सोमवार, 28 मार्च 2011

मधुमेह रोगियों के लिए धूम्रपान और भी बुरा क्यों हैं ?(ज़ारी...)

मधुमेह रोगियों के रक्त के नमूने जांचने पर पता चला है इनमे से जो स्मोक करते हैं उनके रक्त में "हीमो -ग्लोबिन -ए १ सी "(एचबी ए १ सी )का स्तर ३४% बढ़ जाता है .
(निकोटिन +व्हेन ह्यूमेन ब्लड सेम्पिल्स) रेज्ड लेविल्स ऑफ़ हीमोग्लोबिन -ए १ -सी बाई ३४ % .
हीमोग्लोबिन ए १ सी इक संयोग है हीमोग्लोबिन (जो कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुंचाता है )और ग्लूकोज़ का .यह इक मानक (मान्य )सूचक है शरीर में ब्लड सुगर की मौजूद मात्रा का ।
अध्ययन का यह भी सार है ,यदि आप धूम्रपान करतें हैं तब आपको मधुमेह होने का ख़तरा और भी बढ़ जाता है .
पहले से मधुमेह होने पर मधुमेह केसाथ पैदा तमाम जटिलताएं बढ़ जातीं हैं .यथा अंधत्व ,नर्व डेमेज ,गुर्दे की खराबियां ,दिल की बीमारियाँ आदि ।
जैसे जैसे रक्त में हीमोग्लोबिन ए १ सी का स्तर बढ़ता जाता है ,वैसे ही वैसे उन तमाम प्रोटीन कोम्प्लेक्सिज़ के बनने की संभावना भी बढ़ जाती है जो आँखों से लेकर दिल ,ब्लड वेसिल्स तक तमाम अंगों में ब्लोकेज (रक्त के अवरोध ,ब्लोकेजिज़ इन सर्क्युलेशन )पैदा कर तें हैं .
निकोटिन पैचेज़ और निकोटिन युक्त इलेक्ट्रोनिक सिगरेट्स भी दिखावे की तीहल साबित होतें हैं ,डायबिटीज़ में इनका स्तेमाल निरापद होना रहना तो दूर ,ये तमाम निकोटिन सब्स्तित्युट्स भी ए१ सी का स्तर बढा तें हैं क्योंकि निकोटिन तो इनमे अब भी है ।
इक ही उपाय है डायबिटीज़ और डायबिटीज़ से देर सवेर पैदा होने वाली तमाम जटिलताओं से बचाव का सिगरेट छोड़ दी जाए .
फेड के तहत पहली सिगरेट हरगिज़ हरगिज़ न सुलगाई जाए पीयर प्रेशर में आके .

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