मंगलवार, 31 जुलाई 2012

कम खतरनाक नहीं है बच्चों की मनो -वैज्ञानिक हेटी करते रहना



 कम खतरनाक नहीं है बच्चों की मनो -वैज्ञानिक हेटी करते रहना 

मनोवैज्ञानिक तौर पर बच्चों  की हेटी करना उन्हें तुच्छ समझना उनके साथ किया जाने वाला एक आम दुर   व्यवहार है .माहिरों को इस दुर्व्यवहार के लक्षणों को पहचानने के प्रति खबरदार रहने के लिए ब्रितानी रिसर्चरों ने कहा है .बच्चों के साथ की गई मार कुटोवल की तरह ही उनकी मनोवैज्ञानिक तौर पर हेटी करना खतरनाक है नुकसानदेह है उनके आने वाले कल के लिए .इस साइकोलोजिकल और इमोशनल एब्यूज में आप शामिल कर लीजिए बच्चों को आतंकित करना उनकी उपेक्षा करना ,उन्हें तुच्छ समझना बूझना .टाइम .कोम के अनुसार आजकल बच्चों के साथ की गई यह रागात्मक संवेगात्मक बदसुलूकी एक अपवाद न होकर नियम सी आम हो गई है .माँ बाप ,देखभाल करने वाले कथित संरक्षकों की इस आदत से बच्चों को निजात दिलवाना उतना आसान भी नहीं है .वजह इसकी साफ़ है जहाँ  बालकों के साथ की गई यौन बदसुलूकी ,मारपीट को तात्कालिक तवज्जो मिल जाती है  इमोशनल एब्यूज के मामलों में ऐसा बिरले भी कहाँ हो पाता है जबकि फौरी ज़रुरत बन गई है उन्हें ऐसे संरक्षकों से दूर रखके उनकी परवरिश करना देख भाल करना .जर्नल पीडया-ट्रीक्स  में यह अध्ययन हाल ही में प्रकाशित हुआ है .इस मनोवैज्ञानिक बदसलूकी का खामियाजा आगे जाके इन नौनिहालों को उठाना पड़ेगा अध्ययन का यह दो टूक सन्देश है .बच्चों के साथ की गई इस रागात्मक बदसुलूकी के माहिर ऐसी बदसुलूकी करने वाले माँ बाप के लिए विशेष कक्षाएं लगाने की सलाह दे रहें हैं ताकि समय रहते बालकों की  इस उपेक्षा को मुल्तवी रखा जा सके समय रहते रोका जा सके .

We are talking about extremes and the likelihood of harm, or risk of harm, resulting from the kinds of behavior that make a child feel worthless, unloved or unwanted," Harriet MacMillan, one of the three pediatrician authors, told reporters.
कोई फिर भी न चेते तो उसकी मर्जी .
माहिरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के आगे सबसे बड़ी चुनौती इस प्रकार के दुर्व्यवहार का रेखांकन करना है क्योंकि इसका प्रक्षेपण किसी एक ख़ास घटना दुर्व्यवहार से न होकर चाइल्ड पेरेंट रिलेशन से है .
Can spanking cause mental illness?
अनुत्तरित है आज यह प्रश्न लेकिन हर वक्त बच्चों को भय दिखलाते रहना एक प्रकार का दुर्व्यवहार ही है कोई माँ उन्हें होस्टिल (बोर्डिंग स्कूल )में डालने ,डाल देने का भय गाहे बगाहे दिखलाती रहती है तो कोई स्कूल में उनकी शिकायत करने के लिए फोन ही घुमा देती है (फोन घुमाने डायल करने का अभिनय करती है .होम वर्क करवाते वक्त ऐसी खरी खोटी सुनाती है जिसका बच्चे ठीक से मतलब भी नहीं समझते मसलन "ये /तू नहीं पढेगा ,जा जाके जमादार बनजा और ये ललनाएं कोई साधारण मोम नहीं है कोई किसी नेवल कमांडर की बीवी है जो खुद से ही अपना रेंक एक दर्जा बढ़ाके घर रुपी गृहस्थी के जहाज़ की कैप्टेन बन जाती है तो कोई लेफ्टिनेंट की बीवी है (होती सिर्फ ये बीवियां हैं जिनका अकसर अपना कोई दर्जा नहीं होता ).माँ तो इनमे मुखरित ही नहीं होती है .


