शुक्रवार, 8 जून 2012

फिरंगी संस्कृति का रोग है यह

प्रजनन अंगों को लगने वाला एक संक्रामक यौन रोग होता है सूजाक .इस यौन रोग गान' रिया(Gonorrhoea) से संक्रमित व्यक्ति से यौन संपर्क स्थापित करने वाले व्यक्ति को भी यह रोग लग जाता है .

इन  दिनों  इस  जीवाणु से पैदा होने वाले यौन संचारी रोग की   दवा  रोधी स्ट्रेंन मुल्कों की सीमाओं का अतिक्रमण कर एक से दूसरे देश( मुल्क) तक व्यापक रूप से फ़ैल रही है .संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी खबरदार करते हुए कहती है -लाखों लोग इलाज़ के दायरे से बाहर हो जायेंगें यदि रोग को आरंभिक चरण में ही पकडके उसका पुख्ता इलाज़ न किया गया तो .

गए साल माहिरों ने जापान में रोग की एक 'सुपर्बग 'गानारिया स्ट्रेंन का पता लगा लिया था .यह सिफारिश किये गए सभी एंटी -बाय्तिक्स के खिलाफ दवा प्रति-रोध प्रदर्शित  करती रही .निष्प्रभावी रही इन आजमाए गए एंटी -बायोतिक्सा से .बे -असर बनी रही तमाम  उपलब्ध   दवाओं से रोग की यह खतरनाक किस्म .

साइंसदानों ने तभी  चेताया था यह स्थिति  जल्दी ही इस इलाज़ योग्य ठीक हो जाने वाले  रोग को ला  -इलाज़ बने रहने वाले रोग की  ज़द में ला सकती है . यह ख़तरा आलमी स्तर पर है .

आज यह ख़तरा हकीकत में बदलने लगा है .ऑस्ट्रेलिया से लेकर फ्रांस तक ,नोर्वे ,स्वीडन और ब्रिटेन से रोग की ऐसी किस्म की ख़बरें आरहीं हैं जो  -Cephalosporin antibiotics प्रतिरोधी  साबित  हो  रही  है  .  

जबकी  यह  दवा रोग के खात्मे का आखिरी उपाय होती है .




जन स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चुनौती बन रहा है यह सुपर -बग गोनोरिया स्ट्रेंन . 

अगर यह gonococcal infections ला  इलाज़ बना   रहता   है तो एक बड़ी तबाही   का कारण   बन सकता   है पहले    से ही चौपट    जन स्वास्थ्य की .  

इलाज़ न हो पाने  की स्थिति कितनी  खतरनाक साबित हो सकती है ?

(1)pelvic inflammatory disease(श्रोनीय    प्रदेश    की सोजिश    और संक्रमण  )   

(२)ectopic pregnancy (गर्भाशय  के  बाहर   मसलन  अंड- वाहिनी   नलिकाओं ,फेलोपियन ट्यूब्स   में   गर्भ  धारण  )

(३)stillbirths (प्रसव के वक्त मरे  हुए  बच्चे  का  पैदा  होना  )

(४)नौनिहालों में गंभीर नेत्र संक्रमणों का लगना 

(५)औरत और मर्द दोनों में बांझपन पैदा होना .

उक्त तमाम नतीजे भुगतने पड़ सकतें हैं इलाज़ मयस्सर न हो पाने पर .

Prevalence (प्रधानता )

आलमी स्तर पर होने वाला यूं यह एक आम संक्रमण है लेकिन दक्षिण और दक्षिण पूरबी एशिया ,उप -सहारवी अफ्रीका में इसका प्रचलन ज्यादा है .आम है यह रोग यहाँ .

अमरीकी संस्था Centers for disease control and Prevention (CDC) के मुताबिक़ संयुक्त राज्य अमरीका में इसके सात लाख मामले हर साल दर्ज़ होतें हैं .

आखिर वजह क्या बनी इस रोग की 

वही पुराना रोना दवा रोधी तपेदिक जैसा 

(१) एंटी  -बायोटिक दवाओं की सहज सुलभता .बिना डॉक्टरी  नुस्खे के सब कुछ मिलता है यहाँ .

(२) एंटी -बायोटिक दवा के विनियमन सम्बन्धी निर्देशों का अभाव .

(३) नीम हकीमों दवा इनका इस्तेमाल 

फिरंगी संस्कृति का (गरीबी का भी )रोग है यह .

फिरंगी संस्कृति का रोग है यह 

लेबल :रहन सहन ,जीवन शैली ,आचार,फिरंगीपन    

4 टिप्‍पणियां:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

जानकारीपरक पोस्ट

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जीवनशैली से मेल खाते रोग..

Kailash Sharma ने कहा…

जब जीवन में स्वछंदता बढ़ जाती है तो ऐसे रोग बढ़ेंगे ही...

मनोज कुमार ने कहा…

जैसा जीवन हम जीते हैं, उस हिसाब से रोग भी पालते हैं।