शनिवार, 26 मार्च 2011

ढाबा .

जिस ढाबे की मैं बात कर रहा हूँ वह कैंटन ,मिशिगन (अमरीका )में है .अन्दर की एम्बियेंस हिन्दुस्तान के किसी बाई -पास ढाबे से मिलती जुलती है .फोल्डिंग पलंग के बीच में कार्ड बोर्ड (तख्ता ,ड्राइंग बोर्ड )रखकर डाइनिंग टेबिल का ढाबा संस्करण ही प्रस्तुत किया गया है .आमने सामने की दीवारों पर एश्वर्य राय बच्चन ,करीना कपूर और शाहरुख खान जैसी हस्तियों की तस्वीरें चस्पां हैं ।
मेन्यु अंग्रेजी में दीवार पर एन्ग्रेव्द किया गया है सामने की जिसे आप काउंटर भी कह सकतें हैं ।
अगर कंप्यूटर ग्रेफिक्स के ज़रिये बस थोड़ी सी धूल और उडती दिखला दीजाए और बसों के आने जाने की आवाज़ भी तो आपको ऐसा ही लगेगा ,आप हिन्दुस्तान के किसी ढाबे में ही हैं ।
यहाँ ग्राहक भी सभी भारतीय हैं ,लेकिन बात सभी अमरीकी लहजे वाली अंग्रेजी में ही करतें हैं ।
बाहर ढाबे के "ढाबा "भी अंग्रेजी मेंही लिखा है ।
मन उदास हो जाता है ,उर्दू और हिंदी में भी क्यों नहीं ,गुजराती और गुरमुखी में क्यों नहीं "ढाबा "लिखा गया है ।
मैं मानता हूँ और यकीन भी रखता हूँ हिन्दुस्तानी तहज़ीब को अगर कोई ज़िंदा रख सकता है ,वह अनिवासी भारतीय ही हैं ।
इस मर्तबा देत्रोइत आने के लिए मैं मुंबई से रवाना हुआ था .वहीँ था भी कुछ समय से .यहाँ देत्रोइत शहर के कैंटन उप -नगर (मोहल्ले )में मेरी बेटी और दामाद रहतें हैं ,जब हिन्दुस्तान में मेरी ज़रुरत नहीं रहती यहाँ चला आता हूँ ,वैसे भी इस उम्र में आदमी एपेंडिक्स की तरह गैर ज़रूरी घोषित कर दिया जाता है ।हिन्दुस्तानी परिवारों का ढांचा ही कुछ ऐसा बन गया है .एकल परिवार हैं ,न्यूक्लीयर फेम्लीज़ .मैं बिरला हूँ सिंगिल पेरेंट्स की हैसियत से मेरी नियति है आज इसके कल उसके पास .रेडियो -एक्टिव धूल सा नकारा गया हूँ .
असल बात यह है ,मैं मुंबई से देत्रोइत बा -रास्ता "अबुधावी 'और एम्स्तर्दम होकर आया हूँ ""के एल एम् "इंटरनेश्नल से ।
अबुधावी छोटा सा हवाई अड्डा है लेकिन इक आंचलिकता लिए हुए है ,हर गेट पर इबारत उर्दू और अंग्रेजी दोनों में लिखी है ,नक्काशी और मेहराब एहसास कराती है किसी मुस्लिम कंट्री के हवाई अड्डे पर हैं .उर्दू इस विश्वास को पुख्ता करती है ।
यहाँ अमरीकी ढाबे पर सब कुछ अपना सा है ज़रूर लकिन वर्च्युअल रिएलिटी जैसा है .

2 टिप्‍पणियां:

Kajal Kumar ने कहा…

यहां भारत में तो घर की मुर्गी दाल बराबर है न...ढाबे की एकआध फोटो भी रहती तो और भी मज़ा आ जाता :)

virendra sharma ने कहा…

shukriyaa zanaab !sujhaav ekdam se sateek hai .fir saamaya roop kaa aakarshan prabal hotaa hai .
veerubhai .