सोमवार, 30 नवंबर 2015

नूरजहाँ से एंडोर्स करवाएं कंपनियां अपने ब्रांड।

अ -सहिष्णुता का अँधेरा बड़ा है या नूरजहाँ की लालटेन अँधेरे का धर्म है अज्ञान  ,अँधेरे का अर्थ है -भांडगीरि, इटली से नफरत लाई एक बे -नूर मल्लिका की। कानपुर देहात ,के एक छोटे से गाँव बैरी दरियांव  की एक और औरत है नूरजहाँ। जिसके घर में लकड़ी से जलता है चूल्हा। कुकिंग गैस नहीं है इसके पास। और न ही इस गाँव  बिजली है। 

यहीं से वह एक सोलर प्लांट (सौर संयंत्र ) भी चलाती है।पचास घरों को इसने रोशन किया है। इनके यहां से महज़ सौ रुपया रेंटल (किराए )पर मिल जाती है एक सौर लालटेन। 

आमिर खान और उनकी विचारधारा के अन्य खान इस देश में असहनशीलता का अंधेरा फैला रहे हैं। पंजे से हाथ मिला रहे हैं। इस सब से अलग एक और मुस्लिम मोहतरमा है भारत की अज़ीमतर बेगम नूरजहाँ। खुद ही फैसला करें देश के लिए कौन कीमती है, रौशनी का ब्रांड  एमबेसेडर  बेगम नूरजहाँ ,या अँधेरे के सरगना  शातिर आमिरखान  और उनके हमख्याल अन्यखान। 

नूरजहाँ से एंडोर्स करवाएं कंपनियां अपने ब्रांड। 

रविवार, 29 नवंबर 2015

कहीं चिदंबरम के मुंह में सोनिया के बोल तो नहीं

कहीं चिदंबरम के मुंह में सोनिया के बोल तो नहीं 

दरअसल इंडियन नेशनल कांग्रेस में इतने शकुनि पैदा हो गए हैं ,कि वो क्या कह रहें हैं अब इसकी कोई विश्वसनीयता ही नहीं रह गई है। ताज़ा प्रसंग सलमान रुश्दी की किताब का है। अब इस बारे में मनीष तिवारी से लेकर कपिल सिब्बल तक और मणिशंकर से लेकर सलमान खुर्शीद क्या कहते हैं उसे प्रामाणिक नहीं माना जा सकता।इन चार उचक्के चालीस चोरों की लौ अब बुझा ही चाहती है। ये महज़ वाग्जाल है इसे सच तभी माना जा सकता है जब राजीव गांधी के कथित गलत फैसले की बात आदरणीय करन सिंह से कहलवाई जाए या  शशि थरूर साहब से।

 कांग्रेस मायनो में इतनी हैसियत इन दो महानुभावोंको छोड़कर और  किसी की भी भी नहीं है जो अपने  स्वतन्त्र विचार रख सकें। इसलिए ये माना जा सकता है कि ऐसा भाजपा के मुँहफट साक्षी  महाराज जैसे लोगों को उकसाकर कुछ मुसलामानों के खिलाफ कहने के लिए ये षड्यंत्र सोनिया ने रचा हो जिसकी झलक वे दो दिनी संविधान दिवस आयोजन पर अपनी मोहिनी मुस्कान बिखेर कर दे चुकीं हैं। अत :  भाजपा और उसके प्रवक्ता सावधानी बरतें  ये वोट की राजनीति  में उसे फ़साने की मायनो  साजिश भी हो सकती है। 

   

विकलांग आदमी मन से होता है न कि तन से ,शारीरिक रूप से थोड़े अक्षम लोग शरीर का अतिक्रमण कर हमारे प्रेरक बन सकते हैं बस हम उनके प्रति एक बार अपना नज़रिया तो बदल के देखें।




 
पहली मर्तबा आज इस बहुश्रुत कार्यक्रम को देखने सुनने का अवसर मिला। गौरवान्वित महसूस करता हूँ , पहली मर्तबा मेरे देश को एक ऐसा सहृदय प्रधानमन्त्री मिला जो देश और दुनिया ,सामाजिक सरोकारों ,हमारे वक्त की जलवायु परिवर्तन जैसी आलमी समस्याओं से बा -वास्ता है। जो ऊर्जा संरक्षण की जब बात करता है तो नूरजहाँ  का उल्लेख करना  नहीं भूलता जो एक  पूरे गाँव को सौर लालटेन मुहैया करवाने के सामाजिक यज्ञ में मुब्तिला है। 

विकलांग आदमी  मन से होता है न कि तन से ,शारीरिक रूप से थोड़े अक्षम लोग शरीर  का अतिक्रमण कर हमारे प्रेरक बन सकते हैं बस हम उनके प्रति एक बार अपना नज़रिया तो बदल  के देखें। 

दो तरफ़ा संवाद  बनाता है यह कार्यक्रम। ऑर्गेनिक खेती से जुड़े एक प्रश्न  पर प्रधानमंत्री  की टिप्पणी बड़ी संवेदनाओां को संग लिए थी। कृषि कचरे से आप ऑर्गेनिक खाद बना सकते हैं लेकिन जब आप उसे यूं ही जला  देते हैं, भूमि की उर्वरा शक्ति छीज़ती है , पृथ्वी की बाहरी चमड़ी झुलस जाती है।         

शनिवार, 28 नवंबर 2015

लफ़्ज़ों तक हैं तीन जहां सम्बन्ध खड़े हैं , उनकी बीवी आज देश से बड़ी हो गईं।

    चंद लोग ऐसे हैं जिनकी बीवियां देश से बड़ी हो गईं हैं हालाकि उनकी अपनी अहमियत तीन गिने जाने की हद से परे  नहीं होती पर उनके कहने पर उनके खाविंद अपने देश को भी तलाक देने की सोच सकते हैं। 

(तलाक तलाक तलाक )

