क्या फर्क है खाद्य को इस्ट्यु ,पोच और ग्रिल करने में ?
कौन सा तरीका सेहत के हिसाब से उत्तम है ?
सैमन (सामन मच्छी जिसकी त्वचा रुपहली तथा मांस गुलाबी होता है ,बड़ी मछली होती है यह जिसे चाव से खाया जाता है सेहत के लिए भी अच्छी है यदि पकाया ठीक से जाए पोच किया जाए न की ग्रिल के नीचे पकाया जाए )को पोच करके खाना बेहतर है या ग्रिल करके ?
क्या फर्क है पोचिंग और ग्रिलिंग में ?
पोचिंग में द्रव की मौजूदगी में अंडे ,मच्छी आदि को हलकी आंच (हलके ताप )पर पकाया जाता है .जबकि ग्रिलिंग में ग्रिल के नीचे ऊपर से आते ताप पर पकाया जाता है .खुली आंच में जाली पे पकाना ग्रिल करना है .
हाई टेम्प्रेचर कुकिंग है ग्रिल करना जिसके फलस्वरूप कुछ ऐसे यौगिक पैदा हो जातें हैं जो सेहत को नुकसान पहुँचातें हैं .हाई टेम्प्रेचर कुकिंग के अन्य तरीके भी ये यौगिक बनाते हैं .
ये कंपाउंड्स कहलातें हैं AGEs
Advanced Glycation End Products
कैसे नुकसान पहुंचाते हैं ये कंपाउंड्स ?
यह शरीर में घातक ऑक्सीकरण (Oxidation) तथा इन्फ्लेमेशन(सोजिश और संक्रमण ) को बढ़ावा देतें हैं .
इंसुलिन रेजिस्टेंस की वजह बनते है ये यौगिक जिस वजह से इंसुलिन का पूरा और असरकारी इस्तेमाल नहीं हो पाता है .
बेशक बचा जा सकता है कम किया जा सकता है इनका बनना कम ताप पर तरल की मौजूदगी में सामिग्री को पकाने से .
कैसे बनते हैं AGEs?
जब खाद्य में मौजूद सुगर (शक्कर )प्रोटीन ,चर्बी या खाद्य में मौजूद अन्य घटकों से गठजोड़ करती है संयुक्त होती है .
क्या पहचान है इन यौगिकों की
ग्रिल किए गए या तेल में तले गए (फ्राइड )खाद्य की सुर्खी ,गोल्डन ,ब्राउन आभा ,टोस्ट किए ब्रेड स्लाइस की रंगत ही इनकी पहचान है .
कटहल हो या मीट पहले आप उसे फ्राई करके लाल भूरा कर लेतें हैं यही जड है इन यौगिकों की .
खाद्य को ये मनभावन रंगत ही नही स्वाद भी मुहैया करवातें हैं इसीलिए संशाधित खाद्यों में कृत्रिम AGEs भी मिलाए जातें हैं .
पहले इन यौगिकों को ट्रांस फेट्स की तरह निरापद समझ लिया गया था .रिसर्चर सोचते थे ये मल के साथ बाहर चले जाते हैं .
साइंसदान आज जानतें हैं की हमारी खुराक से ही हम इनका 10%ज़ज्ब कर लेतें हैं .यह मात्रा हमारे बुजुर्गों द्वारा ज़ज्ब की गई मात्रा से बहुत ज्यादा है .
कुछेक दशक पहले हमारी खुराक में इनकी इतनी दखल नहीं थी .
ऊपर से अमरीकियों की और अब हम भारतीयों की भी लार्ज पोर्शन खाने की आदत (लार्ज सर्विंग्स ऑफ़ हाई फेट फूड्स ,मीट )इनकी ज़ज्बी में इजाफा कर रही है खासकर तब जब इन खाद्यों को बिना तरल का इस्तेमाल किए हुए उच्च तापमान पर पकाया जाता है .(तब जब खाद्य सामिग्री को या तो फ्राई किया जाता है या ब्रोइल और सीअर .ब्रोइल करना और ग्रिल करना एक ही बात को दो तरह से कहना है जबकी सीअर करना केंटुकी फ्राइड है जलाके रख देना है बहुत तेज़ आंच पे ,झुलसा देना है खाद्य को .
SEAR
TO SEAR SOMETHING IS TO BURN IT SCORCH IT WITH AN APPLICATION OF INTNSE HEAT.
STEW
इस्त्यू करना क्या है ?