बेशक यदा कदा ही सही अच्छे खासे बच्चों पे अपना प्यार उड़ेलने वाले माँ बाप भी अपना आपा खोके बच्चों पे उत्तेजित होकर दहाड़ते हैं .चीखते हैं बे -तहाशा .बच्चा एक दम से सहम जाता है इस अप्रत्याशित व्यवहार (खीझ )का  मतलब भी नहीं समझ पाता.
बतलादें आपको सामाजिक मेलमिलाप उठ बैठ से अपने बच्चों को दूर रखना भी एक किस्म का दुर्व्यवहार ही कहलायेगा .आखिर
 सोशल इंटरेक्शन क्यों नहीं ?क्यों सिर्फ इस पर आपका (माँ बाप )का ही कब्जा रहे .
बेशक यदि बड़ा बच्चा अपने से छोटे को सता रहा है मार पीट कर रहा है और कहना नहीं मान रहा है आपका तो उसे अलग कमरे में छोड़ कर कमरा बाहर से बंद कर दें .अकेले में वह सोचेगा ज़रूर वह कर क्या रहा था और इस अलहदगी को आप भले दुर्व्यवहार भी न माने . 
यकीनन यहाँ किसी केजुअल विजिटर को यह कतई इल्म नहीं होगा कि आपका व्यवहार अपने बच्चों के साथ सच मुच है कैसा .वह अधिकतम यह ही सोच पायेगा शायद वह ही किसी गलत वक्त पे चला आया गलत दिन चुना उसने अपने आने का आपसे मिलने .भले उसे आपकी पेरेंटिंग पे शक भले हो लेकिन वह किसी नतीजे पे पहुँच नहीं पायेगा .
Time.com: How child abuse primes the brain for future mental illness
Psychological abuse can also include what you might call "corrupting a child" — encouraging children to use illicit drugs, for example, or to engage in other illegal activities.
इस अध्ययन के रचेताओं के अनुसार अमरीका और ब्रिटेन के एक सर्वे में शामिल ८-९% पुरुषों और ४%महिलाओं ने यह माना है कि बचपन में उनके साथ ज़मके भावात्मक और मनोवैज्ञानिक  बदसुलूकी हुई है .अमरीका में ही किये कितने ही अन्य सर्वेक्षणों में भी वयस्कों ने यह खुलके तसदीक किया है कि बचपन में उनके साथ रागात्मक सम्वेगात्मक और मनो -वैज्ञानिक दुर्व्यवहार अन्य छेड़छाड़ से कहीं ज्यादा  हुआ है .
इससे इस दुर्व्यवहार की व्याप्ति सहज ही समझी जा सकती है एक आम चलन सा बना हुआ है यह साइक्लोजिकल एब्यूज किड्स के साथ .वाह री पेरेंटिंग .
Because of that, pediatricians must be as sensitive to signs of emotional maltreatment as they are to signals of sexual or physical abuse, the authors say. And while it may be possible in the event of psychological abuse to intervene to improve the child's home life — especially where the root cause is a parent's own mental-health issue — the authors stress:
ज़ाहिर है माहिरों के लिए अब और इसकी अनदेखी करना मुमकिन नहीं रह गया है इस दुर्व्यवहार के छिपे संकेतों ,लक्षणों को उन्हें पहचानना ही होगा साफ़ साफ़ .कई मर्तबा इस दुर्व्यवहार की नव्ज़ और वजह माँ बाप की अपनी ही मानसिक सेहत से जुडी हो सकती है .वह खुद भी मासिक रूप से बीमार हो सकतें हैं .ऐसे में माहिरों का दखल ज़रूरी हो जाता है ताकी नौनिहाल अपने घर में शान्ति से रह सकें .

stress:
Consideration of out-of-home care interventions should not be restricted to cases of physical or sexual abuse; children exposed to psychological maltreatment may also require a level of protection that necessitates removal from the parental home.
इस बहाली से बच्चों को निकालना भी उतना ही ज़रूरी है जितना यौन शोषण और इतर दुर्व्यवहारों से .

बच्चों को तुच्छ समझ उन्हें मनोवैज्ञानिक रूप से सताने का मतलब



 कम खतरनाक नहीं है बच्चों की मनो -वैज्ञानिक हेटी करते रहना 

मनोवैज्ञानिक तौर पर बच्चों  की हेटी करना उन्हें तुच्छ समझना उनके साथ किया जाने वाला एक आम दुर   व्यवहार है .माहिरों को इस दुर्व्यवहार के लक्षणों को पहचानने के प्रति खबरदार रहने के लिए ब्रितानी रिसर्चरों ने कहा है .बच्चों के साथ की गई मार कुटोवल की तरह ही उनकी मनोवैज्ञानिक तौर पर हेटी करना खतरनाक है नुकसानदेह है उनके आने वाले कल के लिए .इस साइकोलोजिकल और इमोशनल एब्यूज में आप शामिल कर लीजिए बच्चों को आतंकित करना उनकी उपेक्षा करना ,उन्हें तुच्छ समझना बूझना .टाइम .कोम के अनुसार आजकल बच्चों के साथ की गई यह रागात्मक संवेगात्मक बदसुलूकी एक अपवाद न होकर नियम सी आम हो गई है .माँ बाप ,देखभाल करने वाले कथित संरक्षकों की इस आदत से बच्चों को निजात दिलवाना उतना आसान भी नहीं है .वजह इसकी साफ़ है जहाँ  बालकों के साथ की गई यौन बदसुलूकी ,मारपीट को तात्कालिक तवज्जो मिल जाती है  इमोशनल एब्यूज के मामलों में ऐसा बिरले भी कहाँ हो पाता है जबकि फौरी ज़रुरत बन गई है उन्हें ऐसे संरक्षकों से दूर रखके उनकी परवरिश करना देख भाल करना .जर्नल पीडया-ट्रीक्स  में यह अध्ययन हाल ही में प्रकाशित हुआ है .इस मनोवैज्ञानिक बदसलूकी का खामियाजा आगे जाके इन नौनिहालों को उठाना पड़ेगा अध्ययन का यह दो टूक सन्देश है .बच्चों के साथ की गई इस रागात्मक बदसुलूकी के माहिर ऐसी बदसुलूकी करने वाले माँ बाप के लिए विशेष कक्षाएं लगाने की सलाह दे रहें हैं ताकि समय रहते बालकों की  इस उपेक्षा को मुल्तवी रखा जा सके समय रहते रोका जा सके .

