बुधवार, 28 अप्रैल 2010

बचाव में ही बचाव -दिल के बचाव के लिए

दिल के लिए कोई सात जोखिम भरी बातें बतलाई हैं साइंस दानों ने ,हृद -रोगों के माहिरों ने .दिल की सलामती के लिए इन्हें टाले रखिये।
स्मोकिंग यानी धूम्रपान की आदत :जो लोग धूम्र पान नहीं करते उनकी तुलना में स्मोकर्स के लिए दिल के खतरे का वजन दोगुना बढ़ जाता है .(पहले धमनियों का अन्दर से खुरदरा पड़ना ,संकरा हो जाना -आर्तिरीयो -स्केलेरोसिस और फिर कोरोनरी आर्तारीज़ दीजीज़ स्मोकिंग की ही सौगातें हैं ।).
खून में घुली अतरिक्त चर्बी (बेड कोलेस्ट्रोल ):खून में घुली चर्बी का विनियमन कीजिये .कम दाइत्री-कोलेस्ट्रोल लीजिये (ऐसी खुराख जिसमे डाईट-री कोलेस्ट्रोल कम रहे ),ट्रांस फेटि एसिड्स (हैद्रोज्नीक्रित चिकनाई ,डालडा ,हाइड्रोजन -युक्त वानस्पतिक तेल )तथा संतृप्त वसाओं का डेरा ना हो .नियमित व्यायाम करने से बेड कोलेस्ट्रोल ही गुड कोलेस्ट्रोल में बदल जाता है ।
ब्लड -प्रेशर :अपने पूरे रिस्क प्रोफाइल के मद्दे नजर अपने रक्त चाप के ऊपरी और निचले पाठों को विश्व -स्वास्थ्य संगठन द्वारा स्थापित आदर्श मानों के अनुरूप रखिये .(११० /७० ).इसके लिए अपनी खुराख ,दैनिक व्यायाम ,वेट मेनेजमेंट पर तवज्जो रखिये .ज़रुरत के मुताबिक़ एंटी -हाई -पर -तेंसिव दवाएं लीजिये माहिरों की सलाह के अनुसार ऐसा नियम निष्ठ होकर कीजिये ,कोई कोताही नहीं ,कोई नागा नहीं ।
दायाबीतीज़ मेलाइतिस(मधुमेह ):सब रोगों की माँ है -दायाबीतीज़ .जीवन शैली रोग भी है जो गलत खान पान रहनी सहनी का नतीज़ा है ।
अलबत्ता खानदानी या जन्म जात होने पर इसे तजवीज़ की गई खुराख ,व्यायाम और सिफारिश की गई दवाओं को नियन निष्ठ लेते रहकर काबू किया जा सकता है .बहर -सूरत इलाज़ कोई नहीं है इस मेटाबोलिक दिस -ऑर्डर का ।
व्यायाम :सिदेंत्री लाइफ स्टाइल ,बैठे बैठे कंप्यूटर पर काम करने की मजबूरी या फिर अदबदाकर तनाव भरे धारावाहिकों की लत पाले रखना ,काउच पोटेटो बने रह जाना आज तमाम तरह के रोगों के ट्रिगर मोटापे की भी वजह बन रहा है ,इतर रोगों की भी .
"बस आधे घंटा हल्का व्यायाम ,सब रोगों से आराम "
अपना महत्व है चलने फिरने का .आप काज महा काज ।
ईटिंग यानी खान पान :जैसा अन्न वैसा मन ,जैसा मन वैसी काया .जैसा पानी ,वैसी वाणी ,जैसी वाणी वैसा आपा ।
कम नमक ,कमतर( संतृप्त वसा ,ट्रांस फेट्स ,कोलेस्ट्रोल) तथा कमतर परिष्कृत खाद्य (सफ़ेद चीनी ,चावल ,मैदा और इसके उत्पाद )दिल के लिए मुफीद हैं .कह सकतें हैं -हार्ट हेल्दी डाईट के अंग हैं ।
गहरे रंगों की तरकारी ,फल एंटी -ओक्सिदेंट्स के भण्डार हैं (ब्रोकली ,बेल पेपर ,लाल पीली ,नारंगी शिमला मिर्च ,चुकंदर (बीट- रूट्स ),विलायती गाज़र (ओरेंज कैरट),ग्रीन टी ,गहरे हरे रंग की सब्जीयाँ आदि विटामिन्स ,पुष्टिकर तत्वों के भण्डार हैं ,फाइटो- केमिकल्स केभी भण्डार हैं ये .).ड्राई फ्रूट्स का खुराख में होना रहना भी उतना ही महत्वपूर्ण है .खुबानी ,चेरीज़ ,ब्लेक बेरीज ,रेस्प बेरीज आदि पुष्टिकर हैं .राज माँ को भी कम मत समझिये ।
मोटे अनाज और गुड (जेग्री )गुड चने खून में लौह तत्वों की कमी की भी संभाल करेंगे .खाओ चने रहो बने ।
स्ट्रेस यानी रोज़ मर्रा की ज़िन्दगी में पसरा तनाव :
माहिरों की माने तो यही तनाव मार रहा है .दी बिगेस्ट किलर ऑफ़ आवर टाइम्स .इससे बचिए .बच कर निकलिए निगेटिव लोगों से .निगेटिव थाट इज मोर पावर फुल देंन एन एटोमिक वेपन .विष कन्याओं और विष पुरूषों की सोहबत से बचिए .अपना एतित्युद बदलिए .खुद को बदलना आसान है .अपना आपा अच्छा तो जगत अच्छा ।
बेलगाम गुस्सा अपनों और परायों पर ,खुद पर, 'हार्ट -अतेक्स 'तथा सेरिब्रो -वैस्क्युँल्र -एक्स्सिदेंट्स 'दिमागी दौरे की एक एहम वजह बना हुआ है .अपने साथ रहना सीखिए .तनाव का प्रबंधन किसी भी विध कीजिये ।
सन्दर्भ सामिग्री :-वाट यु केन डू तू सेव यूओर हार्ट (लीड स्टोरी /बॉक्स न्यूज़ टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अप्रैल २८ ,२०१० )

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