शनिवार, 18 दिसंबर 2010

पेनाल्टी शूट आउट सही नहीं ,दोनों पक्षों के समान अनुकूल नहीं ....

अनफेयर !पेनाल्टी शूट -आउट फेवर दोज़ हू किक फस्ट .क्व़ी -एरिंग पिच :ए टीम देत टेक्स डी फस्ट किक इन ए पेनाल्टी शूट आउट विन्स ६०%ऑफ़ दी टाइम(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर १७ ,२०१० )
लन्दन स्कूल ऑफ़ इक्नोमिक्स एंड पोलिटिकल साइंस के रिसर्चरों ने अपने एक रिसर्च अध्धयन में बतलाया है फ़ुटबाल के खेल में मैच टाई होने पर जिस टीम को पेनाल्टी शूट आउट का पहले मौक़ा मिलता है उसे पहल का अनुचित लाभ मिलता है .दूसरी टीम एक मनो -वैज्ञानिक दवाब में आजाती है .पीछे छूट जाने का एहसास उसके प्रदर्शन को असरग्रस्त करता है .जो पहले टॉस जीता वही सिकंदर वाली उक्ति चरितार्थ हो जाती है ।
दोनों टीमों को समान अवसर के लिए टेनिस शैली का टाई -ब्रेकअप अपनाना चाहिए जिसमे खिलाड़ियों को दो कन्ज़िक्युतिव सर्व्ज़ मिलतें हैं ।
यह नतीज़ा १९७० -२००८ के दरमियान संपन्न राष्ट्रीय और अंतर -राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में २८२० किक्स के अध्धययन विश्लेषण के बाद निकाला गया है ।
पहले शूट आउट का मौक़ा इन प्रतियोगिताओं में जिस टीम को मिला वह ६०%मौकों पर विजयी रही जबकि दूसरे नंबर पर शूट आउट जिसे हासिल हुआ वह ४०%अवसरों पर जीती ।
जिस समय टॉस होता है अकसर टी वी चैनल ब्रेक ले लेतें हैं जबकि यही वह विधाई पल होता है जब जीत -हार का फैसला हो जाता है ।
पहले शूट आउट हासिल करने वाली टीम को साफ़ -साफ़ टॉस का लाभ मिलता है .ज्यादातर मौकों पर टॉस जीतने वाली टीम पहले शूट आउट करने का फैसला करतीं हैं .बीस में से उन्नीस टॉस जीतने के बाद पहले शूट करतीं हैं .

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