रविवार, 17 जून 2012

परहित - वाद सहज प्रवृत्ति है मानव कोशिकाओं की


परहित -  वाद   सहज   प्रवृत्ति   है  मानव   कोशिकाओं   की 

प्रकृति  और पुरुष  के संयोग से  यह  सृष्टि  बनी  है आत्म तत्व  पैदा  हुआ है .यह  आत्म तत्व  ,'पर ' का हित कलम    कोशिकाओं  में जन्म  जात   निहित  है .स्मृति में है कलम  कोशिकाओं की पर -हित- वाद .ऋषि दाधीच (दधीचि ऋषि )ने अपने जीते जी आत्म बल से अपना शरीर त्याग दिया था इंद्र को दान कर दीं अस्थियाँ  वित्रासुर का वध करने के लिए वज्र तैयार किया गया था इन्हीं अस्थियों से . जो देवताओं से किसी भी बिध मरता ही  नहीं था .देवता तो भोग विलासी थे उनमे वह आत्म बल नहीं था जो दाधीच में था .

आज एक भारतीय मूल के साइंसदान मूलतया   असम के गुवाहाटी में पैदा हुए पले बढे डॉ .बिकुल दास (वर्तमान में स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल आफ मेडिसन से सम्बद्ध हैं )एम्ब्रियोनिक स्टेम सेल्स (कलम कोशिकाओं )का अंतर भूत गुण बतला रहें हैं इसी परहितवाद को .

जब कभी इन कोशिकाओं पर बाहरी परिस्तिथि जन्य दवाब बढ़ता है कोशिकाएं एक ऐसा रसायन ऐसे अणु तौयार कर लेतीं हैं जो न सिर्फ उनकी हिफाज़त करता है आसपास की पडोसी कोशिकाओं को भी त्राण दिलवाता है आसन्न संकट से .

यहाँ डार्विन का विकासवाद भी कसौटी पर खरा उतर रहा है .सर्शक्तिमान की अटूट सत्ता   बरकरार रहती है.कोशिकाएं अपनी स्टेम -नेस  भी   अक्षुण्य बनाए रहतीं हैं बाहरी दवाब के कारण एक नियोजन के तहत अन्य अंग भी तैयार कर लेतीं हैं आदेशानुसार खुद की हिफाज़त भी और स्तेम्नेस में खरी उतरतीं हैं .इन्हें कैंसर ऊतकों में इंजेक्ट करके आइन्दा कभी मारक कोशाएं पैदा की जा सकेंगी .जो कैंसर युक्त गांठ (Malignant  tumors) का  जड़  से  ही  सफाया  कर  देंगी  , 

इनसे जब मर्जी जो काम करवा लो शरीरके किसी भी अंग के ऊतक तैयार करवा लो .कैंसर कोशाओं का सफाया करवा लो .बस रोप दो इन जान बाज़ कोशाओं को जो संकट में तपके निकलतीं हैं वज्रास्त्र बनके. मारक कोशाओं के बघनखे पहने .

हम पूर्व में में भी  बतला चुकें हैं कलम कोशिकाएं स्टेम सेल्स मानवीय कोशिकाओं  के निषेचन की वह आरम्भिक अवस्था है जब कोशाएं मात्र १०- १५ दिन तक  ही अभी कोशिका विभाजन की प्रक्रिया के तहत द्विगुणित हो पाई हैं एम्ब्रियोनिक चरण में हैं विभाजन के .सबकी सब यकसां हैं .अन -दिफ्रेंशियेतिद  है .इनमे भेद करना असंभव रहता है इस चरण में ..इनके पास एक सुनिश्चित सोफ्ट वेयर रहता है चुनिन्दा आंगिक ऊतकों को बना लेने का .लेकिन यह काम विभेदीकरण के बाद होता है .

इन पर दवाब बढ़ने पर यह उक्त करतब दिखलातीं  हैं .

कोशिकाओं के इसी गुण का स्तेमाल कैंसर कोशिकओअन को नष्ट करने में आइन्दा किया जा सकेगा ऐसी उम्मीद बंध चली है .

'Selfless ' stem cells magic cancer cure?Dr.Bikul Das has discovered that human embryonic cells under duress produce molecules that not only benift themselves but also help nearby cells survive.This means in future cancer can be treated without chemotherapy ,feel doctors./SUNDAY TIMES,,MUMBAI ,SUNDAY ,JUNE 17,2012 LEAD STORY FRONT PAGE

Doctor took 12 years to prove stem cell theory 

Dr Peter W Andrews from the UK ,considered one of the two gurus 

टाटा मेमोरियल अस्पताल मुंबई की बाल कैंसर रोग समूह की माहिर डॉ पूर्णा करकरे इस शोध से बेहद उल्लसित हैं .

बकौल आपके इस रिसर्च से हमारी काया में होने वाली टूट फूट की मुरम्मत और पुनर -उत्पादन प्रक्रिया (Regeneration mechanism ) को  समझने  में  भी  विशेष  मदद  मिलेगी  .

कैंसर    पर आदिनांक काबू नहीं पाया जा सका है तो इसकी एक वजह यह भी है कि अभी इसे पूरी तरह समझा ही नहीं जा सका है .

रसायन चिकित्सा  (CHEMOTHERAPY ) केवल  END CELLS का  ही   खात्मा  कर  पाती  है  .कैंसर कोशिकाओं की जड़ों में चाणक्य  बन मठ्ठा नहीं ड़ाल पाती .आसपास की स्वस्थ कोशिकाओं का भी खात्मा कर देती है .फिर कैंसर अपनी जगह बदलता रहता है .पूरी काया का रोग बन जाता है . 

