मुक्तावली से जुडी किस्सागोई
मिथ और यथार्थ
Tooth Fairy Tales
Setting straight some crooked ideas about kids and their teeth
क्या कहतीं हैं Dr. Barbara Shearer
मिथ :यदि वह Kindergarten जातें है तब वह अपने दांतों की साफ़ सफाई खुद कर सकतें हैं .
यथार्थ :इन बालकों में इतनी काबलियत नहीं होती इतनी संभाल और समझ नहीं होती कि मुक्तावली को ठीक से ब्रश कर सकें मंजन दातुन अपने आप से ठीक ठीक कर सकें .
यह क्षमता इनमे ८-९ साला होने तक ही आ पाती है .बाद इसके भी इन्हें बारहा याद दिलवाना पड़ता है मुख स्वास्थ्य का .निगरानी भी सुपरविजन भी ज़रूरी है .यह देखे जाना भी कि क्या यह दांतों की सफाई और फ्लासिंग ठीक से कर रहें हैं .
मिथ :बच्चे डरतें हैं दांतों के डॉ. से
यथार्थ : यदि उन्हें अपनी अपेक्षाओं का भान हो तो वह ठीक क्या अच्छी तरह प्रस्तुत कर पातें हैं अपने आप को ,बेहतर रेस्पोंस देतें हैं
मुक्तावली के माहिर को .
अलबत्ता बहुत कुछ इस बात पे ज़रूर निर्भर करता है कि उनके अपने खुद के माँ बाप का रवैया क्या है दांतों के माहिर के बारे में .यदि वह पाजिटिव और सकारात्मक रहतें हैं तब बच्चे भी उनका अनुकरण करते देखे जा सकतें हैं .
बेशक आप किसी बाल दंत माहिर कि तलाश करें यदि आपका बच्चा फिर भी डरा डरा रहता है नर्वस रहता है दांतों के डॉ .के नाम से ही .
अलबत्ता बालकों का अपने दंत माहिर के साथ आराम से रहना और सहज रहना ज़रूरी है .
पहली जांच बच्चे की पहली वर्षगांठ ,सालगिरह तक हो जानी चाहिए .माहिरों की यही सिफारिश है .
मिथ :माँ बाप का काम बस बच्चे को जब उसके दूध के दांत टूटने लगें तब सिर्फ परि कथाएँ सुनकार उसे बहलाना है .
यथार्थ :दूध के दांत बच्चे छ :साला होने तक ढीले होने लगतें हैं हिलने लगते हैं .
यही वह वक्त है जिसके आसपास पक्के स्थाई चर्वण -दंत /दाढ /permanent molars
आने लगतें हैं .
इन दांतों की साफ़ सफाई नियमित करते रहना बहुत ज़रूरी है .
यही वह वक्त है जब बच्चे का टूथ अलाइनमेंट (सीध /संरेखन ) विषम /अ -व्यवस्थित /अनियमित रह सकता है .
असरदार सफाई थोड़ा धैर्य मांगती है जल्दबाजी में नहीं हो पाएगी (आपने देखा है बच्चे हाथ धोने की रस्म अदायगी भी कित्ती जल्दी में करतें हैं ,कोई नहीं बताता उन्हें उंगलियों में उंगली फंसा कर अच्छी तरह से हाथ साफ़ करो ,धीरे धीरे मन मन में कमसे कम आठ तक गिनती गिनो .).
दांतों की ब्रशिंग साफ़ सफाई के मामले में भी ऐसी ही हडबडी देखी जा सकती है .
मिथ :छोटे बच्चों (शिशु ,०-२साला )को दांत साफ़ करने की कोई ज़रुरत नहीं है .
Babies don't need oral care.
यथार्थ : मुख स्वास्थ्य की देख भाल घर पर जल्दी से जल्दी शुरु होनी चाहिए.यकीन मानिए दांत दिखने आने से पहले ही जबड़ों/मसूढ़ों को या तो सोफ्ट बेबी टूथब्रश से साफ़ करें या फिर मुलायम कपडे और पानी से .कपडे को बार बार भिगो निचोड़ के साफ़ पानी में .
पहला नन्ना दांत जैसे ही दिखलाई दे दांत और गम्स (जबड़े /मसूढ़े )सलीके से एक दम मुलामियत के साथ इस दांत और मसूढ़ों को सोफ्ट ब्रश से नियमित साफ़ कीजिए .
मिथ :Candy and soda (read pepsi coco cola) are the only foods parents need to restrict .
यथार्थ : कितने ही खाद्यों में सफ़ेद चीनी का डेरा रहता है .ये तमाम खाद्य दंत क्षय (टूथ डिके) को प्रेरित करतें हैं .
फ़ूड लेबिल्स गौर से पढ़िए .
कई संशाधित खाद्य भले स्वाद में मीठे न भी हों -आलू चिप्स ,आलू के विदेसी चिप्पड,केच अप ,चीनी छिपाए रहतें हैं .
एक ग्लास सोडा (अमरीका में तमाम कार्बोनेटिद मीठे पेय को सोडा ही कहा जाता है ) ६-८ चम्मच चीनी समोए चलता है ,टेट्रा पेक फ्रूट जूस भी ज्यादा पीछे नहीं हैं .
सीमित रखें ऐसे पेय का सेवन .रीड लेबिल्स .
बच्चों को दीजिए संतुलित स्वास्थ्य प्रद खुराक .
12 टिप्पणियां:
रोचक तरीके से दन्तावली पर यह चर्चा
वर दन्त की पंगति कुंद कली
अधराधर पल्लव खोलन की ..
यह है भारतीय प्रतिदर्श!
बिलकुल -
सिखाना पड़ेगा -
अगर फुर्सत मिलेगी तब न ??
अच्छी जानकारी। धन्यवाद।
दांतों की स्वच्छता के संबंध में अच्छी जानकारी।
‘‘दांत सही तो आंत सही‘‘
दांतों की सुरक्षा को लेकर दी गयी अच्छी व महत्वपूर्ण जानकारी !
साभार !!
बहुत बढ़िया
दांतों की सफाई तो जरुरी है...
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (15-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
कमाल तो यह है --शहरी लोग दांतों की सफाई सबसे कम रखते हैं . कुल्ला करने में शरमाते हैं .
बहुत ही बेहतरीन रचना....
मेरे ब्लॉग
विचार बोध पर आपका हार्दिक स्वागत है।
healthy diet is must
पहले खुद सीखना पढ़ेगा इतने अच्छे तरीके से फिर सिखाना पढ़ेगा ... राम राम जी ..
रोचक और अच्छी जानकारी देती किस्सागोई
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