We are talking about extremes and the likelihood of harm, or risk of harm, resulting from the kinds of behavior that make a child feel worthless, unloved or unwanted," Harriet MacMillan, one of the three pediatrician authors, told reporters.
कोई फिर भी न चेते तो उसकी मर्जी .
माहिरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के आगे सबसे बड़ी चुनौती इस प्रकार के दुर्व्यवहार का रेखांकन करना है क्योंकि इसका प्रक्षेपण किसी एक ख़ास घटना दुर्व्यवहार से न होकर चाइल्ड पेरेंट रिलेशन से है .
Can spanking cause mental illness?
अनुत्तरित है आज यह प्रश्न लेकिन हर वक्त बच्चों को भय दिखलाते रहना एक प्रकार का दुर्व्यवहार ही है कोई माँ उन्हें होस्टिल (बोर्डिंग स्कूल )में डालने ,डाल देने का भय गाहे बगाहे दिखलाती रहती है तो कोई स्कूल में उनकी शिकायत करने के लिए फोन ही घुमा देती है (फोन घुमाने डायल करने का अभिनय करती है .होम वर्क करवाते वक्त ऐसी खरी खोटी सुनाती है जिसका बच्चे ठीक से मतलब भी नहीं समझते मसलन "ये /तू नहीं पढेगा ,जा जाके जमादार बनजा और ये ललनाएं कोई साधारण मोम नहीं है कोई किसी नेवल कमांडर की बीवी है जो खुद से ही अपना रेंक एक दर्जा बढ़ाके घर रुपी गृहस्थी के जहाज़ की कैप्टेन बन जाती है तो कोई लेफ्टिनेंट की बीवी है (होती सिर्फ ये बीवियां हैं जिनका अकसर अपना कोई दर्जा नहीं होता ).माँ तो इनमे मुखरित ही नहीं होती है .


बेशक यदा कदा ही सही अच्छे खासे बच्चों पे अपना प्यार उड़ेलने वाले माँ बाप भी अपना आपा खोके बच्चों पे उत्तेजित होकर दहाड़ते हैं .चीखते हैं बे -तहाशा .बच्चा एक दम से सहम जाता है इस अप्रत्याशित व्यवहार (खीझ )का  मतलब भी नहीं समझ पाता.
बतलादें आपको सामाजिक मेलमिलाप उठ बैठ से अपने बच्चों को दूर रखना भी एक किस्म का दुर्व्यवहार ही कहलायेगा .आखिर
 सोशल इंटरेक्शन क्यों नहीं ?क्यों सिर्फ इस पर आपका (माँ बाप )का ही कब्जा रहे .
बेशक यदि बड़ा बच्चा अपने से छोटे को सता रहा है मार पीट कर रहा है और कहना नहीं मान रहा है आपका तो उसे अलग कमरे में छोड़ कर कमरा बाहर से बंद कर दें .अकेले में वह सोचेगा ज़रूर वह कर क्या रहा था और इस अलहदगी को आप भले दुर्व्यवहार भी न माने . 
यकीनन यहाँ किसी केजुअल विजिटर को यह कतई इल्म नहीं होगा कि आपका व्यवहार अपने बच्चों के साथ सच मुच है कैसा .वह अधिकतम यह ही सोच पायेगा शायद वह ही किसी गलत वक्त पे चला आया गलत दिन चुना उसने अपने आने का आपसे मिलने .भले उसे आपकी पेरेंटिंग पे शक भले हो लेकिन वह किसी नतीजे पे पहुँच नहीं पायेगा .
Time.com: How child abuse primes the brain for future mental illness
Psychological abuse can also include what you might call "corrupting a child" — encouraging children to use illicit drugs, for example, or to engage in other illegal activities.
इस अध्ययन के रचेताओं के अनुसार अमरीका और ब्रिटेन के एक सर्वे में शामिल ८-९% पुरुषों और ४%महिलाओं ने यह माना है कि बचपन में उनके साथ ज़मके भावात्मक और मनोवैज्ञानिक  बदसुलूकी हुई है .अमरीका में ही किये कितने ही अन्य सर्वेक्षणों में भी वयस्कों ने यह खुलके तसदीक किया है कि बचपन में उनके साथ रागात्मक सम्वेगात्मक और मनो -वैज्ञानिक दुर्व्यवहार अन्य छेड़छाड़ से कहीं ज्यादा  हुआ है .
इससे इस दुर्व्यवहार की व्याप्ति सहज ही समझी जा सकती है एक आम चलन सा बना हुआ है यह साइक्लोजिकल एब्यूज किड्स के साथ .वाह री पेरेंटिंग .
Because of that, pediatricians must be as sensitive to signs of emotional maltreatment as they are to signals of sexual or physical abuse, the authors say. And while it may be possible in the event of psychological abuse to intervene to improve the child's home life — especially where the root cause is a parent's own mental-health issue — the authors stress:
ज़ाहिर है माहिरों के लिए अब और इसकी अनदेखी करना मुमकिन नहीं रह गया है इस दुर्व्यवहार के छिपे संकेतों ,लक्षणों को उन्हें पहचानना ही होगा साफ़ साफ़ .कई मर्तबा इस दुर्व्यवहार की नव्ज़ और वजह माँ बाप की अपनी ही मानसिक सेहत से जुडी हो सकती है .वह खुद भी मासिक रूप से बीमार हो सकतें हैं .ऐसे में माहिरों का दखल ज़रूरी हो जाता है ताकी नौनिहाल अपने घर में शान्ति से रह सकें .

