रविवार, 29 नवंबर 2015

कहीं चिदंबरम के मुंह में सोनिया के बोल तो नहीं

कहीं चिदंबरम के मुंह में सोनिया के बोल तो नहीं 

दरअसल इंडियन नेशनल कांग्रेस में इतने शकुनि पैदा हो गए हैं ,कि वो क्या कह रहें हैं अब इसकी कोई विश्वसनीयता ही नहीं रह गई है। ताज़ा प्रसंग सलमान रुश्दी की किताब का है। अब इस बारे में मनीष तिवारी से लेकर कपिल सिब्बल तक और मणिशंकर से लेकर सलमान खुर्शीद क्या कहते हैं उसे प्रामाणिक नहीं माना जा सकता।इन चार उचक्के चालीस चोरों की लौ अब बुझा ही चाहती है। ये महज़ वाग्जाल है इसे सच तभी माना जा सकता है जब राजीव गांधी के कथित गलत फैसले की बात आदरणीय करन सिंह से कहलवाई जाए या  शशि थरूर साहब से।

 कांग्रेस मायनो में इतनी हैसियत इन दो महानुभावोंको छोड़कर और  किसी की भी भी नहीं है जो अपने  स्वतन्त्र विचार रख सकें। इसलिए ये माना जा सकता है कि ऐसा भाजपा के मुँहफट साक्षी  महाराज जैसे लोगों को उकसाकर कुछ मुसलामानों के खिलाफ कहने के लिए ये षड्यंत्र सोनिया ने रचा हो जिसकी झलक वे दो दिनी संविधान दिवस आयोजन पर अपनी मोहिनी मुस्कान बिखेर कर दे चुकीं हैं। अत :  भाजपा और उसके प्रवक्ता सावधानी बरतें  ये वोट की राजनीति  में उसे फ़साने की मायनो  साजिश भी हो सकती है। 

   

1 टिप्पणी:

Vocal Baba ने कहा…

सही लिखा है सर जी आपने। आजकल कांग्रेस थोड़ी शांत नजर आ रही है। उतनी मुखर नहीं दिख रही है जितनी अपेक्षा की जा रही थी। इसके पीछे क्या राज है जल्द पता चायेगा। या ये भी हो सकता है कि बिहार में बीजेपी की हार से कांग्रेस में संतुष्ठि के हारमॉन बह रहे हो।