Children with 3 parents to be a reality ?/TIMES TRENDS /THE TIMES OF INDIA ,JUNE 5 ,2012 ,P21
आनुवंशिक रोगों से मुक्त बच्चों के कल हो सकतें हैं तीन माँ -बाप
कई ऐसे आनुवंशिक रोग हैं जो माँ से गर्भस्थ को अंतरित हो जातें हैं ऐसे ही आनुवंशिक रोगों से गर्भस्थ को बचाए रखने के लिए प्रजनन के माहिरों ने इन दिनों कई ऐसी तकनीकें विकसित कर ली हैं जहां इस आनुवंशिक प्रोद्योगिकी के इस्तेमाल से पैदा बालकों के दो से ज्यादा माँ बाप हो सकतें हैं .
अभी तक यह रिसर्च अनुसन्धान के दायरे तक ही सीमित थी ,ह्यूमेन FARTILAAIZESHAN एंड एम्ब्रियोलोजी ऑथोरिटी इसे विमर्श के लिए आम जन के पास भेज रही है .
क्या संतानों को आनुवंशिक रोगों से बचाए रखने के लिए इस प्रोद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाए ?
क्या इस आनुवंशिक संसोधन को आम जन के लिए इस्तेमाल किया जाए ?
इस एवज आन लाइन सर्वे भी शुरू किये जाने हैं ,माहिरों और आमजन के बीच बैठकें भी आयोजित की जानी हैं .
नीति और विधि शाश्त्र से जुड़े तमाम सवालात भी हैं .
आइये संक्षेप में समझें क्या हैं यह प्रजनन सम्बन्धी तरकीबें
Mitochondrial diseases कहा जाता है ऐसे आनुवंशिक रोगों को जो माताओं से बालकों में चले आतें हैं तथा गंभीर विकार और अपंगता ही नहीं मृत्यु की भी वजह बन जातें हैं .
कभी अलग से भी चर्चा करेंगें राम राम भाई पर इन रोगों की .
फिलवक्त उपलब्ध प्रजनन तकनीकों पर नजर डालतें हैं
(१) पहली में माँ के एम्ब्रियो (embryo)यानी निषेचित ह्यूमेन एग से जब स्पर्म और ओवम एक दूसरे से मिलन मना चुकें हैं .और कोशिका विभाजन अभी बहुत आगे नहीं बढा है .१४ १५ दिन ही हुए हैं इस मिलन को कन्सेप्शन (निषेचन ) )को .,आनुवंशिक पदार्थ अलग किया जाता है .इसे अंतरित कर दिया जाता है दूसरी स्वस्थ महिला के ऐसे ही आरंभिक चरण के एम्ब्रियो में .इस डोनर महिला का Mitochondria स्वस्थ और निर्दोष होता है ,इससे पैदा होने वाले बच्चे को आनुवंशिक रोगों का कोई ख़तरा नहीं रहता है .
(2)दूसरी प्राविधि तो यही है लेकिन इसमें यह antran निषेचन से पहले ही कर दिया जाता है .इसमें माँ का आनुवंशिक पदार्थ फिमेल एग (ओवम )से अलग किया जाता है ,इसमें ही doshpoorn mitochondri है .इसे दाता के स्वस्थ और निर्दोष एग में अंतरित कर दिया जाता है .
इस प्रकार जो बच्चा पैदा होता है उसमे तकनीकी तौर में तीन माँ बापों का आनुवंशिक पदार्थ मौजूद रहता है .बेशक इसमें दाता का योगदान न्यूनतम रहता है लेकिन बच्चे के रोगमुक्त रहने की सौगात यह alp योगदान ही महादान की तरह बनता है .
लेकिन समालोचक इस शोध के खिलाफ कमर कसके खड़े हो गएँ हैं इसीलिए इस शोध को जनता की अदालत में सामाजिक विमर्श के लिए भेजा गया है .
देखें होता क्या है ?
7 टिप्पणियां:
अनुवांशिक रोगों पर नियंत्रण बहुत आवश्यक है . इसके लिए इस तरह की तकनीक ही काम आ सकती है . अन्यथा इन रोगों पर खर्च होने वाली धन राशी और व्यक्तिगत कष्ट बहुत महंगा पड़ता है .
रोचक चिकित्सीय हल..
बहुत रोचक प्रस्तुति..
इस आनुवंशिक रोग से मुक्त होना जरूरी है,अन्यथा पीढ़ी दर पीढ़ी कष्ट को भोगना पडेगा,
MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,
debating topic
new information.
रोचक है ये चिकित्सा संसार ...
मनुष्य की कल्पना और उसको यथार्थ में उतारने का साहस अदम्य है ..
एक टिप्पणी भेजें