बुधवार, 18 नवंबर 2015

ऐसा लगता है एक भारत विरोधी काकस है जो समवेत स्वर में भारत के सहिष्णु चरित्र ,यहां की सर्वग्राही सर्वसमावेशी संस्कृति के खिलाफ विषवमन करता है इसकी सरदार सोनिया मायनो हैं

देश को बदनाम करने के लिए एक ही गद्दार काफी होता है लेकिन इसे देश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि इस बेहूदा बेताले असामयिक कोरस में माननीय उपराष्ट्रपति भी नाहक अपने स्वर मिलाने लगे हैं
ऐसा लगता है एक भारत विरोधी काकस है जो समवेत स्वर में भारत के सहिष्णु चरित्र ,यहां की सर्वग्राही सर्वसमावेशी संस्कृति के खिलाफ विषवमन करता है इसकी सरदार सोनिया मायनो हैं। हो सकता है उनके पीछे भी कोई एक और ताकत हो। देश को बदनाम करने के लिए एक ही गद्दार काफी होता है लेकिन इसे देश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि इस बेहूदा बेताले असामयिक कोरस में माननीय उपराष्ट्रपति भी नाहक अपने स्वर मिलाने लगे हैं।

आलोचना करनी है तो मोदी की कर लो घर का मामला है पॉलिटिकली करेक्ट दिखना कोई बड़ी बात नहीं है कई और दीखते है ,लेकिन राष्ट्रविरोधी तेवर लगातार बनाये रखना देश के साथ हद दर्ज़े की गद्दारी है।

आखिर शकील अहमद (सांसद ,बिहार से ),सलमान खुर्शीद (पूर्व विदेश एवं क़ानून मंत्री ),मणिशंकर अय्यर (पूर्व पंचायती राज मंत्री ,भारत सरकार ),इन सब के ताऊ आज़म खान ,अभिनेता शाहरुख खान और इसी सोच के छोटे स्तर के कई और लोगों और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी में कोई फर्क न सिर्फ होना चाहिए वह दिखना भी चाहिए। वर्तमान इस फर्क का साक्षी नहीं बन सका है। 

कोई टिप्पणी नहीं: