दिग्भ्रमित है सिर्फ़ हमारा सेकुलर मंत्रिमंडल .यदि आगे बढ़कर कोई रामविलास पासवान ,मुलायम या कोई और सेकुलर वीर प्रस्ताव रखे ,आतंकवादियों को मरनो उपरांत पारिवारिक पेंशन मिले,तो फट संसद मैं पास हो जाए,
तैमूर लांग की संताने अपने लक्ष्य के बारे मैं स्पष्ट हैं: हिन्दुस्तान को तबाह करो तुम्हें जन्नत मिलेगी .
इस लोक मैं तो दहशत गार्डों की पौ बरेह है आतंक के सौदागरों से भी धन और धरम निर्पेक्षों से शाबाशी मानव अधिकार वादी तो खुलकर इनके साथ हैं ही , सैयां भये कोतवाल तो फिर डर काहे का , वैसे भी भारत मैं मौत का मतलब अब सिर्फ़ मुआवजा रह गया है । वर्ष भर मैं यह जीडीपी का कितना फीसद हुआ ये हिसाब लगाया जाए।
गृह नुमा मंत्री बोलते हैं हम कितने सहनशील हैं कायरता को छुपाने का यह अच्छा तरीका है ।
मंगलवार, 7 अक्टूबर 2008
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें