रविवार, 24 सितंबर 2017

कहो दिल खोलके जो भी कहो अपनों से कहना है

अभी से थक के बैठे हो अभी तो दूर जाना है ,

वही किस्से  पुराने हैं उन्हें क्या आज़माना है।

वो अपनी राह जाते हैं तुम्हें अपनी पे रहना है ,

तुम्हें क्या उनसे लेना है तुम्हे क्या उनको देना है।

न कुछ उनसे है अब कहना न कुछ उनसे  सुनना है।

कहो  दिल खोलके जो भी कहो अपनों से कहना है। 

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