सुपरस्ट्रोम सैंडी (हरिकेन सैंडी ):दूसरी क़िस्त
अमरिकी अन्तरिक्ष संस्था "नासा "ने सुपरस्टॉर्म सैंडी (हरिकेन सैंडी )की विनाश लीला के दायरे का जायज़ा अपने उपग्रह एकुवा (Satellite aqua) के
द्वारा लिया है .पता चला है यह अठारह लाख वर्ग मील का
इलाका तय करता हुआ मध्य अन्धमहासागर से शुरू हो कर ओहायो घाटी होता हुआ कनाडा और न्यू इंग्लैण्ड तक पहुँचा है . यह उपग्रह एक
स्पेक्ट्रोरेडिओमीटर से लैस था
(Moderate Imaging spectro -radiometer ,MODIS).
इसका पृथ्वी पर अवतरण बोले तो तांडव चित्र मुहैया करवाने के घंटों बाद हुआ .
Sandy Was Still a Hurricane After Landfall
अक्तूबर 29 ,2012 इस्टरन डे- लाईट टाइम 11 पी एम(11PM,EDT)
इस वक्त इसका केंद्र पेंसिलवानिया राज्य के फिलाडेल्फिया से 15 किलोमीटर दूर दक्षिण पश्चिम ,(39.8 नार्थ ,75.4 वेस्ट )था .अभी तक इसे हरिकेन का
ही दर्ज़ा हासिल था क्योंकि हवाओं की चाल अभी तक 75 मील प्रति घंटा के आसपास कायम थी .(74 मील प्रति घंटा से ऊपर चाल का मतलब होता है
चक्रवात हरिकेन हैं ).
इसकी न्यूनतम केन्द्रिय दाब बढ़कर 952 मिलिबार हो गई थी (मिलिबार वायुमंडलीय प्रेशर/दाब मापन के लिए प्रयुक्त होता है एक बार का हजारवां
अंश है
यह ,जबकि एक बार =10,0000न्यूटन /वर्ग मीटर,बोले तो सामान्य वायुमंडलीय दाब को कहा जाता है ).
इस वक्त यह उत्तर दिशा में 30 किलोमीटर प्रति घंटा की चाल से बढ़ रहा था .
इसका असर बल प्रसार (HURRICANE- FORCE- WIND)सेंटर आफ सर्कुलेशन से 150 किलोमीटर पूरब दिशा में था .
TROPICAL STORM FORCE WINDS HOWEVER WENT MUCH FURTHER AS FAR AS 780 KILOMETRE .
नासा के भू -समस्थानिक मौसम उपग्रह (जिओ-स्टेशनरी -वेदर
सेटेलाईट,GEOSTAIONARY WEATHER SATELLITE )ने इसके जन्म से पृथ्वी
सेटेलाईट,GEOSTAIONARY WEATHER SATELLITE )ने इसके जन्म से पृथ्वी
पर अवतरण तक इसका पूरा ब्योरा मुहैया करवाया है .
गौर तलब है भूमध्य रेखा पर पृथ्वी की घूर्णन चाल (नर्तन वेग ,स्पीड ऑफ़ रोटेशन )1038 मील
प्रति घंटा होती है .हालाकि ध्रुवों पर यह नर्तन शून्य रहता है तकरीबन . पृथ्वी अपनी जगह खड़ी
रहती तब और बात होती .
पैदा होते ही यह चक्रवात अपने इस उद्गम स्थल से निकल भाग खड़ा होता है .नम और
अपेक्षाकृत गुनगुनी वायु -राशि इसे बनाए रखती है .
उत्तुंग गर्जन मेघों से अधिकतम बरसात गिरती है .यहाँ हवाएं भी अधिकतम आवेग लिए होतीं
हैं वेगवान झंझा होती है यह .
चक्रवात की आंख के गिर्द एक 20-30 किलोमीटर की गर्जन मेघ दीवार ही खड़ी हो जाती है और
इस
."चक्रवाती
आँख "के गिर्द मदमाती हवाओं का वेग 200 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकता है .
क्या आप सोच सकतें हैं एक पूर्ण यौवन को प्राप्त चक्रवात एक सेकिंड में बीस लाख टन वायु
राशि उलीचने लगता है .
ऐसे घटाटोप में एक दिन में इतनी बरसात गिर जाती है जितनी लन्दन जैसे एक महानगर पर
एक बरस में गिरती है .
