गुरुवार, 26 जुलाई 2012

कभी -कभार


धर्मो रक्षति रक्षिता :


इसका शब्दार्थ भारतीयों को बरसों से मालूम है .फिर दोहरा देतें हैं एक बार  हम , सबकी सुविधा के लिए :


आप धर्म की रक्षा करो ,रक्षित धर्म फिर आपकी रक्षा करेगा .


विधायिका का काम है वह नियम बनाए उसकी रक्षा करे रक्षित क़ानून फिर शेष समाज की राष्ट्र की रक्षा करेगा  .


लेकिन यहाँ तो सरकार खुद ही क़ानून का पालन करना भूल गई है .करवाए कैसे और किस्से करवाए ? 


एक बात और है नियम राष्ट्र का होता है .समूचे राष्ट्र को उसका पालन करना होता है .जाति को देख कर नियम तैयार नहीं किया जाता .न ही जाति  को देख कर उसका पालन करवाया जाता है .


लेकिन भारत राष्ट्र में ऐसा ही होता है .


यहाँ कोई अल्पसंख्यक दिखाई दे गया तो उसके लिए नियम कुछ और होगा ,बहु -संख्यक के लिए और .




यहाँ रामदेव के लिए बाल किशन के लिए नियम कुछ और हैं सोनिया और राहुल के लिए कुछ और शाहबानो के लिए कुछ और .


तेजा सिंह के लिए कुछ और हैं जोज़फ़ के लिए और .


यहाँ एस. यु. वी.(स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल ) रखने वालों की सोच देखिये -


अरे भाई साहब इतनी बड़ी कार है तो ऐसे ही नहीं है फुटपाथ पे कूद के भी चढ़ सकती है .अगर आपके पास घर नहीं है तो आत्महत्या करो फुटपाथ पे क्यों सोते हो .


ये अरबाज़ खान /सलमान खान की कार है कहीं भी चढ़ सकती है इसके लिए आप सामान्य नियम लागू नहीं कर सकते .


एक ही महिला थी इस देश में जो खुद क़ानून का पालन करती थी और औरों से भी करवा लेती थी जिसने इंदिरा गांधी तक की कार उठवा ली थी .

इत्तेफाक से फिलवक्त वह देश की चाहत और आदर्श अन्ना जी के साथ है .


बुद्धि विवेक से शून्य कुछ लोग इस आन्दोलन के खिलाफ भी सरकार का पिछलग्गू बनके लग गए हैं .


एक राष्ट्र पति हुए थे इस देश में देश के उत्तर पूरबी राज्यों से उन्होंने थोक के भाव बांग्ला देशी और पाकिस्तान सोच के लोगों को देश में घुसवाया .बोडो मूल आबादी को दबाया .इन हिदू मूल के वासियों की ज़मीन हथियाई .


अब सरकार इन्हीं बोडो लोगों को मारती है .


आप जानते हैं कामरूप में अर्जुन के जाने का विवाह रचाने का उल्लेख है .कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न का भी यहाँ विवाह हुआ था .महाभारत में कामाख्या मंदिर का बारहा ज़िक्र है .आज यही "बोडो" घाटी के हिन्दुओं की तरह  बिना घरौदों के हैं .दोनों बहुसंख्यक थे अल्पसंख्यक बना दिए गए .ऐसा सिर्फ भारत में ही होता है .सेकुलरिज्म के नाम पे और उसका नाम ले लेके होता है .अपना हक़ मांगते  हैं तो सरकार इनका दमन करती है .


सारा मामला क़ानून  और उसके पालन करने करवाने के ढंग  और मनचाहे तरीके से चुनिन्दा लोगों द्वारा उसे तोड़ने से जुड़ा  है .


क़ानून और उसके पालन और पालना का सारा मामला एक दोगले पन  दोहरे पन  से जिस देश में जुड़ा  हो उसकी हिफाज़त भला कौन कर सकता है ..


यहाँ चेहरा देख के क़ानून लागू होता है .


मेट्रो जैसी वैज्ञानिक  व्यवस्था के विस्तार तक में इस देश में रोड़े अटकाए  गएँ हैं .आपको याद होगा पुरानी  दिल्ली के लाल किले और दरिया गंज के बीच एक सुभाष  पार्क है यहाँ मेट्रो के लिए खुदाई करते वक्त एक सात फुट मोटी  दीवार निकली .कहा गया यह दीवार जामा मस्जिद का हिस्सा है .


बात अल्पसख्यक मुख से निकली थी आप्त ववचन बन गई मेट्रो को अपना रास्ता बदलना पड़ा .


भला हो सुप्रीम कोर्ट का जिसने खुदाई दोबारा शुरू करवाई आदेश पारित करके .


अब मस्जिद किसी जगह का नाम तो है नहीं जहां नमाज़ अता करो वह जगह पाकीज़ा हो जाती है मस्जिद हो जाती है .


अल्पसंख्यक इसी का फायदा उठाकर रीयल -टरों 
के नज़रिए  से  उपयोगी ज़मीन पे जुम्मे की नमाज़ पढके उसे हथियाने की कोशिश करते रहें हैं चाहे इलाका इंदिरा गांधी हवाई अड्डे के आसपास का हो या कहीं और का .या फिर धौला कुआँ -गुडगाँव मार्ग पर कोई सड़क के बीचों बीच का हिस्सा हो .क्या कर लेंगे आप इन नमाजियों का ये मेरे सेकुलर देश के अल्पसंख्यक हैं .


