रविवार, 18 अप्रैल 2010

अवसाद से जुडी है स्मोकिंग की नव्ज़?

धूम्र -पान करने वाले वयस्कों (बालिगों ,एडल्ट्स )के बारे में अमरीकी सेंटर फॉर हेल्थ स्टेटिस्टिक्स ने जो व्यापक आंकड़े जुटाएं हैं उनसे विदित होता है जो लोग डिप्रेशन की जद में रहतें हैं उनके धूम्र -पान करने की संभावना नॉन -स्मोकर्स से दो गुनी बनी रहती है .अवसाद ग्रस्त बालिग़ रोजाना एक से ज्यादा डिब्बी सिगरेट्स की फूंक डालतें हैं .यहदर नॉन स्मोकर्स से दोगुना ज्यादा रहती है ।
यु .एस सेंटर फॉर हेल्थ स्टेटिस्टिक्स, सेंटर फॉर दीजीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का ही एक अंग है .पता चला है ,बीस बरस और इससे ज्यादा उम्र के ४३ फीसद लोग स्मोक करतें हैं जबकि गैर -धूम्र पानियों में यह प्रतिशत २२ रहा है ।
४० -५४ साला मर्दों तथा २० -३९ साला औरतों में यह फिनोमिना ज्यादा दिखलाई दी है ।
४० -५४ साला अवसाद ग्रस्त लोगों में जहां आधे से ज्यादा स्मोकर्स थे वहीँ इसी आयु वर्ग के नॉन -स्मोकर्स में यह ट्रेंड एक चौथाई में ही दिखलाई दिया है ।
२० -३९ साला अवसाद ग्रस्त महिलाओं में आधी स्मोक करती हैं जबकि नॉन स्मोकर्स महिलाओं के लिए इसी आयु वर्ग के लिए यह दर २१ फीसद रही ।
जिन मर्दों में डिप्रेशन के मामूली से भी लक्षण थे उनके स्मोकर्स होने की संभावना ज्यादा पाई गई बरक्स उनके जिनमे इस क्रोनिक इलनेस के लक्षण नहीं थे ।
यह भी पता चला अवसाद ग्रस्त लोगों को सिगरेट की लत छोड़ने में ज्यादा दिक्कतें पेश आतीं हैं ।
सन्दर्भ सामिग्री :डिप्रेस्ड एडल्ट्स स्मोक मोर ,फाइंड ईट डिफिकल्ट तू क्वीट (टाइम्स सोफ़ इंडिया ,अप्रैल १६ ,२०१० )

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