शुक्रवार, 6 नवंबर 2015

छिपी कहाँ हो ,पूतना माई , अनुपम से ,इतना शरमाईं।

देश भक्त छिपते नहीं भाई ,

जय भारत ,जय हिन्द गोसाईं। . 

छिपी कहाँ हो ,पूतना माई ,

अनुपम से ,इतना शरमाईं।

कहाँ गए ,वो लोग लुगाई ,

पुरूस्कार जो ,नित लौटाईं। 

अपनी करनी ,पर शर्माईं ,

कृपा करो ,गुरुदेव की नाईं।   

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