अल्पसंख्यकों को इस देश में कौन रोक सकता है, टोक सकता है .


एक देश है जहां कायदे कानूनों का पालन होता है यहाँ नियम राष्ट्र पति की पत्नी के लिए भो वहीँ हैं शाह रुख खान के लिए भी .यहाँ शाह रुख खान अल्पसंख्यक नहीं है सामान्य विजिटर हैं .


सीखो इस देश से कुछ यहाँ एक मर्तबा ही 11/9 हुआ है .

6 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

kabhi us mahila kee tareef bhi kij hi mahila thi jisne pakistan ko uski karni ka maja chakhaya aur ek hi part masjid ka nam hataya .kabhi positive soch se bhi likhen achchha rahega aapke liye bhi aur ham sabhi ke liye bhi प्रणव देश के १४ वें राष्ट्रपति :कृपया सही आकलन करें

Shalini kaushik ने कहा…

kabhi us mahila kee tareef bhi kijiye jiske bare me aap hi nahi lagbhag sabhi ulta pulta hi likhte hain .ek hi mahila thi jisne pakistan ko uski karni ka maja chakhaya aur ek hi party hai jisne desh me roj roj ke dharmik dwand ko ghatne se bachane ke liye masjid ka nam hataya .kabhi positive soch se bhi likhen achchha rahega aapke liye bhi aur ham sabhi ke liye bhi प्रणव देश के १४ वें राष्ट्रपति :कृपया सही आकलन करें

Anita ने कहा…

बहुत कुछ सोचने पर विवश करती पोस्ट !

virendra sharma ने कहा…

शालिनी कौशिक ने कहा…
kabhi us mahila kee tareef bhi kijiye jiske bare me aap hi nahi lagbhag sabhi ulta pulta hi likhte hain .ek hi mahila thi jisne pakistan ko uski karni ka maja chakhaya aur ek hi party hai jisne desh me roj roj ke dharmik dwand ko ghatne se bachane ke liye masjid ka nam hataya .kabhi positive soch se bhi likhen achchha rahega aapke liye bhi aur ham sabhi ke liye bhi प्रणव देश के १४ वें राष्ट्रपति :कृपया सही आकलन करें

27 जुलाई 2012 12:42 am
शालिनी जी आपने बिना सन्दर्भ जुटाए किस सन्दर्भ में मुझे चेताते हुए मेरी भलाई का सोचते हुए ,हम सबकी भलाई को सोचते हुए इंदिराजी का स्तुति गायन किया है उन्हें तो दुर्गा अटल जी ने भी कहा था बांग्ला देश की आज़ादी के सन्दर्भ में .मैंने उनकी आन बान शान के खिलाफ नहीं प्रणव दा को उनका वफादार अपनी किसी टिपण्णी में कहीं बतलाया है बेशक प्रणव दा का हक़ हर बार हिन्दुस्तान के इस राजवंश ने छीना वरना वह ही प्रधान मंत्री होते इस पूडल की जगह जिसके नाम का खिलौना भी अब "सोनी का पूडल "' अगया है उससे भी बहुत पहले नम्बर दो उनका मंत्रिमंडल में आज से नहीं चला आया है ..किस किस की विचार धारा को आप बदलियेगा .मैं आपके मुझसे असहमत होने के विचार का ता उम्र स्वागत करूंगा . आदर करूंगा .
देश में आपात काल भी इसी आयरन लेडी ने थोपा था सभी प्रजातांत्रिक संस्थाओं की धज्जी उड़ा दी थी .बाद इसके प्रजातंत्र बे -मानी ही रहा आया है मेरे भारत देश में .धाराएं इस या उस अल्पसंख्यक को खुश करने के लिए ,क़ानून तोड़ने के लिए घडी जातीं हैं आज भी यही हो रहा है केवल शाहबानो के मामले में ही ऐसा नहीं हुआ था कोंग्रेस के कार्यकाल में,यह बारहा होता रहा है .संविधान सेकुलर पुत्रों के पास गिरवीं पड़ा हुआ है . ..हाई कोर्ट के सिन्हा ने उन्हें उनकी जगह बतलाई थी .और दुष्यंत कुमार ने बौद्धिक भकुओं के लिए ही यह लिखा था -

गज़ब है सच को सच कहते नहीं हैं ,हमारे हौसले पोले हुए हैं ,
हमारा कद सिमट कर घट गया है ,हमारे पैरहन झोले हुएँ हैं .

सोरी आई कें नाट बी दी स्पोक्समेन आफ कोंग्रेस और फॉर देट मेटर इंदिराजी .

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

चिन्तनशील पोस्ट..

surenderpal vaidya ने कहा…

बिल्कुल ठीक कहा है आपने ...।
बहुसंख्य हिन्दु समाज की सहिष्णुता ही उसकी कमजोरी बन गई है । सभी समस्याओँ की जड़ इस आत्मघाती प्रवृति मेँ हैं । सरकार तथा राजनीतिक दल अल्पसंख्यक वोट बैँक में बंधक बन गए हैं । जब तक विशाल हिन्दु समाज अपना वोट बैंक बनाकर संगठित नहीँ हो जाता तबतक ऐसी ही हिन्दु विरोधी नीतियां इस देश में चलती रहेंगी ।