बुधवार, 4 जुलाई 2012

फर्क है एक केलोरी में और दूसरी में

सर्वोत्तम है भूमध्य सागर और उसके आसपास के देशों में प्रचलित खुराक .जो लोग इस खुराक को नियमित लेतें है वह अपना वांच्छित तौल (वजन )बनाए रह सकतें हैं बिना किसी सेहत पे खराब असर के अवांच्छित प्रभाव के .अमरीकी चिकित्सा संस्था की विज्ञान पत्रिका अमरीकन मेडिकल अशोशियेशन में प्रकाशित एक ताज़ा अध्ययन से यही ध्वनी आरही है .
बोस्टन चिल्ड्रन्स अस्पताल के रिसर्चरों ने Cara Ebbeling की अगुवाई में  उन लोगों में आजमाइशों  के ज़रिए तीन अलग अलग खुराकों का तुलनात्मक अध्ययन किया जो अपना तौल पहले ही कम कर चुके थे .

रिसर्चरों ने सारादारोमादार अपने अध्ययन का ऊर्जा खर्ची पर केन्द्रित किया क्योंकि ख़ास खुराक का नियम  निष्ठ होकर पालन करने वालों को अकसर अपने तौल (वजन ) को बनाए रखने के लिए खासे पापड़ बेलने पडतें हैं जूझना पड़ता है .

मकसद यह पता लगाना था  किस खुराक पे चलने से ऊर्जा की खर्ची अधिकतम होती है दिन भर में ताकि वजन में दोबारा से होने वाली बढ़ोतरी से पार पाया जा सके .

दिल की सेहत और मधुमेह रोग के जोखिम को बढाने वाले मार्कर्स की शिनाख्त की गई 

इस एवज सभी प्रतिभागियों में हारमोनों ,एंजाइमों के अलावा खून में मौजूद चर्बी (ब्लड फेट्स )तथा इंसुलिन संवेद्यता (insulin sensitivity )की जांच पड़ताल की गई .

अध्ययन  में  शामिल  थे  २१ ओवरवेट तथा  ओबीस (मोटापे से ग्रस्त ) प्रतिभागी 

उम्र थी इनकी  की १८-४० साला .पहले इन्हें एक तिमाही खुराक ( तीन महीनों के डाईट प्लान )पर रखा गया .जिसके तहत कुल केलोरीज़ की ४५%आपूर्ति कार्बो-हाई -ड्रेतों से ,३०%वसाओं से तथा २५%प्रोटीनों से करवाई गई .

इस दरमियान इनकी तौल में १०-१५%की कमी दर्ज़ हुई .

एक माह बाद सभी प्रतिभागियों को बे तरतीबी के साथ एक एक महीने के लिए अलग अलग तीनों खुराको पर रखा गया .

(१)Low fat :

कम  चिकनाई सनी इस खुराक में कुल  केलोरीज़ का बीस फीसद फेट से ६०%कार्बो -हाई -ड्रेतों से तथा २०%ही प्रोटीनों से प्राप्त कराया गया था .मोटे अनाज और फल तथा तरकारी इस खुराक के केन्द्रीय पात्र थे .फेटि मीट्स (गोश्त ),तेलों और मेवों तथा उच्च वसा  खाद्यों को कम जगह मिली थी इस खुराक में . 

(२)Low -carb:

इस  खुराक  से मिलने वाली कुल केलोरीज़  के जोड़ में १०%कार्बो -हाई -द्रेतों से ३०%प्रोटीनों से तथा ६०%केलोरीज़ फेट से ली जातीं हैं .(एटकिन्स खुराक पर आधारित रखा गया है इसे ).

इसमें सफ़ेद ब्रेड ,सफ़ेद राईस ,पास्ता  ,आलू ,स्टार्च युक्त सब्जियों की हिस्सेदारी कमतर रखी गई है .जबकी गौ मांस ,मच्छी ,चिकिन ,अंडा चीज़ तथा कुछ फलों और हरी तरकारियों को खपाया गया है .

(३)Low- glycemic index:

यह  भूमध्य  रेखा और उसके आसपास पड़ने वाले देशों की खुराक 'मेडी-टारे-नियन खुराक ' के ज्यादा नज़दीक पड़ती है . 

इसकी ४०%केलोरीज़ कार्ब्स से ,४०%वसा से तथा शेष २० %प्रोटीनों  से जुटाई  गईं हैं .इसमें तवज्जो (प्रतिनिधित्व ),मोटे खाद्यान्नों यथा ओट मील्स ,ब्राउन राईस ,वाईट मीट(लो फैट मीट )यथा मच्छी को प्राथमिकता दी गई है .फल और तरकारियाँ भी यहाँ मौजूद हैं .फलियाँ और सेहत के अनुरूप बढ़िया चिकनाई जैतून और नट्स से ली गई है .

