गुरुवार, 22 अप्रैल 2010

कर भला, हो भला ,अंत भले का भला

मन की उदारता दान -पुण्य,दयालुता ,पर- हितेषिता(चैरिटी )दाता को मानसिक मजबूती ,दृढ- प्रतिग्यता प्रदान करती है .हालिया संपन्न दो दो अध्धय्यनों से यही ध्वनित हुआ है ।
कहा भी गया है -परहित सरस धरम नहीं भाई ।
एक अध्धययन हारवर्ड विश्व -विद्यालय में किया गया जिसके तहत वोलान्तीयार्स को एक एक डॉलर दिया गया .अपनी मर्जी मुताबिक़ उन्हें इसे जनहित में लगाने या फिर अपने ऊपर खर्च करने की छूट दी गई .अब उनसे एक एक वेट थामे रहने के लिए कहा गया .जिन लोगों ने परहित में यह राशि खर्च की वह १० सेकिंड देर तक वजन को थामे रहे एक अन्य परीक्षण में उन लोगों में ज्यादा देर तक काम करते रहने की सामर्थ्य पाई गई जो जनहित के बारे में सोच रहे थे ..बनिस्पत उनके जो इस और से उदासीन बने रहे .इनमे सहन शीलता ,धैर्य भी अधिक दिखलाई दिया ।
लेकिन सबमे सबसे ज्यादा दृढ उन्हें पाया गया जो दूसरे को नुक्सान पहुचाने की बात सोच रहे थे ।
एक और अध्धय्यन में लोगों को एक ऐसे खेल में शरीक होने को कहा गया जिसमे नकदी (कैश )औरों को देना -बांटना था .जिन लोगों ने दूसरो को खुलकर धन -राशि बांटी उन्हें ज्यादा लोगों ने पसंद किया .इन्हें भरोसे का आदमी भी औरों से बेहतर समझा माना गया ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-'हेल्पिंग अदर्स केंन मेक पीपल तफ़र (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अप्रैल २२ ,२०१० )

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