मंगलवार, 21 अक्तूबर 2008

मनमोहन की मुश्किल तो आसान कर दी

कांग्रेस के अल्पसंख्यक सेल के संग मुसलमानों के प्रतिनिधित्व का दावा करने वाले चाँद राज्य सभा सदस्य, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं महानुभाव और नेत्रियाँ मनमोहन सिंघजी से जामिया नगर एनकाउंटर के मुद्दे पर मिले हैं। सभी ने मुस्लिम भावनाओं के आहात होने का मुद्दा उठाया है।

इन लोगों का मानना है : आतंकवादी वारदात करने के baad यदि मगरिब की ओर भागें तो पुलिस को मशरिक की ओर भागना चाहिए। लेकिन फ़िर भी यदि दस आतंकी पकडे ही जाएँ ओर सब के सब मुसलमान हों तब इतने ही मुख्य धारा के कम से कम दो दो धर्माव्लाम्बी भी पकड़े जाएँ।

मुसलामानों के इन तमाम प्रतिनिधियों से पुछा जाना चाहिए : इस्लामी जेहाद के प्रस्तावक कौन हैं ? लश्कर-ऐ-तैयबा (हज़रात मोह्हमद की कर्मभूमि मदीना नगर की सेना), जैश-ऐ-मोह्हमद (हजरत मोह्हमद के सिपाही) और हिजबुल
मुज्जाहिदीन (मुज्जाहिदीन की सेना), कुरान की आयातों की मनमानी व्याख्या करने वालों के बारे में इनका क्या कहना है ? क्या इनके मौन को इनके स्वीकृति समझा जाए, दहशतगर्दी के हक़ में.

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