stress:
Consideration of out-of-home care interventions should not be restricted to cases of physical or sexual abuse; children exposed to psychological maltreatment may also require a level of protection that necessitates removal from the parental home.
इस बहाली से बच्चों को निकालना भी उतना ही ज़रूरी है जितना यौन शोषण और इतर दुर्व्यवहारों से .
बच्चों को तुच्छ  समझ उन्हें मनोवैज्ञानिक रूप से सताने का मतलब 

NYC'S fat ban paying off


NYC'S fat ban paying off
न्यूयोर्क शहर में आयद किये गए उस पांच साल पुराने प्रतिबन्ध के सु -परिणाम अब खुलकर सामने आयें हैं जिसके तहत शहर के रेस्तराओं को  ट्रांस फेट्स इस्तेमाल करने के लिए मना किया गया था .फास्ट फूड्स के प्रेमियों को इसका सीधा फायदा पहुंचा है .शहर के स्वास्थ्य अफसरान द्वारा संपन्न एक अध्ययन से पता चला है इन रेस्तराओं ने Hydrogenated  oils का इस्तेमाल कमतर कर दिया है . ट्रांस फेट्स और स्प्रेड्स का मुख्य स्रोत यही हाड्रोजन से संयुक्त किया गया तेल था .हम जानतें हैं फास्ट फ़ूड बासा खाना ही होता है जिसकी भंडारण अवधि को बढाने के लिए ही ट्रांस फेट्स का इस्तेमाल किया जाता रहा है .ट्रांस फेट्स बोले तो डालडा .बोले तो हाइड्रोजन -ईकृत तेल .
ख़ुशी की बात यह है इस प्रतिबन्ध के वांछित परिणाम सामने आयें हैं .ट्रांस फेट्स की मात्रा तमाम खाद्यों में पहले के तीन ग्राम से घटके आधा ग्राम रह गई है .अलावा इसके जहां २००७ में ऐसे खाद्य जिनमे आधा मिलीग्राम या इससे भी कम ट्रांस फेट्स था ३०%ही थे २००९ में बढ़कर ५९% हो गए .इतना ट्रांस फेट्स न के बराबर ही या फिर निरापद ही समझा जाता है .
ज्यादातर उपभक्ताओं को इसका पता भी नहीं चला है कहीं से कोई खदबदाहट नहीं हुई है .मैकदोनाल्ड्स,बर्जर किंग्स ,पिजा हटआदि  सभी खाद्य संशाधन ,तपाने ,बेकिंग ,तेल में पकाने तलने आदि के लिए ट्रांस फेट्स का ही इस्तेमाल करते आये थे.बेशक कुछ ट्रांस फेट्स मांस और दुग्ध उत्पादों में कुदरती तौर पर भी मौजूद रहता है लेकिन  अब इन नतीजों से उत्साहित होकर न्यूयोर्क ही नहीं अमरीका के बाकी सभी राज्यों में भी इन ईट्रीज़ ने ट्रांस फेट्स को कमतर रखने का ही मन बना लिया है .
स्थानीय स्तर पर की गई एक छोटी सी पहल एक बड़ी पहल में तब्दील होने जा रही है .

क्या नुकसान है ट्रांस फेट्स का (Hydrogenated vegetable oils )का ?

ट्रांस फेट्स दिल को खतरे में डालने वाले बेड LDL Cholesterol के स्तर को हमारे खून में बढातें हैं जबकि  दिल के लिए मुफीद समझे गए HDL Cholesterol के स्तर को कम कर देतें हैं .  
ट्रांस फेट्स का कथित मोडरेट इस्तेमाल भी दिल के लिए ख़तरा -ए -जान बनके खड़ा हो जाता है.

२००६ से ही अमरीकी दवा एवं खाद्य संस्था ऍफ़.डी .ए .ने पैकिट में बंद खाद्यों को अपने  लेबल पर ट्रांस फेट्स दर्शाने का अनुदेश ज़ारी किया था और अमरीका में अनुदेश का मतलब हुकुम ही होता है जिसकी तामील की जाती है लेकिन इसे अप्रयाप्त ही समझा बूझा  गया तो इसकी वजह भी स्पष्ट है अमरीकी अपने भोजन का एक तिहाई अंश प्रति दिन इन फ़ूड सेंटर्स से ही जुटातें हैं .


पूर्व में न्यूयोर्क से ही पहल की गई थी सोडा(पेप्सी ,कोक ,आदि ) की बोतलों का आकार घटाने की .यहाँ बिग पोर्शन और बिग साइज़ हावी रहा है अमरीकी मानसिकता में इसीलिए दूरी भी मील में नापी जाती है न कि किलोमीटर में .  यहाँ हर चीज़ का मेगा साइज़ है कार से लेकर मानुषों का .अमरीकियों के मुटियाने की वजह भी यह बिग पोर्शन ही बना है ,अनाप सनाप फास्ट फ़ूड और शराब भी .

