शुक्रवार, 16 अप्रैल 2010

ईर्ष्या और द्वेष के खामियाजे भुगतने पद सकतें हैं .

ईर्ष्या और द्वेष से खबरदार रहिये .अंधा हो सकता है आदमी .क्योंकि ईर्ष्या जिसके प्रति उपज रही है उसका कुछ बिगाड़े या ना बिगाड़े जिस मन में उपज रही है उसका बेड़ा गर्क ज़रूर कर सकती है .रिसर्च्र्ण ने पता लगाया है जिन महिलाओं को ईर्ष्या को गले लगाने को कहा गया उनका नजरिया इतना विकृत हो गया ,उन्हें अपना लक्ष्य भी नजर नहीं आया .नजरिया ही बिगड़ गया इन सबका ।
ईर्ष्या व्यक्ति को लक्ष्य -च्युत कर देती है .व्यक्ति का परसेप्शन ,समाज के प्रति रवैया विकृत कर देती है ईर्ष्या .सामजिक व्यवहार में अपनाए गए संवेग हमारे भौतिक (कायिक )और मानसिक स्वास्थ्य पर सीधा असर डालतें हैं .सीधे सीधे हमारे देखने जगत को परखने को ही असर ग्रस्त कर डालती है ईर्ष्या ।
जेलिसी केन प्रेक्टिकली ब्लाइंड यु (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अप्रैल १६ ,२०१० )

1 टिप्पणी:

सर्वत एम० ने कहा…

ईर्ष्या के बारे में यधपि सभी को पता है कि यह जलाकर भस्म कर देती है, कोई फायदा नहीं पहुंचाती, इसके बावजूद इसे गले लगाने और लगाए रहने के मोह से कोई मुक्त भी तो नहीं हो पाता. आज समाज में अपने दुःख से दुखी होने वालों की संख्या कम है बनिस्बत दूसरों की खुशी से दुखी होने वालों की संख्या से.
आपने बहुत संक्षेप में बेहद गम्भीर और उपयोगी लेख पेश किया (बशर्ते ईर्ष्यालुओं पर इसका कुछ प्रभाव पड़े).
आप मेरे ब्लाग पर आए, पढ़ा, कमेन्ट दिया, अच्छा लगा, शुक्रिया. आशा है मेल-मुलाक़ात का यह सिलसिला आगे भी बना रहेगा. मैं थोडा काहिल हूँ, देर लगे तो मुझे टोक देने का अधिकार तो आपके पास है ही. उम्र में बड़े होने का लाभ आपको ही मिलना है.