लफ़्ज़ों तक हैं तीन जहां  सम्बन्ध खड़े  हैं ,

उनकी बीवी आज देश से बड़ी हो गईं। 

शुक्रवार, 27 नवंबर 2015

लोकसभा को एक और मंदमति के दर्शन

लोकसभा को एक और मंदमति के दर्शन 

इंडियन नेशनल कांग्रेस में( जिसकी अध्यक्षा सोनिया मायनो  हैं )दो प्रकार के लोग हैं। या तो वे बहुत अधिक शातिर हैं या फिर मंदमति। काम दोनों का एक ही  संविधान विरोधी काम करना।देश को अंदर बाहर से कमज़ोर करना। अ -सहिष्णु घोषित करवाना बहुत ही छोटे स्तर के लोगों से।  पहले वर्ग में मिसाल के तौर पर सर्वश्री मणिशंकर अय्यर और माननीय सलमान खुर्शीद साहब रखे जा सकते हैं जो विदेशों में खासकर पाकिस्तान में जाकर कहते हैं हम आप से संवाद बनाये रखने के लिए आतुर हैं आप मोदी को हटाओ ,हमें लाओ।सलमान साहब फरमाते हैं नवाज़ शरीफ साहब भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र दामोदर मोदी से बेहतर काम  रहें हैं । 

दूसरे वर्ग में बहुचर्चित  शहजादे ही अकेले कई मंदमतियों के बराबर हैं।आज लोकसभा में  खड़गे साहब उन्हें पीछे छोड़ते दिखलाई दिए हैं। 

दो दिन संसद के मानसून सत्र के ठीक से बीत गए लेकिन मन आशंकित है देश का  ये कांग्रेसी ज़रूर कुछ ऐसा वैसा करेंगे जो न सिर्फ अशोभन ही होगा देश के हितों पर भी चोट  करेगा। 

संविधान के प्रति संकल्प और अपनी प्रतिबद्धता प्रकट करने का आज दूसरा और  समापन दिवस था। अंतिम वक्ता के रूप में प्रधानमंत्री बोल रहे थे वह अभी अपना संकल्प और प्रतिबद्धता अभिव्यक्त कर सदन का साधुवाद कर अभी बैठ ही रहे थे लोकसभा में कांग्रेस के प्रवक्ता खड़गे सवाल दागने लगे। सभापति के रोकने के बाद भी वह बोलते रहे जबकि सभापति ने पूरी विनम्रता से कई बार साफ़ लफ्जों में कहा -नो क्वश्चन आंसर्स दोहराया ,कहा यह सवाल ज़वाब नहीं ,प्रश्नोत्तरी नहीं है ये । यह ऐसे ही था जैसे  समारोह संपन्न होने के बाद कोई मंच पर कोई जबरिया चढ़ आये और माइक्रोफोन अपने कब्ज़े में ले ले। कैसे कैसे मंद मति पाले हुए हैं श्रीमती सोनिया मायनों ने। 


ख़तरा जितना नहीं हमें है आतंकी
हथियारों से।
उससे ज़्यादा ख़तरा हमको घर के ही
ग़द्दारों से।
आशा हमको नहीं ज़रा भी शाहरुख ओ
सलमानों से।
सावधान रहना ही होगा आमिर भाईजानों
से।
जलता दिया बचाना होगा ,आंधी औ
तूफानों से ।
खूब सँभलकर रहना होगा शातिर
बेईमानों से ।


साजन ग्वालियरी हास्य व्यंग्य कवि
मो .९८२६२७२५२० 


In the news
... Minister Narendra Modi on Friday addressed the Lok Sabha on the Constitution debate.           

गुरुवार, 26 नवंबर 2015

तो मिस्टर खड़गे ने पूरी लोकसभा को धमकाते हुए जो कहा कि यदि संविधान में बदलाव किये गए तो रक्तपात हो जाएगा

नरेंद्र दामोदर मोदी ने २६ नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने की पहल करके अपने जीवन के सारल्य और पवित्रता का परिचय दिया है। यह काम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अपने लगभग छः दशक के शासन काल में भी करने का न सोच सकी। ऐसा उसने इसलिए नहीं किया ताकि जनता अपने बुनियादी अधिकारों के प्रति खबरदार न हो सके।

आज  जब आईएनसी की वर्तमान अध्यक्षा लोकसभा में अपनी मुस्कराहट से मोहिनी  छवि बिखेर रहीं थीं तो बदन  में सिरहन सी दौड़ गई ,रोम खड़े हो गए। संविधान भी डर गया होगा कि ज़रूर ये लोमड़िया की तरह ऊँगली नचाने वाली मायनो सोनिया नया षड्यंत्र रच रही है। जब पवित्र दिवस (संविधान दिवस )पर चर्चा हो तो मायनो कांग्रेस को  नज़र नीची करके बात करनी चाहिए।

यही वह पार्टी है जिसने संविधान का इस्तेमाल कुर्सी हासिल करने के लिए किया। और फिर उसे ही   गद्दी बनाकर  कुर्सी पे बिछाकर बैठ गई। १९७५ को कौन भूल सकता है जब इनकी सासू माँ  ने  पच्चीस जून १९७५ को लोगों का जीने का अधिकार भी छीनकर इमर्जन्सी लाद दी देश पर। संविधान को बंधक बना लिया।  इसी दौरान दुष्यंत कुमार ने लिखा था -

कहाँ तो तय था चरागाँ हरेक घर के लिए ,

कहाँ चराग मयस्सर नहीं शहर के लिए।

यहां दरख्तों के साये में धूप लगती है,

चलो यहां से चलो और उम्र भर के लिए।

यही वह दौर था जब उन्होंने लिखा  -

मत कहो आकाश पर कोहरा घना है ,

 यह किसी की व्यक्ति गत आलोचना है।

आज वही कांग्रेस पवित्र दिवस पर अभिव्यक्ति की आज़ादी की बाद करती है।  अ -सहिष्णु बतलाती है भारत धर्मी समाज को। जैसे मेघ की रिमझिम सुनके मोर नाचता है वैसी ही  अपनी  देहमुद्रा बनाके  मुस्काती। उसे सिर नीचे झुका करके बात करनी चाहिए। कांग्रेस में कोई भी वक्तव्य मायनो की सहमति के बिना नहीं दिया जा सकता। तो मिस्टर खड़गे ने पूरी लोकसभा को धमकाते हुए जो कहा कि यदि संविधान में बदलाव किये गए तो रक्तपात हो जाएगा। लोकसभा के पटल पर ऐसा कहना ,  ये साबित करता है कि कांग्रेस अध्यक्षा मायनो शायद देश में रक्त पात करवाने की योजना बना चुकी है। वरना खड़गे की क्या हिम्मत थी कि वह पूरी संसद को   हड़काए और रक्तपात की धमकी दे।

https://en.wikipedia.org/wiki/The_Emergency_(India)

