चिकित्सा झरोखा :"क्या और कैसे ?"
क्या है महाधमनी वाल्व का संकरा पड़ना।यानी Aortic Valve Stenosis ?
क्यों हो जाता है यह हृद रोशनदान नैरो ?
उम्र बढ़ने के साथ -साथ साठ के दशक के पार के अक्सर हमारे हृदय के चार रोशनदानों में से यह महारोशनदान (Aortic Valve ) संकरा होके खून के संचरण में रुकावट पैदा करने लगता है क्योंकि यह पूरी तरह अब खुल नहीं पाता है फलत:ब्लड सर्कुलेशन के कारण वाल्व के बंद होने से पैदा लुब-डुब साउंड में भी बदलाव आता है जिसकी वजह बनता है हृदय के आसपास प्रवाह में पैदा होने वाला विक्षोभ। यह साउंड अब एक सरसराहट जैसी (Whooshing,Svishing जैसी लगने लगती है जैसे तेज़ी से बहती हवा सनसनाहट पैदा करे आवेग से बहता पानी सरसराहट पैदा करे। इस स्थिति को ही एआटिक वाल्व स्टेनोसिस (Aortic Valve Stenosis)कहा गया है। तथा इस असामान्य ध्वनि को जो इस स्थिति में वाल्व के बंद होने से पैदा हो रही है हार्ट -मर्मर कहा जाता है।
इसकी शिनाख्त हृद रोग का माहिर छाती की पड़ताल स्टेथोस्कोप से करके आसानी से कर लेता है। बस हो गया रोगनिदान।
अब क्योंकि रक्तप्रवाह में विक्षोभ पैदा होने लगता है इसलिए हृदय से बा -रास्ता मुख्यधमनी (Aorta )आगे शेष शरीर को रक्त पहुंचाने के लिए हृदय को अब अपेक्षाकृत ज्यादा काम करना पड़ता है। इस स्थिति में हृदय की कुल रक्त उलीचने पम्प करने (सिस्टोलिक स्ट्रोक )की क्षमता भी घटने लगती है। इसका दुष्प्रभाव हमारी हृद्पेशी (कार्डिएक मसल )को भुगतना पड़ सकता है। पेशी की मोटाई भी बढ़ सकती है वाल्व के आसपास कैल्शियम भी जमा हो सकता है। इसे ही केलिफिकेशन आफ एओटा कहा जा सकता है। यह भी रोग की एक वजह बन सकता है।
शिनाख्त न होने पर हृद पेशी को होने वाला नुक्सान बढ़ सकता है इलाज़ के अभाव में अनेक लक्षण जो अब तक मूक थे मुखरित होने लगते हैं। जबकि रोगनिदान समय से होने पर वाल्व की मरम्मत के अलावा दवाओं से भी इस स्थिति में आराम आ सकता है।अन्य पेचीला लक्षणों से जैसे री-जर्जी -टेशन (आगे बढ़ते हुए रक्त का महाधमनी में वापस लौटने लगना ) से बचाव हो जाता है।
सन्दर्भ -सामिग्री :http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/aortic-stenosis/home/ovc-20343384
क्या है महाधमनी वाल्व का संकरा पड़ना।यानी Aortic Valve Stenosis ?
क्यों हो जाता है यह हृद रोशनदान नैरो ?
उम्र बढ़ने के साथ -साथ साठ के दशक के पार के अक्सर हमारे हृदय के चार रोशनदानों में से यह महारोशनदान (Aortic Valve ) संकरा होके खून के संचरण में रुकावट पैदा करने लगता है क्योंकि यह पूरी तरह अब खुल नहीं पाता है फलत:ब्लड सर्कुलेशन के कारण वाल्व के बंद होने से पैदा लुब-डुब साउंड में भी बदलाव आता है जिसकी वजह बनता है हृदय के आसपास प्रवाह में पैदा होने वाला विक्षोभ। यह साउंड अब एक सरसराहट जैसी (Whooshing,Svishing जैसी लगने लगती है जैसे तेज़ी से बहती हवा सनसनाहट पैदा करे आवेग से बहता पानी सरसराहट पैदा करे। इस स्थिति को ही एआटिक वाल्व स्टेनोसिस (Aortic Valve Stenosis)कहा गया है। तथा इस असामान्य ध्वनि को जो इस स्थिति में वाल्व के बंद होने से पैदा हो रही है हार्ट -मर्मर कहा जाता है।
इसकी शिनाख्त हृद रोग का माहिर छाती की पड़ताल स्टेथोस्कोप से करके आसानी से कर लेता है। बस हो गया रोगनिदान।
अब क्योंकि रक्तप्रवाह में विक्षोभ पैदा होने लगता है इसलिए हृदय से बा -रास्ता मुख्यधमनी (Aorta )आगे शेष शरीर को रक्त पहुंचाने के लिए हृदय को अब अपेक्षाकृत ज्यादा काम करना पड़ता है। इस स्थिति में हृदय की कुल रक्त उलीचने पम्प करने (सिस्टोलिक स्ट्रोक )की क्षमता भी घटने लगती है। इसका दुष्प्रभाव हमारी हृद्पेशी (कार्डिएक मसल )को भुगतना पड़ सकता है। पेशी की मोटाई भी बढ़ सकती है वाल्व के आसपास कैल्शियम भी जमा हो सकता है। इसे ही केलिफिकेशन आफ एओटा कहा जा सकता है। यह भी रोग की एक वजह बन सकता है।
शिनाख्त न होने पर हृद पेशी को होने वाला नुक्सान बढ़ सकता है इलाज़ के अभाव में अनेक लक्षण जो अब तक मूक थे मुखरित होने लगते हैं। जबकि रोगनिदान समय से होने पर वाल्व की मरम्मत के अलावा दवाओं से भी इस स्थिति में आराम आ सकता है।अन्य पेचीला लक्षणों से जैसे री-जर्जी -टेशन (आगे बढ़ते हुए रक्त का महाधमनी में वापस लौटने लगना ) से बचाव हो जाता है।
सन्दर्भ -सामिग्री :http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/aortic-stenosis/home/ovc-20343384
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