कम खतरनाक नहीं है बच्चों की मनो -वैज्ञानिक हेटी करते रहना


 कम खतरनाक नहीं है बच्चों की मनो -वैज्ञानिक हेटी करते रहना 

मनोवैज्ञानिक तौर पर बच्चों  की हेटी करना उन्हें तुच्छ समझना उनके साथ किया जाने वाला एक आम दुर   व्यवहार है .माहिरों को इस दुर्व्यवहार के लक्षणों को पहचानने के प्रति खबरदार रहने के लिए ब्रितानी रिसर्चरों ने कहा है .बच्चों के साथ की गई मार कुटोवल की तरह ही उनकी मनोवैज्ञानिक तौर पर हेटी करना खतरनाक है नुकसानदेह है उनके आने वाले कल के लिए .इस साइकोलोजिकल और इमोशनल एब्यूज में आप शामिल कर लीजिए बच्चों को आतंकित करना उनकी उपेक्षा करना ,उन्हें तुच्छ समझना बूझना .टाइम .कोम के अनुसार आजकल बच्चों के साथ की गई यह रागात्मक संवेगात्मक बदसुलूकी एक अपवाद न होकर नियम सी आम हो गई है .माँ बाप ,देखभाल करने वाले कथित संरक्षकों की इस आदत से बच्चों को निजात दिलवाना उतना आसान भी नहीं है .वजह इसकी साफ़ है जहाँ  बालकों के साथ की गई यौन बदसुलूकी ,मारपीट को तात्कालिक तवज्जो मिल जाती है  इमोशनल एब्यूज के मामलों में ऐसा बिरले भी कहाँ हो पाता है जबकि फौरी ज़रुरत बन गई है उन्हें ऐसे संरक्षकों से दूर रखके उनकी परवरिश करना देख भाल करना .जर्नल पीडया-ट्रीक्स  में यह अध्ययन हाल ही में प्रकाशित हुआ है .इस मनोवैज्ञानिक बदसलूकी का खामियाजा आगे जाके इन नौनिहालों को उठाना पड़ेगा अध्ययन का यह दो टूक सन्देश है .बच्चों के साथ की गई इस रागात्मक बदसुलूकी के माहिर ऐसी बदसुलूकी करने वाले माँ बाप के लिए विशेष कक्षाएं लगाने की सलाह दे रहें हैं ताकि समय रहते बालकों की  इस उपेक्षा को मुल्तवी रखा जा सके समय रहते रोका जा सके .

We are talking about extremes and the likelihood of harm, or risk of harm, resulting from the kinds of behavior that make a child feel worthless, unloved or unwanted," Harriet MacMillan, one of the three pediatrician authors, told reporters.
कोई फिर भी न चेते तो उसकी मर्जी .
माहिरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के आगे सबसे बड़ी चुनौती इस प्रकार के दुर्व्यवहार का रेखांकन करना है क्योंकि इसका प्रक्षेपण किसी एक ख़ास घटना दुर्व्यवहार से न होकर चाइल्ड पेरेंट रिलेशन से है .
Can spanking cause mental illness?
अनुत्तरित है आज यह प्रश्न लेकिन हर वक्त बच्चों को भय दिखलाते रहना एक प्रकार का दुर्व्यवहार ही है कोई माँ उन्हें होस्टिल (बोर्डिंग स्कूल )में डालने ,डाल देने का भय गाहे बगाहे दिखलाती रहती है तो कोई स्कूल में उनकी शिकायत करने के लिए फोन ही घुमा देती है (फोन घुमाने डायल करने का अभिनय करती है .होम वर्क करवाते वक्त ऐसी खरी खोटी सुनाती है जिसका बच्चे ठीक से मतलब भी नहीं समझते मसलन "ये /तू नहीं पढेगा ,जा जाके जमादार बनजा और ये ललनाएं कोई साधारण मोम नहीं है कोई किसी नेवल कमांडर की बीवी है जो खुद से ही अपना रेंक एक दर्जा बढ़ाके घर रुपी गृहस्थी के जहाज़ की कैप्टेन बन जाती है तो कोई लेफ्टिनेंट की बीवी है (होती सिर्फ ये बीवियां हैं जिनका अकसर अपना कोई दर्जा नहीं होता ).माँ तो इनमे मुखरित ही नहीं होती है .