Constitution of India - Wikipedia, the free encyclopedia

https://en.wikipedia.org/wiki/Constitution_of_India
Parliament cannot override the constitution. The Constitution was adopted by the Constituent Assembly on 26 November 1949, and came into effect on 26  ...

इनकी एक सासु माँ थीं जिन्होनें अपनी कुर्सी बचाने के लिए संविधान को एक जेबी दस्तावेज़ में बदल दिया



इनकी एक सासु माँ थीं जिन्होनें अपनी कुर्सी बचाने के लिए संविधान को एक जेबी दस्तावेज़ में बदल दिया। आज ये लोग अ -सहिष्णुता का हल्ला बोलकर कांग्रेसी अनुशासन की बात करते हैं। कांग्रेस और अनुशासन विलोम अर्थक शब्द हैं।संविधान  की काया में पैवन्द दर पैवन्द लगाने वाली  यही कलंकित कांग्रेस है। इसी ने संविधान का चीर हरण किया। आज ये कुटिल चाल चलकर अ -सहिष्णुता की ,अपनी पीठ  खुद ही थपथपा रहें हैं। जबकि  संविधानिक  पदों की गरिमा और आंच पर इन्हीं  लोगों ने पानी छिड़का था।    

'Ideals of The Constitution Under Attack,' Says Sonia Gandhi


'Ideals of The Constitution Under Attack,' Says Sonia Gandhi
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A united opposition has made it clear that it first wants a discussion on intolerance to end with Parliament adopting a resolution.
NEW DELHI:  With a sharp attack on the Modi government, Congress president Sonia Gandhi led the opposition today in a special discussion on the Constitution as Parliament convened for the winter session.

"There is a threat to the principles of the Constitution these days...What we have seen in the past few months, is total violation of the values of the constitution," said Mrs Gandhi, clearly setting the stage for a confrontation. Her party has indicated that its primary agenda in the session will be to attack the BJP-led government over what it calls "rising intolerance".

The Congress chief quoted BR Ambedkar, to whom the two-day discussion pays tribute, saying, "No matter how good the Constitution is, if the people who implement it are bad, then the Constitution will also turn out bad. And no matter how bad the Constitution is, if the people who implement it are good, it will turn out to be good," and smiled at protests from the treasury benches, adding, "This is for you and us."

"The history of the Constitution is very old and is linked to our freedom struggle and that it why it is interlinked with the Congress party," she said, speaking in Hindi, also making another jibe at the BP when she said, "The people who don't have faith in the constitution, the people who didn't play any role in framing the Constitution, are swearing by the Constitution. What can be a bigger joke than that?"

Mrs Gandhi said Dr Ambedkar, widely acknowledged as the architect of the Constitution, had praised the discipline of the Congress party which helped the Drafting Committee to give full information about every Act in the Constitution.

Home Minister Rajnath Singh, who is the deputy leader of the Lok Sabha, began the discussion in the lower house.

Prime Minister Narendra Modi  will intervene in the discussion in both Houses. Before Parliament convened today the PM said, "Debate and dialogue are the soul of Parliament." He has expressed hope that the opposition will allow Parliament to function this time, after several sessions that saw days of adjournments and little work.

A united opposition has made it clear that it first wants a discussion on intolerance to end with Parliament adopting a resolution.

The government, which is focused on pushing crucial legislation like the key reform measure the Goods and Services Tax bill , has said it is "ready to discuss all issues including that of the so-called intolerance though it falls in the domain of states." But it is not expected to agree to a resolution.

"We have nothing to hide. We are ready for a debate on intolerance. The government has nothing to feel shy about it," said Parliamentary Affairs Minister Venkaiah Naidu on Wednesday.

अफ़सोस की बात है आश्चर्य की नहीं संविधान दिवस पर संविधान निर्मातों के अवदान की चर्चा होनी चाहिए थी लेकिन धूर्त कांग्रेस ने  उसे भी आत्मश्लाघा और बीजेपी की निंदा में तब्दील करके रस लिया। मंथरा पूरे आवेग के साथ खिलखिलाई मुस्काई जैसे इस सबका श्रेय भी उसका निजी योगदान  रहा आया हो।पहली बार  मंथरा  इतना खुश देखीं गईं ।  

इनकी एक सासु माँ थीं जिन्होनें अपनी कुर्सी बचाने के लिए संविधान को एक जेबी दस्तावेज़ में बदल दिया। आज ये लोग अ -सहिष्णुता का हल्ला बोलकर कांग्रेसी अनुशासन की बात करते हैं। कांग्रेस और अनुशासन विलोम अर्थक शब्द हैं।संविधान  की काया में पैवन्द दर पैवन्द लगाने वाली  यही कलंकित कांग्रेस है। इसी ने संविधान का चीर हरण किया। आज ये कुटिल चाल चलकर अ -सहिष्णुता की ,अपनी पीठ  खुद ही थपथपा रहें हैं। जबकि  संविधानिक  पदों की गरिमा और आंच पर इन्हीं  लोगों ने पानी छिड़का था।    

Forty-second Amendment of the Constitution of India ...

https://en.wikipedia.org/.../Forty-second_Amendment_of_the_Constituti...

