बेशक अरबों अरब जीवाणुओं का हमारी रोग प्रति रक्षण व्यवस्था के विनियमन में हाथ होता है लेकिनहमारी इन्हीं अंतड़ियों में जब कुछ ख़ास जीवाणुओं की प्रचुरता बहुत ज्यादा हो जाती है तब यही जीवाणु ऐसी बीमारियों की भी वजह बन जातें हैं जो रोग प्रति -रोधी पदार्थों से ही पैदा हो जातें हैं .यानी उन्हीं अस्त्रों से जो हिफाजती होतें हैं रोगों के खिलाफ .बचावी इंतजामात जिन रोगों की वजह बन जातें हैं उन्हें कहा जाता है ऑटो -इम्यून डिजीज .
ऐसी स्वास्थ्य दशा जिसमे रोग रोधी उपाय ही रोग की वजह बन जाए ऑटो -इम्यून डिजीज है .र्ह्युमेतोइद आर्थ -राइटिस (Rheumatoid arthritis)भी एक ऐसा ही रोग है जो कुछ ख़ास जीवाणुओं के बेहद बढ़ जाने से ही होता है .
भारतीय मूल के एक साइंसदान के नेतृत्व में रिसर्चरों की एक टीम ने इस रिसर्च को अंजाम तक पहुंचाया है .
अब उन लोगों की वक्त रहते शिनाख्त हो सकेगी जिन्हें ऐसे रोग होने का ख़तरा मौजूद है तथा बचावी उपाय भी किये जा सकेंगें इन एक दम से अशक्त बनादेने वाले ला -इलाज़ बने रोगों से .
इस भारतीय महिला का नाम है डॉ वीणा तनेजा .आप अमरीका के मेयो क्लिनिक से सम्बद्ध हैं .
ऑटो -इम्यून डिजीज का सुराग हाथ लगा
16 टिप्पणियां:
congratulation ... indian scientists..who found the anti. .virus .. for many dieases/
भारतीय वैज्ञानिको को इसके लिये बधाई,,,,
RECENT POST ,,,,फुहार....: न जाने क्यों,
वीरू भाई राम-राम ....हर भारतीय को बधाई !
सफर कैसा रहा आपका !!!
हाल क्या है ,ज़नाब का ???
शुभकामनाएँ!
ye jankari padhkar achchha laga, magar abhi kaafi kuchh isme jaanana baki hai, jiske prati jigyasa badh rahi hai.............
ye jankari padhkar achchha laga, magar abhi kaafi kuchh isme jaanana baki hai, jiske prati jigyasa badh rahi hai.............
महत्वपूर्ण जानकारी...
बात कुछ साफ नहीं हुई .
ऑटो इम्यून डिसीज में अपने ही टिस्युज/ सेल्स के विरुद्ध एंटीबोडिज बन जाती हैं जो टिस्युज को नष्ट कर देती हैं .
क्या ओर्गानिजम्स से ये एंटीबोडिज बनती है ? अभी इस शोध के बारे में पढ़ा नहीं .
प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत होनी ही चाहिए। भीतर से मज़बूत होंगे तभी बाहर मुकाबला संभव होगा।
यह खोज तमाम बीमारिओं के इलाज का नया रास्ता दिखायेगा. बधाई वीणा जी को.
अत्यन्त रोचक जानकारी..
ये वैज्ञानिक बधाई के पात्र हैं।
महत्वपूर्ण जानकारी
प्रतिरोधक क्षमता: महत्वपूर्ण जानकारी
इसे कहते हैं चने का खुद भाड़ फोड़ना
वाह ... बधाई हो भारतीयों कों ...
महत्वपूर्ण जानकारी है भाई जी ...
डॉ साहब सारा मामला gut bacteria में एक ख़ास जीवाणु की तादाद के बे -तहाशा बढ़ जाने जुडा है . अच्छी प्रस्तुति .कृपया यहाँ भी पधारें -
बुधवार, 20 जून 2012
क्या गड़बड़ है साहब चीनी में
क्या गड़बड़ है साहब चीनी में
http://veerubhai1947.blogspot.in/
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