किसी कवि ने ठीक ही कहा है -थोथे बादर क्वार के घहर घहर घहराय अर्थात थोथा चना बाजे घना और मुहावरा एक यह भी है -जो गरजते हैं वो बरसते नहीं।(Barking dogs seldom bite ),ये छंद और मुहावरे अक्षरअंश अपने राहुल बाबा पर पूरे उतरते हैं। पहली बात तो उन्हें किसी ने लड़ने की चुनौती नहीं दी है उनके अंदर का भय ही बोल रहा है जब वह कहते हैं मैं किसी से रत्ती भर भी नहीं डरता। मोदी से मैं बित्ता भर भी नहीं डरता। वह चाहे तो जांच करा लें ,मुझे छ : महीने में जेल में दाल दें। दूसरी बात उन्होंने यह कही कि आरआरएस देश को बांटती है।
उनके पास दोहरी नागरिकता है यह रिकार्ड पर है। जब जेल जाने का वक्त आएगा उन्हें पता भी नहीं चलेगा ,उनसे पूछा भी नहीं जाएगा। अपनी दादी की बात उन्होंने की है कि वो देश को जोड़ती थीं।
उनकी वंशावलियाँ ये काम विधिवत करती आईं हैं वह तो तब पैदा भी नहीं हुए थे। आईये राहुल बाबा आपको एक विहंगावलोकन करवा देते हैं कांग्रेस की विभाजक गतिविधियों का। १९२५ में कांग्रेस ने वृहद हिन्दू समाज (सनातनधर्मी भारतधर्मीसमाज ) से सिख समुदाय को अलग करने की कोशिश की। १९४७ में देश का विभाजन करवाया ,बाद इसके जब कबीलाई वेश में पाकिस्तान की फ़ौज काश्मीर में घुस आई भारतीय फौजों ने उन्हें उनके घर तक घदेड़ा। नेहरू आलमी दिःखने की कोशिश में काश्मीर मामले को यूएनओ में ले गए। रणबाणुरों द्वारा जीती हुई जमीन लौटाई गई। वही काश्मीर आज तक भारत के लिए नासूर बना हुआ है। आतंकवाद का एक आयाम काश्मीर भी रहा आया है। आज के ये तमाम आज़म खान उनकी उसी सोच की उपज हैं।
सिख पंथ को नेहरू- गांधी वंशावलियों ने निरंकारी गैर निरंकारी में बांटा। आपकी अम्मा आज तक भी बा -कायदा यही काम कर रहीं हैं। आपने ही जैनियों और दिगम्बरों में अलगाव करवाया। रामकृष्णपरम हंस के अस्थालुओं से कहलवाया हम हिन्दू नहीं हैं।
१९८४ में आपके पिताश्री ने सिख नरसंहार कराया -बस एक भड़काऊ वाक्य बोला -जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है धरती कांपती है। सिख दंगों में मारे गए लोगों के आश्रितों के हितों की लड़ाई लड़ने वाले मशहूर वकील एच एस फुल्का ने ये सही मांग उठाई है कि नरसंहार के लिए उकसाने वाले राजीव गांधी से भारतरत्न वापस लिया जाए।
अलबत्ता आपकी माता सोनिया मायनो ये ज़रूर चुनौती दे सकतीं हैं देखो मैंने कैसा अजूबा पैदा किया है आप पैदा करके दिखाओ मैं आपको खुली चौनौती देती हूँ। इसे कोई चुनौती देने आगे नहीं आएगा।
उनके पास दोहरी नागरिकता है यह रिकार्ड पर है। जब जेल जाने का वक्त आएगा उन्हें पता भी नहीं चलेगा ,उनसे पूछा भी नहीं जाएगा। अपनी दादी की बात उन्होंने की है कि वो देश को जोड़ती थीं।
उनकी वंशावलियाँ ये काम विधिवत करती आईं हैं वह तो तब पैदा भी नहीं हुए थे। आईये राहुल बाबा आपको एक विहंगावलोकन करवा देते हैं कांग्रेस की विभाजक गतिविधियों का। १९२५ में कांग्रेस ने वृहद हिन्दू समाज (सनातनधर्मी भारतधर्मीसमाज ) से सिख समुदाय को अलग करने की कोशिश की। १९४७ में देश का विभाजन करवाया ,बाद इसके जब कबीलाई वेश में पाकिस्तान की फ़ौज काश्मीर में घुस आई भारतीय फौजों ने उन्हें उनके घर तक घदेड़ा। नेहरू आलमी दिःखने की कोशिश में काश्मीर मामले को यूएनओ में ले गए। रणबाणुरों द्वारा जीती हुई जमीन लौटाई गई। वही काश्मीर आज तक भारत के लिए नासूर बना हुआ है। आतंकवाद का एक आयाम काश्मीर भी रहा आया है। आज के ये तमाम आज़म खान उनकी उसी सोच की उपज हैं।
सिख पंथ को नेहरू- गांधी वंशावलियों ने निरंकारी गैर निरंकारी में बांटा। आपकी अम्मा आज तक भी बा -कायदा यही काम कर रहीं हैं। आपने ही जैनियों और दिगम्बरों में अलगाव करवाया। रामकृष्णपरम हंस के अस्थालुओं से कहलवाया हम हिन्दू नहीं हैं।
१९८४ में आपके पिताश्री ने सिख नरसंहार कराया -बस एक भड़काऊ वाक्य बोला -जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है धरती कांपती है। सिख दंगों में मारे गए लोगों के आश्रितों के हितों की लड़ाई लड़ने वाले मशहूर वकील एच एस फुल्का ने ये सही मांग उठाई है कि नरसंहार के लिए उकसाने वाले राजीव गांधी से भारतरत्न वापस लिया जाए।
अलबत्ता आपकी माता सोनिया मायनो ये ज़रूर चुनौती दे सकतीं हैं देखो मैंने कैसा अजूबा पैदा किया है आप पैदा करके दिखाओ मैं आपको खुली चौनौती देती हूँ। इसे कोई चुनौती देने आगे नहीं आएगा।
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