जबकि  वर्तमान शोध आसपास की कोशाओं की हिफाज़त करने के साथ साथ कैंसर कोशाओं का पूर्ण खात्मा  करवा  देगी  .

(ज़ारी ...) 


पुनश्चय :


डॉ .बिकुल के अन्वेषण के मुताल्लिक क्या कहतें हैं माहिर ?

डॉ चन्दन जे दास अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा शोध संस्थान ,नै दिल्ली 

कोशिकाओं में परहितवाद का मतलब है अब कैंसर का इलाज़ बिना रसायन चिकित्सा (Chemotherapy )के  भी   किया   जा  सकेगा  .निकट  भविष्य  में  ही परहित कारी कलम कोशिकाओं को लेब में कल्चर करके  तैयार किया जा सकेगा .इन्हें कैंसर ग्रस्त ऊतकों में सुईं के ज़रिये पहुंचाया जा सकेगा .डॉ चन्दन दास विकिरण रोग निदान प्रभाग में सहायक आचार्य के पद पर आसीन हैं .

एम्ब्रियोनिक   स्टेम सेल रिसर्च के दो महानतम  गुरु ब्रितानी साइंसदान डॉ पीटर व्ब्लू एंड्रूज़ तथा जेम्स टॉमसन डॉ बिकुल के काम  से वाकिफ हैं और उन्हें इस शानदार उपलब्धि के लिए मुबारकबाद दे चुकें  हैं .आपने ही पहले पहल  एम्ब्रियोनिक स्टेम सेल्स को अलग किया था .

कैसे आया डॉ बिकुल को यह विचार ?

अपने केलिफोर्निया स्थित निवास से इस सवाल का ज़वाब आप ई -मेल से देते हुए कहतें हैं उन दिनों (सन २००० ईसवी )में भारत भ्रमण पर था .मैं उन दिनों एंटी -ओक्सिदेंट्स पर एक किताब लिख रहा था .यहीं पर मैंने Cytoprotection का ज़िक्र    किया था. बतलाया था कैसे कोशिकाएं खतरनाक अणु फ्री रेडिकल्स ,विकिरण और hypoxia से   अपना    अनुरक्षण  करतीं  हैं   .

इसके लिए कोशिकाएं एक आणविक प्राविधि का इस्तेमाल करतीं हैं .

लेकिन इसका एक कोशिका मोडिल तैयार करने में पूरे १२ बरस लग गए .

२००५ में मिलान में हुई बैठक   में इस विचार पर विमर्श भी किया गया था कि कोशिकाओं में परहितवाद भी होता है . 

लेकिन यह अंतरण होता कैसे है क्योंकि इसके प्रदर्शन के लिए मेरे पास कोई प्रदर्श (मोडिल )नहीं था इसीलिए तब माहिरों ने इसे हंसी में उड़ा दिया था .इस पर किसी को यकीन ही नहीं हुआ कि ऐसा भी हो सकता है :संकट के समय न सिर्फ अपनी बल्कि पडोसी कोशिका की भी जान बचा सकतीं हैं कोशिकाएं चंद रसायन ,रासायनिक अणु पैदा करके .

डॉ बिकुल कहतें  हैं: डार्विन का  सर्व -शक्तिमान  मान की प्रभुसत्ता(उत्तरजीविता ),प्रभुत्व   का सिद्धांत कोशिकोँ पर भी लागू होता है .

जीवाणुओं में यह परहितवाद ज़बर्जस्त तरीके से देखा गया है इसीलिए वह बने हुएँ हैं . `

कैंसर से हम आज तक इसीलिए पार नहीं पा सकें हैं हम इसे ठीक से समझ ही  नहीं सकें हैं .

बाहरी कारक कलम कोशिकोँ को बाध्य कर सकतें हैं वह विभेदित होकर दिफ्रेंशियेत होकर नर्व सेल्स तैयार करें या फिर दिल की कोशिकाएं बनाएं ,चमड़ी रचें या फिर हमारे कहे बताएं किसी भी  और कोशिका का निर्माण करें .इसीलिए संकट के समय यही कोशिकाएं न सिर्फ अपनी स्टेम नेस को बचाए रहतीं हैं उच्चस्तर पर पुनर अवतरित भी होतीं हैं खुद भी सर -वाइव करती हैं पडोसी  कोशा की हिफाज़त  भी बखूबी कर जातीं हैं .दोनों सहजीवन बनाए रहतीं हैं .यही पर हितवाद है .कैंसर के खात्मे की चाबी है .

ऊपर हमने एक पारिभाषिक शब्द हाइपोक्सिया का ज़िक्र किया है .क्या है हाइपोक्सिया ?

यह वह स्थिति है जब काया के ऊतकों को पूरी और पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाती है .

5 टिप्‍पणियां:

Coral ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी

कुमार राधारमण ने कहा…

धर्म से विज्ञान जुड़े,इससे अच्छी बात क्या होगी!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

स्टेम सेल के बारे में पहले भी कहीं पढ़ा है ... आज आपने विस्तार से आसान भाषा में खुलासा किया जो बहुत ही अच्छा लगा ...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अपनी कोशिकाओं से ही कुछ समझ लें हम..

वीरेंद्र सिंह ने कहा…

बढ़िया जानकारी वाली पोस्ट है सर जी..! आपको बधाई।