क्या लाइलाज रक्त कैंसर मायो -लोमा का इलाज़ सम्भव है ,क्या हैं विकल्प ?प्रोग्नोसिस ?यानी रोगमुक्त होने की संभावना (मीज़ान ).
इलाज़ का मामला इस बात पर निर्भर करता है ,रोग किस चरण में है बिना लक्षणों वाला (Smoldering Myoloma ,SMM)बना हुआ है या प्रकटीकरण हो चुका है उग्र लक्षणों का जो मुखरित हैं। SMM के लिए लक्षणों के प्रकटीकरण से पहले इलाज़ ज़रूरी नहीं समझा गया है और ऐसा चंद बरसों महीनों से लेकर बरसों बरस भी रह सकता है।
(१) उग्र लक्षण मायलोमा के मामलों के लिए परम्परा गत रसायन चिकित्सा (कीमो -थिरेपी )और विकिरण (Radiation Therapy )उपलब्ध है।
(२ )कभी -कभार स्टीरॉइड्स भी दिए जाते हैं
(३ )रेडियोथिरेपी उन मामलों में दी जाती है जिनमें लोकलाइज़्ड बॉन -पेन(हड्डियों में दर्द लोकेलाइज़्ड ट्यूमर्स यानी कैंसर गांठ के पैदा होने से होने लगा है )रेखांकित हो चुका है ऐसा ट्यूमर स्थानीय तौर पर।
(४) हड्डियों की नुकसानी के कुछ मामलों में कभी -कभार यूं बिरले ही मामलों में शल्य चिकित्सा भी की जाती है। (बॉन प्लास्टी ).
(५) कुछ मामलों में अस्थि -मज़्ज़ा प्रत्यारोप (Bone -Marrow -Transplant )आज़माया जाता है,जो लक्षणों पर निर्भर करता है।
इसके अंतर्गत मरीज़ का अपना अस्थि -मज़्ज़ा भी लिया जा सकता है (autologous or stem cell trasplantation ).प्रत्यारोप के लिए कलम कोशिकाएं किसी डोनर की भी ली जा सकती हैं (allogenic bone marrow transplant ).
कस्टमाइज़्ड ट्रीटमेंट के दौर में हम कदम रखने लगें हैं। जीनोमिक चिकित्सा भी आज़माई जा रही है कलम -कोशा चिकित्सा भी जिसमें अस्थि मज़्ज़ा के DNA से पहले जीन नक्शा तैयार किया जाता है। किसी एक मरीज़ के लक्षण दूसरे से एकदम मिलते हों यहां यह बिलकुल भी ज़रूरी नहीं है।
सहायक चिकित्सा के रूप में हर्बल ट्रीटमेंट भी लिया जा सकता है अन्य विकल्प भी बस ऐसी वैकल्पिक चिकित्सा पार्श्व प्रभावों से तालमेल बिठाने में मददगार हो सकती है।
Astragalus इस रोग में कमतर रह गये वाइट ब्लड सेल्स की भरपाई कर सकता है। प्लाज़्मा सेल्स इन्हीं की एक किस्म होती हैं जिन्हें एब्नॉर्मल प्रोटीन इस रोग में बे -असर एवं घटाकर कमतर करने लगतीं हैं -खुद अपाना कुनबा बढ़ा कर।
आज अभिनव दवाएं ,दवाओं की अनेकानेक किस्में उपलब्ध है। रणनीति प्लाज़्मा सेल्स की नुकसानी को कमतर करने मुल्तवी रखने की रहती है ताकि मरीज़ अधिक से अधिक नार्मल स्टेट में रह सके ,महसूस कर सके नीअर नॉर्मेलेसि को . लांजेविटी को लगातार बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो रहीं हैं नूतन दवाएं और इनके कॉम्बो। आस पे दुनिया कायम है। कुदरत का अपना विधान भी काम करता है।मोहलत के कुछ और बरस इलाज़ मुहैया करवा रहा है।
सन्दर्भ -सामिग्री :http://www.prokerala.com/health/diseases/cancer/myeloma.htm