गोस्त या सब्जी का सीझना ,को सिझाना ,
सीझा हुआ गोस्त और सब्जी तरल पदार्थ में देर तक हलकी आंच में पकाने से बनती है.
Why A.G.E.s are harmful
क्या नुकसानात हैं इन यौगिकों (एडवांस्द ग्लाईकेशन एंड प्रोडक्ट्स ) से
शरीर में आक्सीकरण को हवा देतें हैं ,बढ़ा देतें हैं ये यौगिक .इनका बाहुल्य हमारे सुरक्षा कवच पर बचावी तंत्र पर प्रोटेक्टिव सिस्टम्स पर भारी पड़ता है .ये कोशाओं में जमा होकर उन्हें नष्ट करने लगतें हैं .
इन्फ्लेमेशन की प्रक्रिया को शुरू करा देतें हैं .
क्रोनिक इन्फ्लेमेशन इंसुलिन रेजिस्टेंस ,टाइप 2 डायबिटीज़ की आधार भूमि है .दिल के रोग भी पैदा करता है .
शरीर में प्रोटीन की संरचना बदल देतें हैं ये यौगिक .धमनियों को कठोर बना देतें हैं इनके अन्दर की दीवार को खुरदरी .
जोड़ों और मांस पेशियों को हड्डियों से जोड़ने वाली नसों (tendons) को सख्त बना देतें हैं .नेत्र और नसों (स्नायुवों )के नष्ट होने की वजह बनतें हैं .
अग्नाशय की इंसुलिन बनाने वाली कोशाओं को नष्ट कर देतें हैं .
बेशक स्वत :स्फूर्त प्रक्रिया के तहत आपसे आप भी हमारे शरीर में खून में मौजूद शक्कर से बनते हैं A.G.E.s,,खासकर उन हालातों में जब खून में शक्कर का स्तर बढा हुआ रहता है .
लेकिन हमारी खुराक असली वजह बनती है इनके निर्माण की .इनके ज्यादा बनने की .शरीर तो फिर भी इनका उत्पादन धीरे धीरे ही करता है .
you can limit A.G.E.s
बेशक हमारे शरीर को पूरी तरह तो इन यौगिकों से रहित नहीं किया जा सकता लेकिन मनुष्यों और एनिमल्स पर संपन्न अध्ययनों से पुष्ट हुआ है कि खुराक में ही इन यौगिकों की मात्रा कमतर करके अच्छे नतीजे प्राप्त किए जा सकतें हैं .
चूहों पर संपन्न एक अध्ययन से पता चला कि इन यौगिकों की खुराक में कटौती कर देने से चूहों में न सिर्फ डायबिटीज़ से बचाव संभव हुआ हृदय एवं रक्त वाहिनियों से सम्बन्धित रोगों को भी मुल्तवी रखा जा सका .
जिन चूहों की खुराक में यह यौगिक ज्यादा मात्रा में शरीक रहा उनकी तौल में ज्यादा इजाफा हुआ .माहिरों को यह जान लेने की उत्सुकता है कि जो लोग डायबिटीज़ से ग्रस्त हैं उनकी खुराक में इन यौगिकों की मात्रा घटाने के क्या नतीजे आयेंगे .
अपने एक अध्ययन में इन्होनें नौ ऐसे ओवर वेट सब्जेक्ट्स का चयन किया जो सभी डायबिटीज़ 2 से ग्रस्त थे .इन्हें चार माह तक तो अपनी मानक खुराक (standard diet ) लेते रहने के अनुदेश दिए लेकिन नौ अन्यों को ऐसी मानक खुराक ही मुहैया करवाई गई जिसमें खाद्य को इस प्रकार पकाया गया ताकि ये यौगिक 40-50%कम रहें ..
जिस वर्ग को ऐसे कमतर A.G.E.s यौगिकों वाली खुराक दी गई उनके ब्लड इंसुलिन लेविल्स 35 %कम रहे ..
इनके खून में इन्फ्लेमेशन और ओक्सी -डेटिव स्ट्रेस के मार्कर्स भी कमतर दर्ज़ हुए .
इसका मतलब यह हुआ जो लोग इन्फ्लेमेशन और इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम करना चाहतें हैं और अग्नाशय की इंसुलिन बनाने वाली कोशाओं (बीटा सेल्स )पर पड़ने वाले दवाब को कम करना चाहतें हैं उनके लिए ऐसा करना इन यौगिकों की मात्रा खुराक में कम करने से बहुत अधिक मुमकिन है ,संभावित है .
