शुक्रवार, 20 नवंबर 2015

मूरख को हित के वचन ,सुनि उपजत है कोप , साँपहि दूध पिलाइये ,वाके मुख विष ओप।

शीलवंत सबसे बड़ा ,सब रतनन की खान ,

तीन लोक की सम्पदा ,रही शील में आन।

इसका विलोम देखिये -

मूरख को हित  के वचन ,सुनि उपजत है कोप ,

साँपहि दूध पिलाइये ,वाके मुख विष ओप।

एक मुहावरा देखिये -

'नंग बड़े परमेश्वर  से '-जिसने अपनी बेच खाई (शर्मो हया ,सारी  आब )वो भला किसी से क्या डरेगा। एक क़ानून मंत्री हुआ करते थे सलमान खुर्शीद साहब। इनकी बेगम साहिबा एक विकलांगों की गैर सरकारी संस्था चलाती थीं। क़ानून में सुराख करके ,सुराख देख के ये विकलांगों की बैसाखी ही खा गए। केजरीवाल को एक मर्तबा टोकाटाकी करने पर इन्हीं ज़नाब ने इलाकाई दसनंबरी लहजे में कहा था -मेरे इलाके में आना तब मैं तुझे देखूंगा।

अब देखिये एक और नामावर ,नामचीन शख्शियत अबुद्ध कुमार -ब्रिटेन और भारत दोनों की दोहरी सदस्यता रखते हुए ये जनाब वहां ब्रिटेन के कानूनों को दरकिनार कर गैर -कानूनी तरीके से एक कम्पनी चला रहे हैं। सुब्रामनियम स्वामी महोदय ने  सबूत जुटाए और एक चैनल पर आ गए।

ये मूढ़मति बाजुएँ चढ़ाकर कहने लगे -मैं किसी से नहीं डरता ,न मोदी से न आर एस एस से हिम्मत है तो मुझे पकड़के दिखाएँ। ये वैसे ही है जैसे कोई चोर चोरी करके शहर कोतवाल को धमकाए -हिम्मत है तो मुझे पकड़ के दिखाओ। ऊपर तक पहुँच है मेरी। अभी तक फिल्मों तक सीमित थी ये नौटंकी अब ये देश की एक सबसे बड़ी पार्टी की काबलियत मानी जाने लगी है।

अब हमारी समझ में आ गया -क्या ध्वनित अर्थ होता है  इस मुहावरे का -नंग बड़े नंग बड़े परमेश्वर से।

आखिर में एक सुझाव -

वाकू दीजे सीख ,जाकू सीख सुहाय ,

सीख न दीजे बांदरा (वानरा ),बैया का घर जाय।

बैया =बया पक्षी

वानरा =बन्दर 

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