शुक्रवार, 15 सितंबर 2017

माथे की बिंदी आबरू का शाल है हिंदी

हिंदी दिवस पर विशेष 

माथे की बिंदी आबरू का शाल है हिंदी ,

है देश मिरा  भारत ,टकसाल है हिंदी। 

है आरती का थाल मिरी  सम्पदा हिंदी ,

संपर्क की सांकल सभी है खोलती हिंदी। 

गुरुग्रंथ ,दशम ग्रन्थ भली रही हो कुरआन ,

एंजिल हो धम्मपद भले फिर चाहें पुराण ,

है शान में सबकी मिरी  लिखती रही जुबान ,

हैं सबके सब स्वजन मिरे ,सबकी मेरी हिंदी।

कर जोड़ के प्रणाम करे ,आपको हिंदी।  

है शान में सबकी मिरी , लिखती रही जुबान ,

शोभा में सबकी शान में, लिखती मिरी हिंदी। 

मैं तमाम हिंदी सेवकों को उनकी दिव्यता को प्रणाम करता हूँ। 

2 टिप्‍पणियां:

SANDEEP PANWAR ने कहा…

हिन्दी मेरी शान, मेरी पहचान

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

लिखने, पढ़ने, कहने में गर्व महसूस करें !