करना क्या है इन यौगिकों (A.G.E.s) की मात्रा खुराक में सीमित रखने के लिए दूसरे शब्दों में ब्लड स्ट्रीम में कम रखने के लिए
पोर्सन को कम किया जाए (छोटी प्लेट ली जाए बड़ी प्लेट की जगह खाद्य के लिए ),खाद्यों को पकाने के तरीकों को तबदील किया जाए ..
आम तौर पर उच्च वसा और उच्च प्रोटीन युक्त खाद्यों यथा गौ मांस ,स्किन ओन पोल्ट्री (चिकिन स्किन साफ़ करवाके खरीदा जाए ),मख्खन और चीज़ ,margarine and mayonnaise से बचा जाए जिनमें इन यौगिकों का डेरा होता है .यह ज़माव तब खासकर होता है जब इन चीज़ों को उच्च तापमान पर पकाया जाता है .
कार्बोहाईड्रेट युक्त और कार्बोहाईड्रेट बहुल खाद्यों ,कूकीज (highly processed cookies),frozen waffles ,तथा बहु -प्रचलित प्रचारित ब्रेक फास्ट सीरियल्स से बचा जाए .इनमें भी इन यौगिकों की प्रचुरता रहती है .
कमतर होती है इन यौगिकों की मात्रा
दूध में ,सब्जियों में ,फलों में .
गांठ बाँधने लायक बात क्या है इस सारी चर्चा में
ये तमाम यौगिक मधुमेह में पैदा होने वाले पेचीलापन को और भी बढ़ा सकतें हैं क्यंकि ये शरीर के बहुत से ऊतकों में जमा होकर उन्हें नष्ट करने लगतें हैं .
ब्लड ग्लूकोज़ यदि आपका नियंत्रित है तब भी इन यौगिकों की मात्रा को सीमित रखिये .
There are about 6000 A.G.E.s.While you can't entirely eliminate A.G .E.s,you can limit them .
Steamed ,Stewed,slow cooked ,and poached foods ,for example ,contain fewer A.G.E.s than fried or grilled foods.
कौन सा तरीका सेहत के हिसाब से उत्तम है ?
सैमन (सामन मच्छी जिसकी त्वचा रुपहली तथा मांस गुलाबी होता है ,बड़ी मछली होती है यह जिसे चाव से खाया जाता है सेहत के लिए भी अच्छी है यदि पकाया ठीक से जाए पोच किया जाए न की ग्रिल के नीचे पकाया जाए )को पोच करके खाना बेहतर है या ग्रिल करके ?
क्या फर्क है पोचिंग और ग्रिलिंग में ?
पोचिंग में द्रव की मौजूदगी में अंडे ,मच्छी आदि को हलकी आंच (हलके ताप )पर पकाया जाता है .जबकि ग्रिलिंग में ग्रिल के नीचे ऊपर से आते ताप पर पकाया जाता है .खुली आंच में जाली पे पकाना ग्रिल करना है .
हाई टेम्प्रेचर कुकिंग है ग्रिल करना जिसके फलस्वरूप कुछ ऐसे यौगिक पैदा हो जातें हैं जो सेहत को नुकसान पहुँचातें हैं .हाई टेम्प्रेचर कुकिंग के अन्य तरीके भी ये यौगिक बनाते हैं .
ये कंपाउंड्स कहलातें हैं AGEs
Advanced Glycation End Products
कैसे नुकसान पहुंचाते हैं ये कंपाउंड्स ?
यह शरीर में घातक ऑक्सीकरण (Oxidation) तथा इन्फ्लेमेशन(सोजिश और संक्रमण ) को बढ़ावा देतें हैं .
इंसुलिन रेजिस्टेंस की वजह बनते है ये यौगिक जिस वजह से इंसुलिन का पूरा और असरकारी इस्तेमाल नहीं हो पाता है .
बेशक बचा जा सकता है कम किया जा सकता है इनका बनना कम ताप पर तरल की मौजूदगी में सामिग्री को पकाने से .
कैसे बनते हैं AGEs?
जब खाद्य में मौजूद सुगर (शक्कर )प्रोटीन ,चर्बी या खाद्य में मौजूद अन्य घटकों से गठजोड़ करती है संयुक्त होती है .
क्या पहचान है इन यौगिकों की
ग्रिल किए गए या तेल में तले गए (फ्राइड )खाद्य की सुर्खी ,गोल्डन ,ब्राउन आभा ,टोस्ट किए ब्रेड स्लाइस की रंगत ही इनकी पहचान है .
कटहल हो या मीट पहले आप उसे फ्राई करके लाल भूरा कर लेतें हैं यही जड है इन यौगिकों की .