The 42nd Amendment is regarded as the most controversial constitutional amendment in Indian history. It attempted to reduce the power of the Supreme Court ...
Bill introduced in the Rajya Sabha‎: ‎Con...
Introduced by‎: ‎H.R. Gokhale
Bill introduced in the Lok Sabha‎: ‎The C...
Date assented to‎: ‎18 December 1976

Megalomania बोले तो सत्ता उन्माद एक प्रकार का मनोविकार होता है जिससे ग्रस्त व्यक्ति बेहद का सत्ता स्वाद ,सत्ता का लुत्फ़ उठाता है

Megalomania बोले तो सत्ता उन्माद एक प्रकार का मनोविकार होता है जिससे ग्रस्त व्यक्ति बेहद का सत्ता स्वाद ,सत्ता का लुत्फ़ उठाता है। और ज्यादा   लोगों पर शासन करने उनसे जीहुज़ूरी करवाने की उसकी भूख बढ़ती ही जाती है।  एक प्रकार की भ्रांत धारणा उसे अपने काबू में किये रहती है। ऐसा व्यक्ति मेज को  ग़ज़ल कह सकता है। रस्सी में  सांप देखना तो इल्यूज़न है लेकिन यहां बात डिल्युश्जन की हो रही है।

संकरवंशीय शहजादा इसके लपेटे में है। फौरी  इलाज़ ज़रूरी है इसका। है कि नहीं भाइयों और बहनों। ये मंदमति  अपने अज़ीमतर चायवाले की शैली में बेंगलुरु में  छात्रों की युवा भीड़ से पूछ रहा था -देश में स्वच्छता अभियान सफल है ,युवाओं को रोज़गार मिला है। मिला है कि नहीं ?

छात्रावृन्द ने इसे आईना दिखला दिया।

दोस्तों इस समय ये बीमारी बड़े पैमाने पर लौटंक साहित्यकारों ,फ़िल्मी कलहकारों ,राजनीति के भड़भूजों में ज़ोरों पर है। इसका लक्षण है -अ -सहिष्णुता देखना  सुख शान्ति के माहौल में।

भारत के लोगों के सहिष्णु चरित्र पर ये लोग ऊँगली उठा रहें हैं। समझने की ज़रूरत है ये लोग बीमार हैं इन्हें इलाज़ की ज़रूरत है। Megalomaniacal हैं ऐसे तमाम लोग।   

बुधवार, 25 नवंबर 2015

राजनीति से विमुख युवा भीड़ भी आज खबरदार है। बैंगलुरु में शहजादे को अपना कद पता चल गया होगा।देश को प्रधानमन्त्री मिलगया है जो आर्त भाव से नहीं बराबरी के भाव से संवाद करता है

माननीय सुधीर चौधरी भाई (ज़ीन्यूज़ ) ,
आप टुकड़खोर ,चाटुकार , साहित्य से अर्थार्जन करने वाले लौटंक साहित्यिक कलहकारों ,चंद बोलीवुडिया कलहकार खानों के व्यवहार की संवेदन हीनता से आहत न हों। कश्मीर का दर्द इनकी संवेदनाओं का वायस नहीं हो सकता। ये इस या उस राजनीति के भड़बूज़ों के पाले हुए हैं। आप सोचते हैं आमिर खान के अंदर ऐंठन उनकी अपनी है। पूरा दगैल तंत्र है इनके पीछे जो देश की सम्पदा को लूट रहा था। कभी नेशनल हेराल्ड के बहाने कभी कोई विदेशी कम्पनी से मुनाफ़ा बटोरने के बहाने। इस्केम तो इनका पेशा था।
इस देश का सहिष्णु मन अब नंगों को नंगा कहना सीख गया है। आज वो विरक्त भाव से ये नहीं कहता -कोई नृप होय हमें का हानि। वह आशावान है एक दगैल तंत्र से मुक्ति के बाद।
राजनीति से विमुख युवा भीड़ भी आज खबरदार है। बैंगलुरु में शहजादे को अपना कद पता चल गया होगा।देश को प्रधानमन्त्री मिलगया है जो आर्त भाव से नहीं बराबरी के भाव से संवाद करता है। विदेशी निवेश का भारत की और बहाव हमारे अनिवासी भारतीयों को भी भारत की और खींचेगा। अभी तक तो ऐसे हालात ही न थे कि दगैल तंत्र के बीच कोई आने का भी सोच सके। जबकि कितने ही वापस आना चाःते हैं। एक स्वच्छ तंत्र चाहिए सबसे पहले जिसकी नींव अब तैयार है।
जैश्रीकृष्णा।

कांग्रेस प्रवक्ता इतने धृष्ट (ढीठ )हैं कि ये अपनी बात तो कहते हैं ,दूसरे की सुनने को तैयार नहीं हैं ,अपनी ढिठाई को ये अपनी दृढ़ता मानते हैं।  चंद मिनिट पहले ही ज़ीटीवी पर इस बात पर बहस हो रही थी कि अ -सहिष्णुता कश्मीरी पंडितों के घर से बेदखल किये जाने पर आमिर -शाहरुख खान और इसी  सोच के अन्य साहित्यकारों को तब क्यों नहीं नज़र आई। चर्चा में कांग्रेस प्रवक्ता राजीव त्यागी भी मौजूद थे ,संविद पात्रा (बीजेपी )के अलावा कश्मीरी पंडितों  का दर्द बयाँ करने के  लिए सुशील पंडित क ,तथा बॉलीवुड के कलाकार शहजाद साहब भी मौजूद थे। चर्चा सलीके से आगे बढ़ रही थी। सुशील पंडित ने ज़िक्र किया कैसे घाटी से निष्काषित  परिवारों के निष्काशन के बाद मात्र एक कमरे की रिहाइश घाटी से पचास किलोमीटर दूर जहां बिजली नहीं  पहुँचती सिर्फ खम्बे हैं मात्र  ३ परिवारों को ही गत १८ साल में कांग्रेस  मुहैया करवाई है।