इसमें संशाधित खाद्य से यथा शक्ति दूरी बनाए रखी गई है न शक्कर लदे खाद्य है न snack foods.

किसने  ज्यादा खर्चीं केलोरीज़ 

पता चला लो कार्ब प्रतिभागियों ने रोजाना ३२५ केलोरीज़ लो फेट प्रतिभागियों से ज्यादा खर्च कीं .

लेकिन सामने आया एक अवांच्छित परिणाम भी -इनमे एक स्ट्रेस हारमोन कार्टिसोल तथा CRP का स्तर बढ़ा हुआ पाया गया .जहां यह स्तर मारकर है इन्फ्लेमेशन का वहीँ यह दिल की बीमारियों के बढे हुए जोखिम के लिए कुसूरवार माना गया है .

BMJ में हाल ही में प्रकाशित एक और अध्ययन के अनुसार स्वीडन की उन महिलाओं में जो लो कार्ब डाईट पर थीं दिल की बीमारियों का जोखिम २८% बढ़ा हुआ मिला बरक्स उनके जो इसीप्रकार की एटकिन्स खुराक पर नहीं थीं .

अध्ययन  में शामिल जो हिस्सेदार लो ग्लैकेमिक इंडेक्स डाईट ले रहे थे उन्होने ने भी लो फेट खुराकियों के बरक्स १५० केलोरीज़ रोजाना ज्यादा खर्च कीं .इतनी ही केलोरीज़ आप एक घंटा की गई मोडरेट एक्सरसाइज़ में खर्च कर देतें हैं .अलावा इसके इस खुराक से इनके लिए दिल की बीमारियों का कोई जोखिम भी  पैदा नहीं हुआ .

लो फेट खुराकियों ने दिन भर में सबसे कमतर केलोरीज़ बर्न कीं .अलावा इसके इनमे ट्राई -ग्लीस -रा -इड्स का स्तर ज्यादा और दिल के मुफीद समझे गए एच ड़ी एल कोलेस्ट्रोल का स्तर कम मिला .

क्या किया जाए तौल को कम रखने और दिल की बीमारियों से बचे रहने के लिए ?

“For weight loss and heart disease prevention, avoid diets that severely restrict any major nutrient, either fat or carbohydrate,” study author Dr. David Ludwig, director of the New Balance Foundation Obesity Prevention Center at Boston Children’s Hospital, told Bloomberg News. “Instead focus on reducing the highly processed carbohydrates that cause surges and crashes in blood sugar like white bread, white rice, prepared breakfast cereals, those low-fat snack foods and concentrated sugars.”

ज़ाहिर है खुराक में से किसी भी पुष्टिकर तत्व को एक दम से बहिष्कृत कर दने में कोई अक्लमंदी नहीं है जोखिम ही है भले चाहे वह पुष्टिकर तत्व कार्ब से चला आरहा हो या वसा से .आप सीमित कर सकतें हैं अतिरिक्त रूपसे संसाधित कार्ब्स को जो ब्लड सुगर में उछल कूद मचातें हैं .हाई और आकस्मिक डिप के बीच .सफ़ेद चीज़ें ज्यादा कुसूरवार हैं चाहे वह वाईट ब्रेड हो या वाईट राईस ,लो फेट स्नेक्स फूड्स हों या शक्कर लदी  चीज़ें .

आखिरी सन्देश है क्या इस अध्ययन का याद रखने के लिए 

    फर्क है एक केलोरी में और दूसरी में 

यह फर्क अपचयन की दृष्टि से मुखर होता है .असल बात है केलोरीज़ की गुणवत्ता का  .आखिर में यही केलोरी जो इनपुट के बतौर ली गई है खर्च की गई के- लोरीज़ का निर्धारण करेगी .आप खर्च कितनी केलोरीज़ करतें हैं गुणवता ही तय करेगी  ली गई केलोरीज़ की .


बीच का रास्ता खंगालती है लो ग्लाईकेमिक इंडेक्स डाईट 

यहाँ किसी भी पुष्टिकर तत्व में ख़ास कटौती नहीं है विविधता भी है  इस खुराक में पुष्टिकर तत्वों की दृष्टि से .खाने में भी विविधता बनाए रखने  और तौल कम रखने में भी कारगर रहती है यह खुराक .

Ludwig says the low-glycemic index diet represents a good “middle ground” — it doesn’t drastically reduce any major nutrient, and instead focuses on including a wide variety of foods with high-quality nutrients — for maintaining weight loss.