खाद्य को ये मनभावन रंगत ही नही स्वाद भी मुहैया करवातें हैं इसीलिए संशाधित खाद्यों में कृत्रिम AGEs भी मिलाए जातें हैं .
पहले इन यौगिकों को ट्रांस फेट्स की तरह निरापद समझ लिया गया था .रिसर्चर सोचते थे ये मल के साथ बाहर चले जाते हैं .
साइंसदान आज जानतें हैं की हमारी खुराक से ही हम इनका 10%ज़ज्ब कर लेतें हैं .यह मात्रा हमारे बुजुर्गों द्वारा ज़ज्ब की गई मात्रा से बहुत ज्यादा है .
कुछेक दशक पहले हमारी खुराक में इनकी इतनी दखल नहीं थी .
ऊपर से अमरीकियों की और अब हम भारतीयों की भी लार्ज पोर्शन खाने की आदत (लार्ज सर्विंग्स ऑफ़ हाई फेट फूड्स ,मीट )इनकी ज़ज्बी में इजाफा कर रही है खासकर तब जब इन खाद्यों को बिना तरल का इस्तेमाल किए हुए उच्च तापमान पर पकाया जाता है .(तब जब खाद्य सामिग्री को या तो फ्राई किया जाता है या ब्रोइल और सीअर .ब्रोइल करना और ग्रिल करना एक ही बात को दो तरह से कहना है जबकी सीअर करना केंटुकी फ्राइड है जलाके रख देना है बहुत तेज़ आंच पे ,झुलसा देना है खाद्य को .
SEAR
TO SEAR SOMETHING IS TO BURN IT SCORCH IT WITH AN APPLICATION OF INTNSE HEAT.
STEW
इस्त्यू करना क्या है ?
गोस्त या सब्जी का सीझना ,को सिझाना ,
सीझा हुआ गोस्त और सब्जी तरल पदार्थ में देर तक हलकी आंच में पकाने से बनती है.
Why A.G.E.s are harmful
क्या नुकसानात हैं इन यौगिकों (एडवांस्द ग्लाईकेशन एंड प्रोडक्ट्स ) से
शरीर में आक्सीकरण को हवा देतें हैं ,बढ़ा देतें हैं ये यौगिक .इनका बाहुल्य हमारे सुरक्षा कवच पर बचावी तंत्र पर प्रोटेक्टिव सिस्टम्स पर भारी पड़ता है .ये कोशाओं में जमा होकर उन्हें नष्ट करने लगतें हैं .
इन्फ्लेमेशन की प्रक्रिया को शुरू करा देतें हैं .
क्रोनिक इन्फ्लेमेशन इंसुलिन रेजिस्टेंस ,टाइप 2 डायबिटीज़ की आधार भूमि है .दिल के रोग भी पैदा करता है .
शरीर में प्रोटीन की संरचना बदल देतें हैं ये यौगिक .धमनियों को कठोर बना देतें हैं इनके अन्दर की दीवार को खुरदरी .
जोड़ों और मांस पेशियों को हड्डियों से जोड़ने वाली नसों (tendons) को सख्त बना देतें हैं .नेत्र और नसों (स्नायुवों )के नष्ट होने की वजह बनतें हैं .
अग्नाशय की इंसुलिन बनाने वाली कोशाओं को नष्ट कर देतें हैं .
बेशक स्वत :स्फूर्त प्रक्रिया के तहत आपसे आप भी हमारे शरीर में खून में मौजूद शक्कर से बनते हैं A.G.E.s,,खासकर उन हालातों में जब खून में शक्कर का स्तर बढा हुआ रहता है .
लेकिन हमारी खुराक असली वजह बनती है इनके निर्माण की .इनके ज्यादा बनने की .शरीर तो फिर भी इनका उत्पादन धीरे धीरे ही करता है .
you can limit A.G.E.s
बेशक हमारे शरीर को पूरी तरह तो इन यौगिकों से रहित नहीं किया जा सकता लेकिन मनुष्यों और एनिमल्स पर संपन्न अध्ययनों से पुष्ट हुआ है कि खुराक में ही इन यौगिकों की मात्रा कमतर करके अच्छे नतीजे प्राप्त किए जा सकतें हैं .
चूहों पर संपन्न एक अध्ययन से पता चला कि इन यौगिकों की खुराक में कटौती कर देने से चूहों में न सिर्फ डायबिटीज़ से बचाव संभव हुआ हृदय एवं रक्त वाहिनियों से सम्बन्धित रोगों को भी मुल्तवी रखा जा सका .