Super Storm Sandy
पृथ्वी के ऊपर जल है .जल के ऊपर अग्नि और अग्नि के ऊपर वायु .वायु के ऊपर आकाश है
.जब जल और वायु विक्षुब्ध होतें हैं तो ज्यादा घातक हो जाते हैं दोनों के परस्पर संघर्षं से
चिंगारियां निकलतीं हैं जो
Cyclones, hurricanes and typhoons are all essentially the same thing, they simply receive different names depending on where they occur. == == == -- Hurricane: a violent wind which has a circular movement, especially found in the West Atlantic Ocean. A hurricane is actually a violent storm formed with water which causes heavy rains and fierce winds and they can cause flooding of streets and homes. -- Cyclone: a violent tropical storm or wind in which the air moves very fast in a circular direction. They can be formed over tropical waters, bar the Southeast Pacific and the South Atlantic Oceans. Technically, all hurricanes are cyclones but not all cyclones are hurricanes: if their wind speed is over 74 miles per hour, they're hurricanes, if not, they're just cyclones or tropical storms.
कैसे पैदा होते हैं चक्रवात ?
भूमध्य रेखा के नजदीकी अपेक्षाकृत गुनगुने समुन्दर (26 सेल्सियस या अधिक ) चक्रवातों के
उद्गम स्थल समझे जाते हैं .इन समुन्दरों के ऊपर की हवा
सूर्य से ऊष्मा ले गर्म होते हुए तेज़ी से ऊपर उठती है (ऊर्ध्व गति करती है ).अपने पीछे यह एक
कम दवाब का क्षेत्र (लो प्रेशर रीजन )छोड़ जाती है .ऊपर
उठने के क्रम में यह वायु से नमी लेती चलती है .हवा में तैरते धूल कणों पे जमते जमते
,संघनित होने के क्रम में गर्जन मेघ (Thunder clouds)बन
जाते
हैं .
जब यह गर्जन तर्जन मेघ अपना वजन नहीं संभाल पाता मुक्त रूप से गिरने लगता है
(भारतीय नेताओं के चरित्र सा )यही गिरता हुआ बादल बरसात
(नेताओं के सन्दर्भ में भ्रष्टाचार )कहलाता है.
चक्रवात बनने की कहानी की और लौटें :
गर्जन मेघ बन जाते हैं से आगे चलिए -
कम दवाब का जो क्षेत्र बनता है जो एक शून्य उपजता है ,खालीपन पैदा होता है हवा के ऊपर उठ
जाने से उसे भरने उसकी आपूर्ति के लिए ठंडी वायु राशि
तेजीसे दौड़ी आना चाहती तो है लेकिन पृथ्वी का नर्तन ,धुरी पर लट्टू की मानिंद घूमना हवा को
पहले अपने ही अन्दर की ओर मोड़ देता है और फिर
हवा तेजी से खुद
नर्तन ,आघूरण (
घूर्णन )करती ऊपर की ओर दौड़ती है वेगवान होकर .एक और घटना घटती है वायु की विशाल
राशि घूर्णन (नर्तन करती बेले डांसर सी )एक बड़ा घेरा
बनाने लगती है जिसकी परिधि का विस्तार 2000 किलोमीटर या और भी ज्यादा हो सकता है .
प्रति घंटा होती है .हालाकि ध्रुवों पर यह नर्तन शून्य रहता है तकरीबन . पृथ्वी अपनी जगह खड़ी
रहती तब और बात होती .
गौर कीजिए इस गोल गोल घूमते बवंडर का केंद्र शांत होता है ,अजी साहब यहाँ कोई बादल
फादल भी नहीं होता .इसे ही चक्रवात की आँख ,
आई ऑफ़ दी स्टॉर्म कहा जाता है यहाँ कोई बादल ही नहीं तो बिन बादल बरसात कैसी .ज़ाहिर है
इस हिस्से में कोई बरसात नहीं गिरती है .हवाएं भी शांत
होती हैं कोई आंधी तूफ़ान का भय भी पैदा नहीं करतीं हैं .
पैदा होते ही यह चक्रवात अपने इस उद्गम स्थल से निकल भाग खड़ा होता है .नम और
अपेक्षाकृत गुनगुनी वायु -राशि इसे बनाए रखती है .
उत्तुंग गर्जन मेघों से अधिकतम बरसात गिरती है .यहाँ हवाएं भी अधिकतम आवेग लिए होतीं
हैं वेगवान झंझा होती है यह .
चक्रवात की आंख के गिर्द एक 20-30 किलोमीटर की गर्जन मेघ दीवार ही खड़ी हो जाती है और
इस
."चक्रवाती
आँख "के गिर्द मदमाती हवाओं का वेग 200 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकता है .
क्या आप सोच सकतें हैं एक पूर्ण यौवन को प्राप्त चक्रवात एक सेकिंड में बीस लाख टन वायु
राशि उलीचने लगता है .
ऐसे घटाटोप में एक दिन में इतनी बरसात गिर जाती है जितनी लन्दन जैसे एक महानगर पर
एक बरस में गिरती है .
