रविवार, 30 जनवरी 2011

नार्वे को अर्द्ध रात्री के सूरज की सरज़मीं क्यों कहा जाता है ?

व्हाई इज नार्वे काल्ड लैंड ऑफ़ मिडनाईट सन ?
नार्वे जिस और जितने अक्षांश पर अवस्थित है उसी लेतिच्युद की वजह से दिन के प्रकाश में बड़े सीजनल(मौसम सम्बन्धी ) बदलाव देखने को मिलतें हैं .मई मॉस के आख़िरी सप्ताह से जुलाई मॉस के बाद के चरण तक सूरज पूरी तरह क्षितिज के नीचे नहीं डूबता है .खासकर उत्तरी ध्रुवीय वृत्त (आर्कटिक सर्किल )के उत्तर के इलाकों में ऐसा ही होता है .सूरज का प्रकाश बिखरा रहता है ,दिन में बीस घंटा ।
दूसरी तरफ नवम्बर के बाद के पखवाड़े से जनवरी के दूसरे पखवाड़े के आखिर तक ,सूरज कभी क्षितिज से ऊपर नहीं उगता .,खासकर उत्तर में ,इसीलिए दिन की अवधि दिन का प्रकाश कम अवधि तक ही रहता है .

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