गुरुवार, 20 जनवरी 2011

व्हाट इज 'ट्रांस -पू -ज़न'?

ट्रांस -पू -ज़न :फाइटिंग बग्स विद अदर्स 'फीसीज़ गू -ई क्युओर :इन दी ट्रीटमेंट ,डोनर्स फीसीज़ इज ट्रांस -फर्द इनटू दी पेशेंट्स कोलन .(दीटाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,जनवरी २० ,२०११ ,पृष्ठ २३ )।
ट्रांस -पू -ज़न /बेक्टीरियो -थिरेपी /स्टूल इन्फ्युज़ं थिरेपी क्या है ?
कितने ही लोग अस्पताल में इलाज़ के दौरान "दी क्लोस्त्रिदियम दिफ्फिसिले /दिफ्फी -साईल बग की चपेट में आजातें हैं .एंटी -बायोटिक्स इनपे बे -असर साबित होतें हैं ।
मरीज़ इसमें क्रोनिक डायरिया से ग्रस्त हो जातें हैं .दे डेस -परेट्ली नीड गुड बग्स .समाधान है 'स्टूल इन्फ्युज़ं थिरेपी 'यानी इस इलाज़ में होता क्या है .एक व्यक्ति का मल(बिष्टा ) दूसरे कि अंतड़ियों में रख देना ।इसी लिए इसे "पू' ट्रांस -प्लान्तेसन 'यानी
ट्रांस -पू -ज़न भी कहा जा रहा है . फीसीज़ ,इन्क्लुडिंग इम्पोर्टेंट बोवेल फ्लोरा ,इज ट्रांस -फर्ड फ्रॉम ए वोलंटियर डोनर -स्क्रीन्द टू लिमिट पोसिबिल अदर इन्फेक्संस -इनटू दी कोलन ऑफ़ दी इन्फेक्तिद पेशेंट .अमरीका योरोप ,दुनिया के कई और हिस्सों में भी 'सी दिफ्फी -साईल इन्फेक्सन के जान लेवा मामलों में वृद्धि देखी जा रही है .इलाज़ की आजमाइशें ज़ारी हैं .९० फीसद कामयाबी भी हाथ लगी है .

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