प्रसव पीड़ा की अवधि को ४७ मिनिट फिर भी बढा ही देती है .
मानसिक दवाब से जुड़ा है मनो -उत्तेजन (psychological arousal).इसी मनोवैज्ञानिक उत्तेजना के तहत स्ट्रेस हारमोन पैदा हो जातें हैं .प्रसव पींगों (प्रसव वेदना )के दौरान स्ट्रेस हारमोनों का बढा हुआ अतिरिक्त स्तर गर्भाशय के संकुचन (सिकुड़ने फैलने को ),यूटेराइन कोंट- रेक्शन को कमज़ोर बना देता है .
दूसरे शब्दों में स्ट्रेस होरमोन एड्रीनेलिन गर्भाशय को आकुंचन कोंट -रेक्शन के लिए उकसाने वाले हारमोन ऑक्सीटोसिन के स्राव को निलंबित करवा देता है .
बस प्रसव लम्बाने लगता है एक सहज प्रक्रिया भीति के साए में एक जैविक अनुक्रिया के तहत यह सब करवा देती है .
कैसे होय भीति में प्रसव गोसाईं ?
अपनी किताब फीयरलेस प्रेग्नेसी में (किताब के सह लेखक )Fischbein,कहतें हैं :
सुनी सुनाई हारर स्टोरीज़ से ,भय पैदा करने वाली प्रसव कथाओं को सुन सुन के आज की आधुनिका खासी भय भीत है प्रसव की एक सामान्य घटना को लेकर (आपने देखा नहीं कैसे कबीले की औरतें बच्चा जनने के फ़ौरन बाद उसे वक्षस्थल से बाँध आगे बढ़ जातीं हैं जैसे कोई रोजमर्रा की सामन्य बात हो .
आधुनिक समाज में सनसनी खेज किस्से और कथाएँ जिनमे से कई प्रसव के पेचीलापन से भी जुड़े रहतें हैं सहज ही महिलाओं के दिल ओ दिमाग में जगह बना लेतीं हैं .
यहीं से एक प्रसव भीति का जन्म होता है .घर बना लेती है प्रसव भीति .
आपने पालतू पशुओं मवेशियों को नहीं देखा प्रसव के समय अन्धेरा कौना ढूंढते हैं .भूख लगती है तब खातें हैं .पीड़ा में बे -चैनी से चलतें हैं और भय के वक्त भाग खड़े होतें हैं या फिर मुकाबला करतें हैं .शांत जगह का चयन करतें हैं .और हम अस्पताली तामझाम अजनबी चेहरों मशीनों से घिर जातें हैं .प्रसव आतुर महिला को आइस क्यूब्स(चिप्स ) दी जातीं हैं चूसने के लिए .एक दो मशीने आपसे सम्बद्ध कर दी जातीं हैं .यही अजनबीयत भय की सृष्टि करती है यही कहना है किताब के सह लेखक का ..
सुझाव भी है लेखक का :बेहतर हो किसी दाई से ,प्रसव से जुडी महिला से नर्स से अपने भय बतलादें उससे पूछ लें होता क्या है प्रसव के वक्त .कैसे इसे सहज और सहयोग पूर्ण बनाया जाए माहौल के साथ .
- EDITION: U.S.
- INTERNATIONAL
- MÉXICO
- ARABIC
Fearing childbirth may prolong labor
Dr. Stuart Fischbein chuckled when he read the title of the press release: "Women with a fear of childbirth endure a longer labor."
The release was promoting a study published this week in BJOG: An International Journal of Obstetrics and Gynecology. Researchers at Akershus University Hospital in Norway found women who feared giving birth were in labor for 1 hour and 32 minutes longer, on average, than those who had no fear.
"I'm glad there's now evidence to say that," Fischbein said, "but it's obvious."
For those of us who aren't OB/GYNs, it may seem more like a cruel joke. Women who are afraid of the pain and the possible medical complications associated with giving birth have to suffer through it longer?
Study author Dr. Samantha Salvesen Adams initially thought her team would find the prolonged labor could be explained by other factors - women who feared birth the most were first time mothers, who are known to have longer labors anyway, or obstetric interventions like epidurals. But when those factors were taken into consideration, the difference in time between the fearless and the fearful was still 47 minutes.
"Mental stress is associated with physiological arousal and release of stress hormones," Adams wrote in an e-mail. "During labour, high levels of stress hormones may weaken uterine [contractions]."
In other words, the adrenaline released when a body is stressed stops the oxytocin hormone production that makes a woman's uterus contract, slowing labor. It's a natural, biological response to fear, Fischbein said.
Fischbein, who's also a co-author of "Fearless Pregnancy," said women today are afraid of giving birth because they're surrounded by horror stories.
"We have a society where sensationalism sells. They're pounded with information [about] things that can go wrong with childbirth. Of course you develop fears."
To understand Fischbein's lack of surprise at the study results, you have to take a look at the way other mammals give birth. For example, when cats, dogs or horses are in labor, they find dark places to have their offspring in peace. They eat when they're hungry, pace if they're in pain and run if something comes near them.
Compare that to a hospital setting, where a woman is given ice chips, strapped to machines while laying in bed and surrounded by people who are constantly interrupting. Though the machines and medical personnel are sometimes necessary, Fischbein says the stress comes from being in an unfamiliar environment.
He recommends women find a doctor or midwife who will take the time to talk through their fears and dispense honest advice about the birthing process.
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12 टिप्पणियां:
दर्द आने के पहले पीड़ा क्यों सहें भला..
बहुत अच्छी और उपयोगी जानकारी दी है आपने वीरू भाई.आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपके आने का भी आभार.
प्रसव के दौरान दर्द होना स्वभाविक है इस दौरान यदि सही जानकारी देदी जाय तो प्रसव आसान हो जाता है,
MY RECENT POST...:चाय....
भीति दिमाग पर असर करती है ....सहजता जीवन आसान करती है ...!!
सर्थक आलेख ....आभार .
बहुत बढ़िया जानकारी , आभार
प्रसव का मनो-क्रिया विज्ञान -अच्छी जानकारी
नकारात्मक सोच से, यह दुनिया भरमाय | |
सुनी सुनाई से सभी, सनसनाय शंकाय |
सनसनाय शंकाय , हकीकत जानो भाई |
दर्द नहीं बढ़ पाय, प्रसव पीड़ा की नाईं |
बंजारन को देख, प्रसव करती है कैसे |
है सटीक सन्देश, काफिला चलता ऐसे ||
अच्छी जानकारी। धन्यवाद।
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल के चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आकर चर्चामंच की शोभा बढायें
इसीलिए एंटी नेटल केयर ज़रूरी है .इसमें गर्भवति महिला को प्रसव के लिए मनोवैज्ञानिक तौर पर तैयार किया जाता है . इससे दर्द और दर्द का डर दोनों जाते रहते हैं .
बढ़िया जानकारी .... सही है कि इसे सहज सामान्य प्रक्रिया समझा जाये .... आज की पीढ़ी के लिए सार्थक लेख
वीरू भाई राम-राम !
बात करके वीरू भाई से
हुई मेरी हसरत पूरी
एक पल में मिटा दी आपने
हजारों मील की दुरी ....
आभार!
आज की पीढ़ी के लिए सार्थक लेख.....
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