.जब जल और वायु विक्षुब्ध होतें हैं तो ज्यादा घातक हो जाते हैं दोनों के परस्पर संघर्षं से
चिंगारियां निकलतीं हैं जो
अग्नि का ही रूप हैं .आकाश में लटका बादल जल का ही रूप है .पृथ्वी जिस समुन्दर को धारे हुए
है वह खुद एक ताप इंजन की तरह काम करने लगता है .ऊर्जा अंतरित करता रहता है समुन्दर
वायुमंडल में .आखिर सूरज सबको देता है ,समुन्दर को छप्पर फाड़ के देता है जिसमें जल की
अपार राशि है.जल में ऊष्मा समोए रखने का अपार गुण है .सबसे ज्यादा है उसकी ऊष्मा
धारिता .सबसे ज्यादा होती है जल की विशिष्ट ऊष्मा .समुन्दर से ऊर्जा ग्रहण कर हवा ऊपर
उठती है बहुत ऊपर उठकर गोल गोल घुमने लगती
धारिता .सबसे ज्यादा होती है जल की विशिष्ट ऊष्मा .समुन्दर से ऊर्जा ग्रहण कर हवा ऊपर
उठती है बहुत ऊपर उठकर गोल गोल घुमने लगती
है बवंडर सी ,एक विद्युत् धारण करती है इस नर्तन से .इसी विद्युत् के साथ में चला आता है
एक चुम्बकीय क्षेत्र
एक चुम्बकीय क्षेत्र
जो तूफ़ान लिए आता
है .
शरीर के भीतर भी जल है ,वायु है आकाश है ,अग्नि है ,.शरीर के भीतर यदि ये पञ्च तत्व
विक्षुब्ध हो
विक्षुब्ध हो
जाएं तो पागलपन की स्थिति आ जाती है .
और यदि प्रकृति में यही तत्व विक्षुब्ध हो जाएं तो आंधी और तूफ़ान ,झंझावात की स्थिति आती
है ,जो कभी चक्रवात कहातें हैं उष्ण कटिबंधी और कभी हरीकेन (हुरिकैन ),कभी टाइफून और
कभी
कभी
सुनामी .
ये निश्चित और तात्विक नाम नहीं हैं .स्थानीय हैं .अलग अलग देशान्तरों पर अलग अलग नाम
रूप ले लेतें हैं .इनका नामकरण भी ऐसे किया जाता है जो अधिक भय पैदा न करे .
साइक्लोन ,हुरीकेन और टाइफून तात्विक रूपसे एक ही हैं नामकरण तय होता है स्थानीयता से
,कहाँ पैदा हुए दिखे ये चक्रवात बोले तो बवंडर हवा के बगूले .कितने देशांतर पर .कौन से
समुन्दर के गिर्द .
सुनामी आती है समुन्दर के बहुत नीचे subduction earthquake से दो प्लेटों
के परस्पर एक दूसरे पर आरोहण से .महाद्वीपों को कमर पे लादे फिरतीं हैं प्लेटें .इन्हीं के
संघर्षण से भूकम्प आतें हैं .(Theory of plate tectonics).
समुन्दर के गिर्द .
सुनामी आती है समुन्दर के बहुत नीचे subduction earthquake से दो प्लेटों
के परस्पर एक दूसरे पर आरोहण से .महाद्वीपों को कमर पे लादे फिरतीं हैं प्लेटें .इन्हीं के
संघर्षण से भूकम्प आतें हैं .(Theory of plate tectonics).
A cyclone is both the name for the whirling, organised storms we call a hurricane
or tyfoon as well as the name for storms in the Indian ocean.
तकनीकी तौर पर सभी हुरिकैन यद्यपि साइक्लोन ही होतें हैं लेकिन सभी साइक्लोन (चक्रवात
,बवंडर )हुरिकैन नहीं होते .अंतर वायु के प्रचंड वेग से पैदा होता है .
केवल वही चक्रवात हुरिकैन (हरिकेन )कहाते हैं जिनकी विंड स्पीड कमसे कम 74 मील प्रति
घंटा या और भी ज्यादा रहती है .
Satellite view over a hurricane, with the eye at the center
उष्ण कटिबंधी क्षेत्र इनके उद्गम स्थल हैं ,मसलन ऑस्ट्रेलिया का उत्तरी भाग ,दक्षिण पूर्व एशिया और अन्यान्य प्रशांतीय उपद्वीप (Pacific Islands).
बेशक कई मर्तबा ये समशीतोष्ण क्षेत्रों जहां मौसम न बहुत गरम न बहुत ठंडा रहता है ,का रुख कर लेते हैं .यहाँ यह दक्षिण के आबादी बहुल क्षेत्रों के लिए
खतरा पैदा कर देते हैं .उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में हर बरस ग्रीष्म के आद्र मौसम में चार से पांच चक्रवात आतें हैं .
गनीमत यही है चक्रवात बनने के लिए समुन्दर की सतह के जल का तापमान कमसे कम 26 सेल्सियस होना लाज़मी माना गया है .वरना कहर पे कहर
बरपा होता रहे .