शनिवार, 9 जून 2012

स्ट्रेस से असर ग्रस्त होतें हैं नन्नों के नन्ने विकासमान दिमाग


स्ट्रेस से असर ग्रस्त होतें हैं  नन्नों के  नन्ने विकासमान दिमाग 


बेहद की चिरकालिक निरंतर बनी रहनी वाली स्ट्रेस से बच्चों के विकासमान दिमाग इस कदर असर ग्रस्त होतें हैं  कि दिमाग के वह हिस्से जिनका सम्बन्ध अन्तरिक्ष में अवस्थित वस्तुओं की विमा (लबाई ,चौड़ा ,मोटाई) उनकी सही स्थिति से होता है  वह आकार में छोटे रह जातें हैं .

जिन हिस्सों का सम्बन्ध अल्पकालीन याददाश्त से होता है वह भी प्रभावित होतें हैं .इस शोध को विस्कोंसिन विश्विद्यालय के रिसर्चरों ने संपन्न किया है .

Intense stress can alter children,s brains :Study /SHORT CUTS /THE TIMES OF INDIA ,NEW -DELHI ,JUNE 9,2012 ,P19

जिस  कदर इन दिनों प्री -स्कूल स्ट्रेस नौनिहालों को सता रही है उस सबसे हम सभी वाकिफ हैं .नर्सरी /किंडर गार्टन /अपर लोवर के .जी न जाने कितने चरण हैं इस अवस्था के क्लास वन में आने से पहले .फिर समर कोर्स .और इस सबके ऊपर मैंने एक चीज़ अपने वैयक्तिक निकट तर , परिवेश से नोट की है  वह है कुछ माताओं की झक .बच्चे को दोपहर  के भोजन के बाद भी कितने बजे उठना है यह वह तय करेंगी बच्चे का स्लीप साइकिल  नहीं .सुबह का ज़िक्र इसलिए नहीं ,बच्चे को स्कूल पहुंचना  है .

उनका तर्क होता है अब नहीं उठाया तो रात को सोते वक्त तंग करेगा .लिहाजा उसे सोते हुए को ही बुद्धू बक्से के आगे बैठा दिया जाता है और कार्टून फिल्म या कोई धार्मिक सीरियल लव कुश जैसा लगा के बुद्धू  बक्से को खोल दिया जाता है .

गरज यह के न घर न स्कूल कहीं भी बच्चे का अपना कुछ भी पसंद ,ना -पसंद शेष नहीं रह गया है .शेष है चिरकालिक स्ट्रेस 

.हमारा मानना है ऐसे बच्चों पर भी एक भारतीय अध्ययन संपन्न होना चाहिए .

इनकी माताओं से प्रश्नावली भरवाई जानी चाहिए .  

स्ट्रेस से असर ग्रस्त होतें हैं  नन्नों के  नन्ने विकासमान दिमाग 

लेवल :लिविंग ,ओबसेशन ,नौनिहाल ,तनाव और अधुनिकाएं .


6 टिप्‍पणियां:

रचना दीक्षित ने कहा…

सही विषय उठाया. नन्हे मुन्नों के साथ नाइंसाफी है. सोचने पर मजबूर करता है आलेख.

धन्यबाद.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बच्चों को तनाव से किसी भी हालत में दूर रखना है...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बच्चों कों जितना हो सके इन्सबसे दूर ही रखना अच्छा होता है ... सार्थक विषय उठाया है आपने ...

बेनामी ने कहा…

बहोत अच्छे

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Anupama Tripathi ने कहा…

बहुत ही सच्ची बात ...लेकिन समझ मे आये तो कोइ बात है ...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

सार्थक विषय, सुंदर आलेख,,,,, ,

MY RECENT POST,,,,काव्यान्जलि ...: ब्याह रचाने के लिये,,,,,