गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

माहवारी की पीड़ा कारण और निदान (ज़ारी ...)

एक बार गर्भाशय की स्क्वीज़िंग शुरू हो जाए ,तब दर्द की लहर के फ़ैल कर उग्र होने का इंतज़ार न कीजिये .दर्द के लिए कुसूरवार केमिकल 'प्रोस्ताग्लेंदिन्सके उत्पादन को जल्दी से जल्दी मुल्तवी करवाने के उपाय पहले से कीजिये ।मसल कोंतरेक्शन की वजह यही प्रोस्टा -ग्लेन -डींस ही बनतें हैं .
दी फिक्सीज़ :नाप्रोक्सें ,एस्पिरीन ,तथा इबु -प्रोफेन में से जो भी और जिस मात्रा /डोज़ में आपको माफिक आतें हैं क्रेम्प्स के शुरू होने से घंटा भर पहले ही ले लें .इंतज़ार न करें .दर्द की लहर एक बार फ़ैल गई तो दिमाग की तरफ से इसे मोड़ना मुश्किल हो जाएगा ।
कुछ महिलाओं को डबल डोज़ लेनी पड़ती है ताकि दवा का एक न्यूनतम स्तर रक्त में बना रहे .इसकी अधिकतम सुरक्षित सीमा दिनभर की खुराक २४०० मिलिग्रेम है .लेकिन आप कमसे कम वह मात्रा भर लें जो आपके लिए असरकारी सिद्ध हो .माहवारी की शुरुआत में ८०० मिलिग्रेम हर ६ घंटा के बाद ,बाद में ६०० मिलिग्रेम हरेक ६ घंटों के बाद ले सकतें हैं .दिल के रोगों का जोखिम मौजूद रहने पर अपने डॉक्टर से मशविरा करें ।
याद रहे :नॉन -स्टी-रोइडल - एंटी -इन -फ्लेमेत्री ड्रग्स दीर्घावधि में उदर-आंत्र(गैस्ट्रो -इन -टेस्तिनल ट्राबुल्स) सम्बन्धी मुश्किल की वजह बनती हैं .बन सकतीं हैं ।
समाधान :ओमेगा -३ फैट्स (मच्छी से आसानी से प्राप्य ) प्रोस्टा -ग्लेन -डींस के पैदा होने को बाधित कर सकता है .ओमेगा -३ फैट्स का इंटेक जिन महिलाओं का कम रहता है उन्हें माहवारी के दौरान ज्यादा कष्ट होता है .रिसर्च ने इस तरफ इशारा किया है ।
लेकिन कुछ माहिर ओमेगा -३ के इंटेक को बढ़ाना ज़रूरी नहीं मानते ।
(२)हीट:आजमाई हुआ देशी नुश्खा है गर्म पानी से भरी बोतल से सिंकाई या फिर हीटिंग पैड्स का स्तेमाल .(ज़ारी .......)

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