बात आगे बढ़ते बढ़ते नेहरू जी तक खिसक आई जो देश विभाजन और काश्मीर को उलझा गए।पात्रा अपनी शालीनता बनाए रहे लेकिन राजीव त्यागी त्यागी उन्हें लगातार धमकाते रहे ऊँगली और हथेली को झटक झटक कर। जिस कांग्रेस के ऐसे अ -सहिष्णु प्रवक्ता है वह संसद का शीत कालीन सत्र अ -सहिष्णुता के मुद्दे पे बर्बाद करने जा रही है। कांग्रेस आरोप पहले लगाती है  सबूत बात में तलाशती है। एक आमिर खान ने अपनी पत्नी  की निजी बैडरूम टाक  को आगे करके  एक चैनल पर बयान दे दिया। जनता ने तो नहीं देखा उन्होंने सचमुच क्या कहा था ,कहा भी था या नहीं।

संविद पात्रा ने तो अपने को काश्मीर मुद्दे तक ही सीमित रखा नेहरू वंशावली की बात नहीं की। अगर  सत्र में इस पर चर्चा हो जाए तो देश का बड़ा भला हो। गूगल तो इस कुनबे को वर्णसंकर बतलाता है। गीता में वर्णसंकर की निंदा की गई है। अगर गूगल गलत  है तो उस पर मुकदमा चलाया जाए। और नेहरू वंशावली पर साफ़ साफ़ इस सत्र में बात हो ये देश की जनता चाहती है। अगर गूगल गलत है तो कांग्रेस चुप मारे क्यों बैठी है। बात बात में गला फाड़ने वाले पप्पू और उनकी माँ सोनिया मायनो क्या कर  रही है । देश यही  चाहता है संसद में बस इसी मुद्दे पर बहस हो। किसके पास जाया करने के लिए वक्त है पर जब दर्द इतना बढ़ जाए तो देश चुप भी तो नहीं बैठ सकता। देश के साथ गद्दारी करने वाले देश पर छा जाएँ ,ये देश  अब और बर्दाश्त नहीं करेगा।

Nehru Family Tree - Nehru Gandhi Dynasty, Ghiyasuddin ...

www.speakingtree.in/.../hidden-facts-about-the-nehru-gandhi-dynasty-1...

Mar 2, 2013 - Nehru Family Tree - Nehru Gandhi Dynasty, Ghiyasuddin Ghazi - The ...adopted- a Hindu name Gangadhar Nehru and thus saved his life by the subterfuge. ....Her mother Kamala Nehru was totally against that marriage.

Nehru Family | THE TRUTH OF NEHRU FAMILY

https://nehrufamily.wordpress.com/

So, the man Ghiyasuddin Ghazi (the word means kafir-killer) adopted a Hindu nameGangadhar Nehru and thus saved his life by the subterfuge. Ghiyasuddin ...
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देश के साथ गद्दारी करने वाले देश पर छा जाएँ ,ये देश अब और बर्दाश्त नहीं करेगा।

कांग्रेस प्रवक्ता इतने धृष्ट (ढीठ )हैं कि ये अपनी बात तो कहते हैं ,दूसरे की सुनने को तैयार नहीं हैं ,अपनी ढिठाई को ये अपनी दृढ़ता मानते हैं।  चंद मिनिट पहले ही ज़ीटीवी पर इस बात पर बहस हो रही थी कि अ -सहिष्णुता कश्मीरी पंडितों के घर से बेदखल किये जाने पर आमिर -शाहरुख खान और इसी  सोच के अन्य साहित्यकारों को तब क्यों नहीं नज़र आई। चर्चा में कांग्रेस प्रवक्ता राजीव त्यागी भी मौजूद थे ,संविद पात्रा (बीजेपी )के अलावा कश्मीरी पंडितों  का दर्द बयाँ करने के  लिए सुशील पंडित क ,तथा बॉलीवुड के कलाकार शहजाद साहब भी मौजूद थे। चर्चा सलीके से आगे बढ़ रही थी। सुशील पंडित ने ज़िक्र किया कैसे घाटी से निष्काषित  परिवारों के निष्काशन के बाद मात्र एक कमरे की रिहाइश घाटी से पचास किलोमीटर दूर जहां बिजली नहीं  पहुँचती सिर्फ खम्बे हैं मात्र  ३ परिवारों को ही गत १८ साल में कांग्रेस  मुहैया करवाई है।

बात आगे बढ़ते बढ़ते नेहरू जी तक खिसक आई जो देश विभाजन और काश्मीर को उलझा गए।पात्रा अपनी शालीनता बनाए रहे लेकिन राजीव त्यागी त्यागी उन्हें लगातार धमकाते रहे ऊँगली और हथेली को झटक झटक कर। जिस कांग्रेस के ऐसे अ -सहिष्णु प्रवक्ता है वह संसद का शीत कालीन सत्र अ -सहिष्णुता के मुद्दे पे बर्बाद करने जा रही है। कांग्रेस आरोप पहले लगाती है  सबूत बात में तलाशती है। एक आमिर खान ने अपनी पत्नी  की निजी बैडरूम टाक  को आगे करके  एक चैनल पर बयान दे दिया। जनता ने तो नहीं देखा उन्होंने सचमुच क्या कहा था ,कहा भी था या नहीं।

संविद पात्रा ने तो अपने को काश्मीर मुद्दे तक ही सीमित रखा नेहरू वंशावली की बात नहीं की। अगर  सत्र में इस पर चर्चा हो जाए तो देश का बड़ा भला हो। गूगल तो इस कुनबे को वर्णसंकर बतलाता है। गीता में वर्णसंकर की निंदा की गई है। अगर गूगल गलत  है तो उस पर मुकदमा चलाया जाए। और नेहरू वंशावली पर साफ़ साफ़ इस सत्र में बात हो ये देश की जनता चाहती है। अगर गूगल गलत है तो कांग्रेस चुप मारे क्यों बैठी है। बात बात में गला फाड़ने वाले पप्पू और उनकी माँ सोनिया मायनो क्या कर  रही है । देश यही  चाहता है संसद में बस इसी मुद्दे पर बहस हो। किसके पास जाया करने के लिए वक्त है पर जब दर्द इतना बढ़ जाए तो देश चुप भी तो नहीं बैठ सकता। देश के साथ गद्दारी करने वाले देश पर छा जाएँ ,ये देश  अब और बर्दाश्त नहीं करेगा।

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Mar 2, 2013 - Nehru Family Tree - Nehru Gandhi Dynasty, Ghiyasuddin Ghazi - The ...adopted- a Hindu name Gangadhar Nehru and thus saved his life by the subterfuge. ....Her mother Kamala Nehru was totally against that marriage.