इलाज़ का मामला इस बात पर निर्भर करता है ,रोग किस चरण में है बिना लक्षणों वाला (Smoldering Myoloma ,SMM)बना हुआ है या प्रकटीकरण हो चुका है उग्र लक्षणों का जो मुखरित हैं। SMM के लिए लक्षणों के प्रकटीकरण से पहले इलाज़ ज़रूरी नहीं समझा गया है और ऐसा चंद बरसों महीनों से लेकर बरसों बरस भी रह सकता है।
(१) उग्र लक्षण मायलोमा के मामलों के लिए परम्परा गत रसायन चिकित्सा (कीमो -थिरेपी )और विकिरण (Radiation Therapy )उपलब्ध है।
(२ )कभी -कभार स्टीरॉइड्स भी दिए जाते हैं
(३ )रेडियोथिरेपी उन मामलों में दी जाती है जिनमें लोकलाइज़्ड बॉन -पेन(हड्डियों में दर्द लोकेलाइज़्ड ट्यूमर्स यानी कैंसर गांठ के पैदा होने से होने लगा है )रेखांकित हो चुका है ऐसा ट्यूमर स्थानीय तौर पर।
(४) हड्डियों की नुकसानी के कुछ मामलों में कभी -कभार यूं बिरले ही मामलों में शल्य चिकित्सा भी की जाती है। (बॉन प्लास्टी ).
(५) कुछ मामलों में अस्थि -मज़्ज़ा प्रत्यारोप (Bone -Marrow -Transplant )आज़माया जाता है,जो लक्षणों पर निर्भर करता है।
इसके अंतर्गत मरीज़ का अपना अस्थि -मज़्ज़ा भी लिया जा सकता है (autologous or stem cell trasplantation ).प्रत्यारोप के लिए कलम कोशिकाएं किसी डोनर की भी ली जा सकती हैं (allogenic bone marrow transplant ).
कस्टमाइज़्ड ट्रीटमेंट के दौर में हम कदम रखने लगें हैं। जीनोमिक चिकित्सा भी आज़माई जा रही है कलम -कोशा चिकित्सा भी जिसमें अस्थि मज़्ज़ा के DNA से पहले जीन नक्शा तैयार किया जाता है। किसी एक मरीज़ के लक्षण दूसरे से एकदम मिलते हों यहां यह बिलकुल भी ज़रूरी नहीं है।
सहायक चिकित्सा के रूप में हर्बल ट्रीटमेंट भी लिया जा सकता है अन्य विकल्प भी बस ऐसी वैकल्पिक चिकित्सा पार्श्व प्रभावों से तालमेल बिठाने में मददगार हो सकती है।
Astragalus इस रोग में कमतर रह गये वाइट ब्लड सेल्स की भरपाई कर सकता है। प्लाज़्मा सेल्स इन्हीं की एक किस्म होती हैं जिन्हें एब्नॉर्मल प्रोटीन इस रोग में बे -असर एवं घटाकर कमतर करने लगतीं हैं -खुद अपाना कुनबा बढ़ा कर।
आज अभिनव दवाएं ,दवाओं की अनेकानेक किस्में उपलब्ध है। रणनीति प्लाज़्मा सेल्स की नुकसानी को कमतर करने मुल्तवी रखने की रहती है ताकि मरीज़ अधिक से अधिक नार्मल स्टेट में रह सके ,महसूस कर सके नीअर नॉर्मेलेसि को . लांजेविटी को लगातार बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो रहीं हैं नूतन दवाएं और इनके कॉम्बो। आस पे दुनिया कायम है। कुदरत का अपना विधान भी काम करता है।मोहलत के कुछ और बरस इलाज़ मुहैया करवा रहा है।
सन्दर्भ -सामिग्री :http://www.prokerala.com/health/diseases/cancer/myeloma.htm
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