बेशक यदा कदा ही सही अच्छे खासे बच्चों पे अपना प्यार उड़ेलने वाले माँ बाप भी अपना आपा खोके बच्चों पे उत्तेजित होकर दहाड़ते हैं .चीखते हैं बे -तहाशा .बच्चा एक दम से सहम जाता है इस अप्रत्याशित व्यवहार (खीझ )का  मतलब भी नहीं समझ पाता.
बतलादें आपको सामाजिक मेलमिलाप उठ बैठ से अपने बच्चों को दूर रखना भी एक किस्म का दुर्व्यवहार ही कहलायेगा .आखिर
 सोशल इंटरेक्शन क्यों नहीं ?क्यों सिर्फ इस पर आपका (माँ बाप )का ही कब्जा रहे .
बेशक यदि बड़ा बच्चा अपने से छोटे को सता रहा है मार पीट कर रहा है और कहना नहीं मान रहा है आपका तो उसे अलग कमरे में छोड़ कर कमरा बाहर से बंद कर दें .अकेले में वह सोचेगा ज़रूर वह कर क्या रहा था और इस अलहदगी को आप भले दुर्व्यवहार भी न माने . 
यकीनन यहाँ किसी केजुअल विजिटर को यह कतई इल्म नहीं होगा कि आपका व्यवहार अपने बच्चों के साथ सच मुच है कैसा .वह अधिकतम यह ही सोच पायेगा शायद वह ही किसी गलत वक्त पे चला आया गलत दिन चुना उसने अपने आने का आपसे मिलने .भले उसे आपकी पेरेंटिंग पे शक भले हो लेकिन वह किसी नतीजे पे पहुँच नहीं पायेगा .
Time.com: How child abuse primes the brain for future mental illness
Psychological abuse can also include what you might call "corrupting a child" — encouraging children to use illicit drugs, for example, or to engage in other illegal activities.
इस अध्ययन के रचेताओं के अनुसार अमरीका और ब्रिटेन के एक सर्वे में शामिल ८-९% पुरुषों और ४%महिलाओं ने यह माना है कि बचपन में उनके साथ ज़मके भावात्मक और मनोवैज्ञानिक  बदसुलूकी हुई है .अमरीका में ही किये कितने ही अन्य सर्वेक्षणों में भी वयस्कों ने यह खुलके तसदीक किया है कि बचपन में उनके साथ रागात्मक सम्वेगात्मक और मनो -वैज्ञानिक दुर्व्यवहार अन्य छेड़छाड़ से कहीं ज्यादा  हुआ है .
इससे इस दुर्व्यवहार की व्याप्ति सहज ही समझी जा सकती है एक आम चलन सा बना हुआ है यह साइक्लोजिकल एब्यूज किड्स के साथ .वाह री पेरेंटिंग .
Because of that, pediatricians must be as sensitive to signs of emotional maltreatment as they are to signals of sexual or physical abuse, the authors say. And while it may be possible in the event of psychological abuse to intervene to improve the child's home life — especially where the root cause is a parent's own mental-health issue — the authors stress:
ज़ाहिर है माहिरों के लिए अब और इसकी अनदेखी करना मुमकिन नहीं रह गया है इस दुर्व्यवहार के छिपे संकेतों ,लक्षणों को उन्हें पहचानना ही होगा साफ़ साफ़ .कई मर्तबा इस दुर्व्यवहार की नव्ज़ और वजह माँ बाप की अपनी ही मानसिक सेहत से जुडी हो सकती है .वह खुद भी मासिक रूप से बीमार हो सकतें हैं .ऐसे में माहिरों का दखल ज़रूरी हो जाता है ताकी नौनिहाल अपने घर में शान्ति से रह सकें .

stress:
Consideration of out-of-home care interventions should not be restricted to cases of physical or sexual abuse; children exposed to psychological maltreatment may also require a level of protection that necessitates removal from the parental home.
इस बहाली से बच्चों को निकालना भी उतना ही ज़रूरी है जितना यौन शोषण और इतर दुर्व्यवहारों से .










 

Belittling kids as harmful as beating, study finds

By Laura Blue, Time.com
updated 2:56 PM EDT, Mon July 30, 2012

STORY HIGHLIGHTS
  • Study: Psychological abuse may be the most common type
  • Specialists are urged to stay alert to the signs of psychological abuse
  • That can include terrorizing, belittling or neglecting a child
(Time.com) -- It may be the most common kind of child abuse — and the most challenging to deal with. But psychological abuse, or emotional abuse, rarely gets the kind of attention that sexual or physical abuse receives.
That's the message of a trio of pediatricians, who write this week in the journal Pediatrics with a clarion call to other family doctors and child specialists: stay alert to the signs of psychological maltreatment. Its effects can be every bit as devastating as those of other abuse.
Psychological maltreatment can include terrorizing, belittling or neglecting a child, the pediatrician authors say.
Time.com: Child abuse pediatricians recommend basic parenting classes to reduce maltreatment and neglect
"We are talking about extremes and the likelihood of harm, or risk of harm, resulting from the kinds of behavior that make a child feel worthless, unloved or unwanted," Harriet MacMillan, one of the three pediatrician authors, told reporters.
What makes this kind maltreatment so challenging for pediatricians and for social services staff, however, is that it's not defined by any one specific event, but rather by the nature of the relationship between caregiver and child. That makes it unusually hard to identify.
Can spanking cause mental illness?
Keeping a child in a constant state of fear is abuse, for example. But even the most loving parent will occasionally lose their cool and yell. Likewise, depriving a child of ordinary social interaction is also abuse, but there's nothing wrong with sending a school-aged boy to stew alone in his room for an hour after he hits a younger sibling.
All of this means that, for an outsider who observes even some dubious parenting practice, it can be hard to tell whether a relationship is actually abusive, or whether you've simply caught a family on a bad day.
Time.com: How child abuse primes the brain for future mental illness
Psychological abuse can also include what you might call "corrupting a child" — encouraging children to use illicit drugs, for example, or to engage in other illegal activities.
In their Pediatrics paper, MacMillan and co-authors say that 8% to 9% of women and 4% of men reported severe psychological abuse in childhood when the question was posed in general-population surveys of the U.S. and Britain.
A number of U.S. surveys have also found that more adults claim they faced psychological maltreatment as kids than claim they experienced any other form of abuse. This suggests that psychological maltreatment may be the most common form of abuse inflicted on kids.
Because of that, pediatricians must be as sensitive to signs of emotional maltreatment as they are to signals of sexual or physical abuse, the authors say. And while it may be possible in the event of psychological abuse to intervene to improve the child's home life — especially where the root cause is a parent's own mental-health issue — the authors stress:
Consideration of out-of-home care interventions should not be restricted to cases of physical or sexual abuse; children exposed to psychological maltreatment may also require a level of protection that necessitates removal from the parental home.
Time.com: Home visits: A powerful weapon against child abuse
This story was originally published on Time.com.
Psychological abuse: More common, as harmful as other child maltreatment