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मंगलवार, 24 नवंबर 2015

अब भय तो लगेगा ही। ऐसे माहौल में कैसे ज़िया जा सकता है

आमिर भाई !ये सारी  बात बहाना है ,मोदी सरकार निशाना है

हे प्रिया !हे किरण !तुमने क्या कह दिया ,तुम्हे डर लगता है। ये सुनकर तो मैं भी डरा जा रहा हूँ। अब तक तो मैंने अपने डर को ज़ाहिर नहीं किया था ,तुमने तो उसे जगा दिया। ये भी हो सकता है मुझमें डर  रहा होगा ,मैं तो तब भी किसी से नहीं डरा था जब मैंने तुमसे विवाह किया था। मुझे तब डरना तो चाहिए था पर तुम्हारे जैसे भोले विश्वास और अहिंसक जातीय गुणों से मैं प्रभावित था।  प्रभावित तो  आज भी  हूँ पर तुम्हें किसी ने क्या कह दिया कि डरी   हुई हो। हाँ ऐसा कहने से यदि किसी तुम्हारे पसंद की राजनीतिक हस्ती को फायदा होता है तो कोई बुरी बात नहीं। एक अच्छे पति के नाते मैं भी यही कहूँगा कि देखो चारों तरफ डर ही डर है।

कहीं न कहीं कुछ तो  हो रहा है। जब बाहर के कई मुल्क ऐसा कह रहें हैं या कोई वित्तीय लाभ पहुंचा रहे हैं तो हमारे कहने में क्या हर्ज़ है। हम यही कहेंगे कि डर ही डर है। कुछ तो अपनी कौम का हमें भी लिहाज़ रखना चाहिए। अब देखो न देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी का दामाद डरा हुआ है। उसके साथ जमीन हड़पु कई और लोग भी डरे हुए हैं ,पर मैंने तो ऐसा कुछ नहीं किया मैं तो तब भी नहीं डरा था जब मुंबई पर आतंकी हमला हुआ था। जब अयोध्या से लौट रहे रामभक्तों के पूरे कम्पार्टमेंट को ज्वलनशील तेलों से जला दिया गया था। मैं तो तब भी बे -खौफ था ,पर एक बार जब इन्होनें बम्बई बोले तो अपने बॉम्बे को मुंबई कहना शुरू किया था तब हल्का सा झटका मुझे लगा था।

प्रिया  क्या है अब भी कुछ वैसे वैसे लक्षण दिखाई देते हैं।  आपस में लोग राम राम करते हैं ,राम मंदिर की बात होती है ,सब के लिए समान क़ानून की बात होती है।  अब कोई ऐसा प्रधानमंत्री  भी नहीं  है जो कहे इस देश की संपत्ति पर पहला हक़ मुसलामानों का है। डर तो लगेगा ही प्रिया हमारी अल्पसंख्यक जमात को और हमारे मज़हब को समान क़ानून से क्या लेना देना। ये तो अभिव्यक्ति पर संकट है । अ -सहिष्णुता  की हद है। भला कैसा अच्छा ज़माना था कि पाकिस्तानी सैनिक आकर हिन्दुस्तानी सेना के सिर काट के ले जाते थे। और हमारे प्रधानमंत्री सहिष्णुता के मद्दे नज़र घोड़े बेचके सो जाते थे। ऑस्ट्रेलिया में भी यदि कोई हमारा बिरादर आतंकी होने के शक में धरा जाता था तो हमारे प्रधानमन्त्री की नींद उड़ जाती थी। रात करवट बदलते जाती थी। कहीं कोई डर भी नहीं था। मौज़ ही मौज़ थी। लिव -इन -रिलेशन बढ़ाओ ,ये गृहस्थ में क्या रखा है। गे बनके रहो न। मौज़ ही मौज़। हमें तो अच्छा लगता है कोई भय भी नहीं। पता नहीं  कैसे लोग आ गए  हैं। अब इस पर भी चर्चा करते हैं। दूसरों के खाने पीने पर भी एतराज उठाते हैं। बकरी खाओ या सूअर या गाय जानवर ही तो हैं। बकरी और सूअर पर कोई एतराज नहीं पर गाय पर दादरी खड़ी कर देते हैं। अच्छे भले से इखलाक को शहीद कर देते हैं।

अब भय तो लगेगा ही। ऐसे माहौल में कैसे ज़िया जा सकता है। हम तो ठसके से जिएंगे। अपनी शान बान ,नौकर चाकर और अपनी मर्ज़ी से जैसे चाहेंगे जिएंगे। जो मन में आएगा वही खाएंगे। शयन कक्ष और छत को एक जैसा बना देंगे। पर कहेंगे तो हम  यही कि चारों ओर डर ही डर है। डर किसको नहीं है। चोर डकैत तस्कर पकड़े जा रहे हैं। क्या ये मेहनत का काम नहीं। उनको कुचला जा रहा है। इसलिए तो पप्पू कह रहा है ,पूरे गर्जन तर्जन से कहता है कि मुझे जेल में डाल दो मैं किसी से नहीं डरता। जब वो जेल में जाकर नहीं डरता तो मेरी प्रिया तुम क्यों डरती हो।

हाँ कोई   बड़े लाभ का सौदा कर लिया है तो मैं यही  कहूँगा कि चारों तरफ डर ही डर है। अभिव्यक्ति पर संकट है। कितनी अ -सहिष्णुता है। देखो परसों से संसद का शीतकालीन अधिवेशन आरम्भ हो रहा है। हम ही छाये रहेंगे उसमें। मंदमति मूषक राग डर -भैरव ही अलापेगा।

 प्रस्तुति :डॉ वागीश मेहता ,एवं वीरेंद्र शर्मा

  

भज गोविन्दम भज गोविन्दम ,गोविन्दम भज मूढ़ मते :भावार्थ सहित


"Bhaja Govindam" || With Lyrics || Krishna Bhajans ( Full Song )

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"Bhaja Govindam" "Krishna Bhajans" "Lyrics Video" Srimad Adi Shankaracharya Bhagavadpada has composed the Bhaja ...
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भज  गोविन्दम भज गोविन्दम ,गोविन्दम भज मूढ़ मते :भावार्थ सहित

Worship govindam oh fool !

seek him when the hr of death approaches ,the formula of grammer will not save you .

