रविवार, 12 अक्टूबर 2008
लिंग निर्धारण मैं औरत का कोई रोल नहीं hota
हम जानते हैं किपुरुष एक एक्स वाई शख्शियत तथा महिला एक्स एक्स गुणसूत्रों की मालकिन है । कहा भी गया है :माँ पर पूत पिटा पर घोड़ा बहुत नहीं पर थोड़ा थोड़ा । प्रेमालिंगन चुम्बन और एक सम्पूरण सम्भोग के फलस्वरूप संतान की प्राप्ति होती है एक प्राकृतिक नियम के तहत । औरत के पास तो सिर्फ़ होता ही एक्स एक्स गुणसूत्र है मर्द एक्स और वाई दोनों का जमा जोड़ है । प्रेम मिलन के फलस्वरूप पुरूष का एक्स या वाई ही जाकर औरत के एक्स से सम्पर्कित होकर ह्यूमन एग्ग की श्रृष्टि करता है मर्द का एक्स जाकर एक्स से मिला तो लड़का और वाई एक्स से मिला तो लड़की पैदा होती है । इसमे औरत की तो कोई भूमिका ही नहीं है फिर भी साड़ी तानाकशी औरत कोई ही झेलनी पड़ती है। ये कुलाक्च्नी ,दुर्मुखी सिर्फ़ लड़की ही पैदा करती है। कम लोगों को ही मालूम है ,पुरूष भी बाँझ होते है। अधिक धूम्रपान.शराबखोरी इस बाँझपन के कारण बनते हैं। ऐसे मैं पुरूष का स्पर्म काउंट यानी एक घन मिली मीटर मैं शुक्रानुओ की तादात या तो एक शंख्या से कम होती है या फिर इनकी मोतेलिटी ईकाई क्षेत्र मैं गति शीलता कमतर होती है फल्स्वारूप पुरूष का एक्स या वाई गुणसूत्र महिला के गुणसूत्रों से मिलन ही नहीं मना पाटा.ऐसे मैं बाँझपन का ठप्पा औरत के माथे पे लगाना हमारी अज्ञानता और दिमागी बाँझपन का ही सूचक है। यूँ औरत की फल्लोपियन टयूब्स यानी अन्द्वाह्नियाँभी अवरूद्ध हो सकती हैं जिनका चिकित्सा समाधान उपलब्ध है मर्द का वाई क्रोमोजोम वैसे भी दिनोदिन छीज रहा है कमजोर पड़ रहा है मर्द की मर्दानगी एक दिन जाती रहेगी । अच्छा हो समाज औरत के गर्भाशय को अजन्मी कन्या की कब्र बनाने से बाज़ आए .नवरात्रों मैं कन्या जिमाने से कुछ नहीं होगा ।
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1 टिप्पणी:
मर्द का "एक्स जाकर एक्स" से मिला तो लड़का और "वाई एक्स से" मिला तो लड़की पैदा होती है ।
क्या गलती से गलत नहीं लिखा आपने...
एक्स और एक्स = लड़की
वाय और एक्स = लड़का
यह होना चाहिए...
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