सोमवार, 30 जुलाई 2012

काईराप्रेक्टिक संक्षिप्त इतिहास और वर्तमान स्वरूप

काईराप्रेक्टिक संक्षिप्त इतिहास और वर्तमान स्वरूप 

काईराप्रेक्टिक एक चिकित्सीय प्रणाली है .यह मेडिकल सिस्टम इस बुनियादी अवधारणा पर आधारित  है कि रोगों की जड़ रीढ़ की हड्डी के हिस्सों का परस्पर अपना संरेखण, एलाइन -मेंट खोने का नतीजा है .यह कि बीमारियों की बुनियादी वजह अस्थियों का मिस -एलाइन -मेंट ही है .इस मिस -एलाइन -मेंट के होने पर स्नायु ठीक से काम  नहीं करते ,स्नायुविक  प्रकार्य ,प्रोपर नर्व फंक्शन बाधित हो जाता है .हम कह सकतें हैं -

Chiropractic is a health care profession concerned with daignosis ,treatment & prevention of dis -orders of the neuro -musculo -skeletal system and the effects of these disorders on general health.

जो  व्यक्ति इस चिकित्सा व्यवस्था का माहिर होता है उसे कहा जाता है "काइरोप्रेक्टर ".

अस्थियों का परस्पर आंशिक विस्थापन ,स्थान भ्रंश या स्थान बदल कहलाता है Subluxation कहलाता है .

बेशक इस बे -मेल स्थिति में भी जब अस्थियाँ अपना संरेखण आंशिक तौर पर खो देती हैं इनमे परस्पर कुछ न कुछ संपर्क बना रहता है .

Subluxations interfere with your body's healing ability .

काइरो -प्रेक्टर इनका पुनर तालमेल या समायोजन ,अनुकूलन (adjustment )करता  है  .

काइरोप्रेक्टर ऐसा मानते आयें हैं कि दवाएं सामन्य स्वास्थ्य लाभ (नोर्मल हीलिंग ) को बाधित करती हैं .दवा निर्माता कम्पनियां कभी भी पूरा सच उपभोक्ता तक नहीं पहुंचातीं .दवाओं से मुक्त होना ही श्रेयकर है .

हमारे शरीर में खुद को दुरुस्त करने की कुदरती क्षमता है .

The body is a self healing organism (All healing comes from within .).

आम तौर पर काइरोप्रेक्टिक  चिकित्सा प्रणाली को -

(१)संपूरक या फिर 

(२)वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में ही वर्गीकृत किया जाता है .

(CAM यानी Complementary or Alternative)

प्राथमिक चिकित्सा मुहैया करवाने वाले Primary care providers जैसे गुणी ही होतें हैं काइरोप्रेक्टर फिर भी यह मुक्तावली चिकित्सा(Dentistry) और पाद -चिकित्सा (Podiatry ) की तरह ही एक स्पेशलटी (विशेषज्ञता )का क्षेत्र ही है .

मुख्य अंग क्या है काइरो -प्रेक्टिक चिकित्सा  द्वारा   इलाज़ के 


(१)Manual therapy (चिकित्सा व्यवस्था जिसमें हाथों का इस्तेमाल किया जाता है जो हस्त चालित है ),इसमें रीढ़ का ,इतर जोड़ों का ,तथा सोफ्ट टिशु का समायोजन (adjustment )आता है .

(२)स्वास्थ्य और जीवन शैली से ताल्लुक रखने वाला सलाह मशविरा .

Traditional Chiropractic assumes that a vertebral subluxation interferes with the body's innate intelligence ,a vitalistic notion ridiculed by the scientific communities.

शरीर की अंतरजात (इन बिल्ट )बोध क्षमता की लय को भंग करती है रीढ़ की अस्थियों से सम्बंधित मिस -एलाइन मेंट (vertrebral subluxation ).शरीर  की इस कुदरती  जीवन क्षमता का ,स्वयं चालित दुरुस्ती और ऊर्जस्विता  का अकसर चिकित्सा और विज्ञानियों के कुनबे ने परिहास उड़ाया है .

इस मुद्दे पर कुछ माहिर (काईराप्रेक्टर )छिटक कर अलग भी हो गएँ हैं वह इस जीवंत -ता की धारणा से सहमत नहीं हैं .

किसने आविष्कृत की थी यह चिकित्सा प्रणाली (काइरोप्रेक्टिक )

१८९० के दशक में सबसे पहले डी ./डी पामर साहब ने इसका इस्तेमाल किया .

बीसवीं शती के शुरु में इन्ही के पुत्र  बी .जे .पामर  ने इसका विस्तार किया .

आज दो मुख्य वर्ग हैं इस चिकित्सा व्यवस्था और इसके माहिरों के 

(१) "Straights" अब यह अल्प संख्या में हैं .ये प्रबल समर्थक हैं  कायिक Vitalism के जीवन ऊर्जा के ,Innate intelligence के  .ये रीढ़ की हड्डियों के संरेखण के गड़बड़ा जाने ,मिस -एलाइन हो जाने को ही तमाम रोगों की वजह मानते हैं .

इनकी स्पष्ट राय है :

Vertrebral subluxations is the cause of all disease  

(2)"Mixers" ज्यादा समर्थक अब इस बाद वाले स्कूल के ही हैं .