O fool get rid to amass wealth now .Get rid of vain desires.

Fill the mind with noble  thoughts .Be content with what comes with  through actions of the past .

As long as you have the ability to earn and save ,your dependents are attached to you .

When you totter with an old , infirm body ,No one at home cares to speak a word with you .

Take no pride in the possessions in the people at your command or in your youth .Time loots away all these in a moment .

Free yourself from the illusion of the world of Maya and attain the timeless truth .

Sheltering in temples ,under the trees ,wearing a dear skin and sleeping on the naked ground .

Thus renouncing all ideas of possessions and attachment.. to whom this passion will not give  happiness .

Lat a man read little from Bhagvad gita and just drink a drop of water from the Ganga and worship Murari just once, to him there is no quarrel with Lord Yama (God of death ).

Birth again ,and death again and birth again,

This process of Sansara is very hard to cross over .Save me O Murari through infinite kindness .

Recite from the Gita meditate on Lord Vishnu in yr heart and chant His thousand glories .

Take delight to be with the noble and kind ,distribute yr wealth in charity to the poor and needy .

Wealth is not welfare .Truely there is no joy in it .Reflect on this at all times .
A rich man fears even  his own  son .This is the way of wealth everywhere .

O devoted dicipile of Guru May thou be free from Sansara .

Through disciplined senses and controlled mind you shall come to experience the Lord that  dwells in your own heart .

सोमवार, 23 नवंबर 2015

ख़ुशी के मौके पर सब कुछ चलता है सपा के एक विधायक कहते नज़र आये ,मुज़रे से आगे निकल एक दिन सड़कों पर यूपी की निर्वस्त्रीकर नृत्य ,भी हो जाए। नेताजी के ये एमएलए मुम्बईया फिल्मों का एक कुशल किरदार दिखलाई दिए हैं। अनेक संभावनाएं हैं इस पार्टी की।

 तलवार का इस्तेमाल विरोधी की गर्दन काटने के लिए किया जाता था। झटका मीट खाने वाले इसका इस्तेमाल  बकरे  की  गर्दन काटने में भी करते देखे गए हैं। इधर समाजवादी पार्टी के लोगों ने केक जैसी कोमल चीज़ को काटने में इसका इस्तेमाल  किया। खून तो नहीं निकला लेकिन केक की आत्मा क्या सोचती होगी। कैसे कैसे जीव हैं इस चौरासी लखिया योनि में।

बचपन में हमें नौटंकी देखने की तो कौन कहे उस बाज़ार में से गुज़रने की इज़ाज़त भी नहीं मिलती थी जिसमें बुलंदशहर की सालाना  नुमाइश के दौरान नौटंकी मेला मेला भी आता था।
अलबत्ता तीसरी कसम का वह गीत और उसका फिल्मांकन भूले नहीं भूलता 'पान खाए सैयां हमारो 'भारत के उत्तर प्रदेश  की कबीलाई समाजवादी पार्टी यूपी के नेताजी के जन्मदिन जश्न पर नौटंकी बाई को पंचायत घर तक ले आई। ख़ुशी के मौके पर  सब कुछ चलता है सपा के एक विधायक कहते नज़र आये ,मुज़रे से आगे निकल एक दिन सड़कों पर यूपी की निर्वस्त्रीकर नृत्य ,भी हो  जाए। नेताजी के ये एमएलए मुम्बईया फिल्मों का एक कुशल किरदार दिखलाई दिए हैं। अनेक संभावनाएं हैं इस पार्टी की।



     

क्या आप बड़ी मासूमियत के साथ ये कहना चाहते हैं मेरे साथ राजनीतिक बदखैली की गई। राजनीति का बलात्कार है ये ?

अरविन्द केजरीवाल नीतीश जी के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे। लालूजी से गले मिले। इसकी चर्चा समाचार चैनलों और अखबारों ,सोशल मीडिया में न हो ऐसा कैसे  हो सकता है। गले मिलने का तो एक ही तरीका होता है चाहे प्रेम से मिलो या ईर्ष्या से ,असली सवाल तो ये है क्या केजरीवाल ये नहीं जानते थे कि ये वही लालू है जिस पर भारत की माननीय कोर्ट जुर्माना लगा चुकी है उसके चुनाव लड़ने को बाधित कर चुकी है जो करोड़ों का चारा खा चुका है।

दो इंच मुस्कान होंठों पे लिए  मिले केजरीवाल  लालूजी से। उनकी  मुद्रा   प्रेम पूर्ण थी ,निर्दोष थी।  वैसी ही मुस्कान लिए अब वह पार्टी की बैठक में कह रहे हैं मैं तो हाथ ही मिला रहा था। उन्होंने मुझे खींच के गले लगा  लिया। यहां तक तो ठीक लेकिन आपने ये नहीं बताया लालू ने आपके कान में कहा क्या था। वैसे तो आप दोनों में कौन किसका राजनीतिक बाप है यह बतलाना मुश्किल है लेकिन ऊपर से देखने में लगता यही है आप उनसे चारा खाने के  गुर सीखने गए थे।

पूर्व में आप उनके दोनों बेटों के समर्थन में भी बिहार पधारे थे। राजनीति में हूप हूप.…  हुप हूप हुप  करने वाले लालू के बेटे अब  इसी हूप हूप शैली को आगे बढ़ाएंगे। क्या आप बड़ी मासूमियत के साथ ये कहना चाहते हैं मेरे साथ राजनीतिक बदखैली की गई। राजनीति  का बलात्कार   है ये ?  