Calorie vs. Calorie: Study Evaluates Three Diets for Staying Slim

Wonder why it's so hard to keep the weight off? Take another look at your diet.
Davies and Starr / Getty Images
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People following a Mediterranean-style diet may have the best chance of keeping weight off — and doing it without causing negative side effects — according to a study published in theJournal of the American Medical Association.
Researchers led by Cara Ebbeling at Boston Children’s Hospital compared three different diets in people who had already lost weight. Knowing that dieters often struggle to maintain their slimmer bodies, the researchers sought to study the impact of the diets on energy expenditure — that is, which diet helps people burn the most calories a day and would, therefore, help keep them from regaining the weight. The researchers measured the participants’ levels of hormones, enzymes, blood fats and insulin sensitivity, and other markers of heart health and diabetes risk.
The study included 21 overweight and obese adults, aged 18 to 40, who first followed a three-month diet plan (containing 45% of total calories from carbohydrates, 30% from fat and 25% from protein) and lost 10% to 15% of their body weight. A month later, participants were randomly rotated through the three test diets, each for one month at a time:
  • Low-fat: about 20% of total calories from fat, 60% from carbohydrates and 20% from protein. The diet focuses on whole-grain foods and fruits and vegetables, and reduces intake of fatty meats, oils, nuts and other high-fat products
  • Low-carb: modeled after the Atkins diet, with 10% of total calories from carbs, 30% from protein and 60% from fat. The diet minimizes intake of carbohydrates, including bread, rice, pasta, potatoes, baked goods and starchy vegetables, while upping consumption of beef, fish, chicken, eggs, cheese and some fruits and veggies
  • Low-glycemic index: similar to the Mediterranean diet, with 40% of total calories from carbs, 40% from fat and 20% from protein. The diet emphasizes whole grains like oatmeal and brown rice, low-fat meats like fish, fruits and vegetables, beans and healthy fats from olive oil and nuts. It avoids highly processed, sugary carbs and snack foods.
Participants on the low-carb diet burned the most calories — on average 325 calories more a day compared with the low-fat group — but there was a side effect. These dieters also saw increases in the stress hormone cortisol and CRP, a marker of inflammation and a risk factor for heart disease. (In another, unrelated study published in BMJ on Tuesday, researchers confirmed that Swedish women on a low-carbohydrate diet such as Atkins increased their risk of heart disease by 28% compared to women not on such diets.)
People on the low-glycemic index diet burned about 150 calories more each day than the low-fat group, about the equivalent of an hour of moderate exercise, but without the harmful heart effects. The low-fat dieters burned the fewest calories a day, and they also showed increases in triglycerides and lower levels of good cholesterol.
“For weight loss and heart disease prevention, avoid diets that severely restrict any major nutrient, either fat or carbohydrate,” study author Dr. David Ludwig, director of the New Balance Foundation Obesity Prevention Center at Boston Children’s Hospital, told Bloomberg News. “Instead focus on reducing the highly processed carbohydrates that cause surges and crashes in blood sugar like white bread, white rice, prepared breakfast cereals, those low-fat snack foods and concentrated sugars.”
Those surges and crashes may trigger increases in hunger and appetite, by prompting the brain to seek out calories to make up for the loss it senses. If the body thinks it’s not getting enough calories, it also dials down metabolism to conserve energy — and that could lead people to regain lost weight.
What the study suggests is that a calorie isn’t just a calorie. “It says that from a metabolic perspective all calories are not alike,” Ludwig told the Boston Globe. “The quality of the calories going in affects the number of calories going out.”
Ludwig says the low-glycemic index diet represents a good “middle ground” — it doesn’t drastically reduce any major nutrient, and instead focuses on including a wide variety of foods with high-quality nutrients — for maintaining weight loss.
Some nutrition and weight loss researchers commenting on the new study qualified its results. In an interview with USA Today, Marion Nestle, a nutrition professor at New York University and author of Why Calories Count, noted, for example, that longer-term studies of people dieting in the real world (in contrast, the current study gave participants prepared food, much of which they ate at the hospital) showed little difference between different types of diets on weight loss and maintenance. The key is simply to eat less, she said.

10 टिप्‍पणियां:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

अच्छी जानकारी ....

रविकर ने कहा…

बिलकुल |
अनुसरण करने वाली सलाह ||
उत्कृष्ट सामग्री ||
सादर आभार ||

Anupama Tripathi ने कहा…

वाह बहुत बढ़िया जनकारी ...आभार.

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

विशेषज्ञों की विशेष जानकारी बहुत उपयोगी है, अनुसरण करने लायक।

डॉ टी एस दराल ने कहा…

महत्त्वपूर्ण शोध कार्य है . लेकिन आम आदमी को कन्फ्यूज कर सकता है .

रचना दीक्षित ने कहा…

बहुत बढ़िया जनकारी.

ऐसे शोध को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है जिसे और बड़े सेम्पल साइज पर टेस्ट किया जाय.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

चलिये आज पता लगा कि कैलोरी ही सब कुछ ही नहीं है..

मनोज कुमार ने कहा…

रोचक तथ्यात्मक आलेख जिससे कई नई जानकारी मिली।

SM ने कहा…

अच्छी जानकारी

संजय भास्‍कर ने कहा…

शोध कार्य है
....बहुत बढ़िया जनकारी