जिन चूहों की खुराक में यह यौगिक ज्यादा मात्रा में शरीक रहा उनकी तौल में ज्यादा इजाफा हुआ .माहिरों को यह जान लेने की उत्सुकता है कि जो लोग डायबिटीज़ से ग्रस्त हैं उनकी खुराक में इन यौगिकों की मात्रा घटाने के क्या नतीजे आयेंगे .
अपने एक अध्ययन में इन्होनें नौ ऐसे ओवर वेट सब्जेक्ट्स का चयन किया जो सभी डायबिटीज़ 2 से ग्रस्त थे .इन्हें चार माह तक तो अपनी मानक खुराक (standard diet ) लेते रहने के अनुदेश दिए लेकिन नौ अन्यों को ऐसी मानक खुराक ही मुहैया करवाई गई जिसमें खाद्य को इस प्रकार पकाया गया ताकि ये यौगिक 40-50%कम रहें ..
जिस वर्ग को ऐसे कमतर A.G.E.s यौगिकों वाली खुराक दी गई उनके ब्लड इंसुलिन लेविल्स 35 %कम रहे ..
इनके खून में इन्फ्लेमेशन और ओक्सी -डेटिव स्ट्रेस के मार्कर्स भी कमतर दर्ज़ हुए .
इसका मतलब यह हुआ जो लोग इन्फ्लेमेशन और इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम करना चाहतें हैं और अग्नाशय की इंसुलिन बनाने वाली कोशाओं (बीटा सेल्स )पर पड़ने वाले दवाब को कम करना चाहतें हैं उनके लिए ऐसा करना इन यौगिकों की मात्रा खुराक में कम करने से बहुत अधिक मुमकिन है ,संभावित है .
करना क्या है इन यौगिकों (A.G.E.s) की मात्रा खुराक में सीमित रखने के लिए दूसरे शब्दों में ब्लड स्ट्रीम में कम रखने के लिए
पोर्सन को कम किया जाए (छोटी प्लेट ली जाए बड़ी प्लेट की जगह खाद्य के लिए ),खाद्यों को पकाने के तरीकों को तबदील किया जाए ..
आम तौर पर उच्च वसा और उच्च प्रोटीन युक्त खाद्यों यथा गौ मांस ,स्किन ओन पोल्ट्री (चिकिन स्किन साफ़ करवाके खरीदा जाए ),मख्खन और चीज़ ,margarine and mayonnaise से बचा जाए जिनमें इन यौगिकों का डेरा होता है .यह ज़माव तब खासकर होता है जब इन चीज़ों को उच्च तापमान पर पकाया जाता है .
कार्बोहाईड्रेट युक्त और कार्बोहाईड्रेट बहुल खाद्यों ,कूकीज (highly processed cookies),frozen waffles ,तथा बहु -प्रचलित प्रचारित ब्रेक फास्ट सीरियल्स से बचा जाए .इनमें भी इन यौगिकों की प्रचुरता रहती है .
कमतर होती है इन यौगिकों की मात्रा
दूध में ,सब्जियों में ,फलों में .
गांठ बाँधने लायक बात क्या है इस सारी चर्चा में
ये तमाम यौगिक मधुमेह में पैदा होने वाले पेचीलापन को और भी बढ़ा सकतें हैं क्यंकि ये शरीर के बहुत से ऊतकों में जमा होकर उन्हें नष्ट करने लगतें हैं .
ब्लड ग्लूकोज़ यदि आपका नियंत्रित है तब भी इन यौगिकों की मात्रा को सीमित रखिये .
There are about 6000 A.G.E.s.While you can't entirely eliminate A.G .E.s,you can limit them .
Steamed ,Stewed,slow cooked ,and poached foods ,for example ,contain fewer A.G.E.s than fried or grilled foods.
7 टिप्पणियां:
जानकारी देती बेहतरीन प्रस्तुति,,,,
RECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....
.सार्थक प्रस्तुति सृष्टि में एक नारी,
बहुत उपयोगी पोस्ट और पाक विधियों की जानकारी भी
हालाँकि मैं शाकाहारी हूँ मगर ये कह सकता हूँ कि आपकी पोस्ट बड़ी उपयोगी है.आभार.
अच्छी सेहत के लिए उपयोगी और महत्वपूर्ण जानकारियां!
सादर
ऐसे नबंरो पर कॉल ना करे. पढ़ें और शेयर
खाने का विज्ञान..
बहुत उपयोगी पोस्ट...
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