शनिवार, 21 नवंबर 2015

भ्रष्ट समागम में मिले , लालू और अरविन्द , महाभ्रष्ट से मिल रहे ,भ्रष्ट विरोधी रिन्द



 भ्रष्ट समागम में मिले , लालू और अरविन्द  ,

महाभ्रष्ट से मिल रहे ,भ्रष्ट विरोधी रिन्द  ।  

जागेगा अब  हिन्द ,भ्रष्ट सब गले मिलेंगे ,

गाएंगे सब भजन ,बोल  जय राधेगोबिंद,

और साथ में जय जय हिन्द। 

महाभ्रष्ट से मिल रहे ,भ्रष्ट विरोधी रिन्द ,

 श्रीभ्रष्ट स्तुति :

हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे ,

गिरवीं बहुमत पास हमारे । 

पूज्यदेव  सब भ्रष्ट हमारे ,

 तन मन धन सब इन पर वारे। 

बिहार के ताज़ा भ्रष्ट समागम पर चार लाईना :



 भ्रष्ट समागम में मिले , लालू और अरविन्द  ,

महाभ्रष्ट से मिल रहे ,भ्रष्ट विरोधी रिन्द  ।  

जागेगा अब  हिन्द ,भ्रष्ट सब गले मिलेंगे ,

गाएंगे सब भजन ,बोल  जय राधेगोबिंद,

और साथ में जय जय हिन्द। 

महाभ्रष्ट से मिल रहे ,भ्रष्ट विरोधी रिन्द ,

 श्रीभ्रष्ट स्तुति :

हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे ,

गिरवीं बहुमत पास हमारे । 

पूज्यदेव  सब भ्रष्ट हमारे ,

 तन मन धन सब इन पर वारे। 





शुक्रवार, 20 नवंबर 2015

अलबत्ता आपकी माता सोनिया मायनो ये ज़रूर चुनौती दे सकतीं हैं देखो मैंने कैसा अजूबा पैदा किया है आप पैदा करके दिखाओ मैं आपको खुली चौनौती देती हूँ। इसे कोई चुनौती देने आगे नहीं आएगा।

किसी कवि ने ठीक ही कहा है -थोथे बादर क्वार के घहर घहर घहराय अर्थात थोथा चना बाजे घना और मुहावरा एक यह भी है -जो गरजते हैं वो बरसते नहीं।(Barking dogs seldom bite ),ये छंद और मुहावरे अक्षरअंश अपने राहुल बाबा पर पूरे उतरते हैं। पहली बात तो उन्हें किसी ने लड़ने की चुनौती नहीं दी है उनके अंदर का भय ही बोल रहा है जब वह कहते हैं मैं किसी से रत्ती भर भी नहीं डरता।  मोदी से मैं बित्ता भर भी नहीं डरता। वह चाहे तो जांच करा लें ,मुझे छ : महीने में  जेल में दाल दें। दूसरी बात उन्होंने यह कही कि आरआरएस देश को बांटती है।

उनके पास दोहरी नागरिकता है यह रिकार्ड पर है। जब जेल जाने का वक्त आएगा उन्हें पता भी नहीं चलेगा ,उनसे पूछा भी नहीं जाएगा। अपनी दादी की बात उन्होंने की है कि वो देश को  जोड़ती थीं।

उनकी वंशावलियाँ ये काम विधिवत करती आईं  हैं वह तो तब पैदा भी नहीं हुए थे। आईये राहुल बाबा आपको एक विहंगावलोकन करवा देते हैं कांग्रेस की विभाजक गतिविधियों का। १९२५ में कांग्रेस  ने वृहद हिन्दू समाज (सनातनधर्मी भारतधर्मीसमाज ) से सिख समुदाय  को अलग करने की कोशिश की। १९४७ में देश का विभाजन करवाया ,बाद इसके जब कबीलाई वेश में पाकिस्तान की फ़ौज काश्मीर में घुस आई भारतीय फौजों ने उन्हें उनके घर तक घदेड़ा। नेहरू आलमी दिःखने की कोशिश में काश्मीर मामले को यूएनओ में ले गए। रणबाणुरों द्वारा जीती हुई जमीन लौटाई गई। वही काश्मीर आज तक भारत के लिए नासूर बना हुआ है। आतंकवाद  का एक आयाम काश्मीर भी रहा आया है।  आज के  ये तमाम आज़म खान उनकी उसी सोच की उपज हैं।

सिख पंथ को  नेहरू- गांधी वंशावलियों ने निरंकारी गैर निरंकारी में बांटा। आपकी अम्मा आज तक भी बा -कायदा यही काम कर रहीं हैं। आपने ही जैनियों और दिगम्बरों में अलगाव करवाया। रामकृष्णपरम हंस के अस्थालुओं से  कहलवाया हम हिन्दू नहीं हैं।

१९८४ में आपके  पिताश्री ने सिख नरसंहार कराया -बस एक भड़काऊ  वाक्य बोला -जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है धरती कांपती है। सिख दंगों में मारे गए लोगों के आश्रितों के हितों की लड़ाई लड़ने वाले मशहूर वकील एच एस फुल्का ने ये सही मांग उठाई है कि नरसंहार के लिए उकसाने वाले राजीव गांधी  से भारतरत्न वापस लिया जाए।

अलबत्ता आपकी माता सोनिया मायनो ये ज़रूर चुनौती दे सकतीं हैं देखो मैंने कैसा अजूबा पैदा किया है आप पैदा करके दिखाओ मैं आपको खुली चौनौती देती हूँ। इसे कोई चुनौती देने आगे नहीं आएगा।

Virendra Sharma ने एक लिंक साझा किया.
New Delhi: Senior lawyer HS Phoolka, who has been fighting for the rights of 1984 Sikh riots victims, on Thursday demanded that former prime minister Rajiv…
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