गुरुवार, 24 मार्च 2011

भाव -कणिका:मोहन उवाच ,नहीं मालूम

भाव -कणिका :नहीं मालूम ।
महंगाई पर सवार ,कर दिए शरद पवार ,
मुखिया लाचार ,
सबसे बड़े खिलाड़ी ,बना दिए "कलमाड़ी ",
टू जी स्केम,राजा किये डिफेम,
मोहन करे राज ,कुछ खबर ,न काज ।
सन्दर्भ :लोक सभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज .प्रधान मंत्री मनमोहन से मुखातिब (विकिलीक्स खुलासा ,सांसद रिश्वत काण्ड ,प्रधान मंत्री ने किया चुनाव और प्रजातंत्र को गड्दम्म -गडड ,चुनावी जीत यानी सिरों की गिनती को बतलाया जनता का फैसला ,रिश्वत के पक्ष में )।इस सन्दर्भ में बड़ा मौजू है यह शैर जो सुष्माजी ने संसद में पढ़ा प्रधानजी को आइना दिखलाते हुए :
तू इधर उधर की न बातकर ,ये बताके लुटा क्यों कारवाँ ,
ये रहगुज़र की न बात है ,तेरी रहबरी का सवाल है .

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