सोमवार, 23 नवंबर 2015

क्या आप बड़ी मासूमियत के साथ ये कहना चाहते हैं मेरे साथ राजनीतिक बदखैली की गई। राजनीति का बलात्कार है ये ?

अरविन्द केजरीवाल नीतीश जी के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे। लालूजी से गले मिले। इसकी चर्चा समाचार चैनलों और अखबारों ,सोशल मीडिया में न हो ऐसा कैसे  हो सकता है। गले मिलने का तो एक ही तरीका होता है चाहे प्रेम से मिलो या ईर्ष्या से ,असली सवाल तो ये है क्या केजरीवाल ये नहीं जानते थे कि ये वही लालू है जिस पर भारत की माननीय कोर्ट जुर्माना लगा चुकी है उसके चुनाव लड़ने को बाधित कर चुकी है जो करोड़ों का चारा खा चुका है।

दो इंच मुस्कान होंठों पे लिए  मिले केजरीवाल  लालूजी से। उनकी  मुद्रा   प्रेम पूर्ण थी ,निर्दोष थी।  वैसी ही मुस्कान लिए अब वह पार्टी की बैठक में कह रहे हैं मैं तो हाथ ही मिला रहा था। उन्होंने मुझे खींच के गले लगा  लिया। यहां तक तो ठीक लेकिन आपने ये नहीं बताया लालू ने आपके कान में कहा क्या था। वैसे तो आप दोनों में कौन किसका राजनीतिक बाप है यह बतलाना मुश्किल है लेकिन ऊपर से देखने में लगता यही है आप उनसे चारा खाने के  गुर सीखने गए थे।

पूर्व में आप उनके दोनों बेटों के समर्थन में भी बिहार पधारे थे। राजनीति में हूप हूप.…  हुप हूप हुप  करने वाले लालू के बेटे अब  इसी हूप हूप शैली को आगे बढ़ाएंगे। क्या आप बड़ी मासूमियत के साथ ये कहना चाहते हैं मेरे साथ राजनीतिक बदखैली की गई। राजनीति  का बलात्कार   है ये ?  

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