ये खुले दिल से चिकित्सा की मुख्य धारा के साथ हैं  . 

परम्परा गत चिकित्सा तकनीकों यथा कसरत (व्यायाम ),तेल मालिश ,आइस थिरेपी का भी इस्तेमाल करतें हैं .


कहाँ कहाँ मान्य और प्रतिष्ठित है काइरोप्रेक्टिक ?

अमरीका ,कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में यह चिकित्सा व्यवस्था मान्य एवं सुस्थापित है .चिकित्सा शास्त्र और दंत चिकित्सा के बाद प्रशिक्षित लोगों द्वारा किया जाने वाला यह तीसरा बड़ा पेशा है .

अंशतय :समान  है यह मसाज थिरेपी और ओस्टियो -पैथी के .,फिजिकल थिरेपी के .

अस्थियों और मांसपेशियों को  दबा  या हिलाकर उनके रोगों और विकृतियों की चिकित्सा करने वाले व्यक्ति को आस्टियपैथ या काइरोप्रेक्टर कहा जाता है .

अक्सर कमर के निचले दर्द से आजिज़ आ चुके लोग low back pain के लिए यह चिकित्सा प्रणाली अपनाते हैं .

बेशक यह प्रणाली शुरू से ही विवादास्पद रही आई है .इतिहास गवाह है इसे  मुख्यधारा की चिकित्सा व्यवस्था के विरोध और खिलाफत का सामना करना पडा है .

वजह इसे बनाए रखने वाली  या इसके पक्ष से बारहां दोहराई गई  कुछ छद्म वैज्ञानिक धारणाएं यथा :"subluxation और Innate intelligence इस विरोध की बने  रहें हैं .इसे ठोस वैज्ञानिक ज़मीन मुहैया नहीं करवाई जा सकी .

जहां टीकाकरण से होने वाले फायदों के प्रति चिकित्सा जगत एक राय रहा है वहीँ इस व्यवस्था के माहिरों (काइरोप्रेकटअर्स ) में इस विषय पर मतभेद रहा है .दवा दारु को भी इनमे से कुछेक  लोग हीलिंग को बाधित करने वाली जिंस मानते आयें हैं . 

नतीजा यह हुआ जहां एक ओर टीकाकरण को लेकर पब्लिक में नकारात्मक असर पडा वहीँ मुख्य धारा के चिकित्सकों ने इस प्रणाली को बहिष्कृत किया इसकी स्वीकृति पर अपनी मोहर नहीं लगाईं .

अमरीकी चिकित्सा संघ ने इस प्रणाली को "Unscientific Cult "ही कह दिया .

बेशक 1987 के एक   anti -trust case में अमरीकी मेडिकल अशोशियेशन मुकद्दमा हार गई .

फिलवक्त काइरोप्रेक्टिक पूर्ण विकसित और लोकप्रिय है इसे राजनीतिक आधार (संरक्षण )भी प्राप्त है .लिहाजा सेवाओं में भी इजाफा हुआ है .हर  तीसरे  नुक्कड़  चौराहे पर अब आपको काइरोप्रेक्टिक सेवाओं का बोर्ड   लटका मिल जाएगा .

इसे कहीं बेहतर वैधानिकता और स्वीकृति आज प्राप्त है इसके बहिष्करण का तो अब  सवाल ही नहीं पैदा होता .अब .इसे कहीं  अधिक जगह मिल रही है चिकित्सा योजनाओं में भी ..

The principle of evidence based medicine have been used to review research studies.and generate practice guide lines .

काइरोप्रेकटर इलाज़ से जुड़े अनेक अध्ययन संपन्न कर चुकें हैं .बेशक नतीजे परस्पर विरोधी भी रहें हैं .

Low back pain में असरकारी रही है यह चिकित्सा व्यवस्था .Lumbar disc herniation में भी इसके अच्छे नतीजे आ सकतें हैं .बशर्ते इसके साथ साथ -

  Radiculopathy भी की जाए .
  
  Radiculopathy refers to a set of conditions in which one or more nerves are affected and do not work properly (a neuropathy).

नेक पेन तथा कुछ किस्म के हेडेक में भी इसे असरकारी पाया गया है .extremity joint conditions में भी इसका इस्तेमाल असरकारी रहा है .




रविवार, 29 जुलाई 2012

उम्र के साथ बदल जाता है रोग और चिकित्सा का स्वरूप

उम्र के साथ बदल जाता है रोग और चिकित्सा का स्वरूप 

Changing Times ,Changing Meds 

YOu don't stay the same .Why should your medication?

जैसे -जैसे हम बुढ़ाने लगतें हैं हमारी चिकित्सा का स्वरूप भी बदलने लगता है .पहले अल्पकालिक रोगों(acute illneses ) से पाला पड़ता था यथा acid reflux disease या फिर प्रत्युर्जिता एलर्जिक रियेक्शंस से ,एलर्जीज़  से .और बढती उम्र के साथ अब ला इलाज़ उच्च रक्त चाप और जीवन शैली रोग मधुमेह का प्रबंधन करना पड़ता है .

दूसरे मुद्दे भी महत्व लेते जातें हैं मसलन दवा किस वक्त ली जाए किस चीज़ के साथ ली जाए .इन दवाओं की परस्पर क्रिया -प्रति -क्रिया  का सवाल भी महत्वपूर्ण हो जाता है .अलावा  इसके वह लोग जो दूसरे महायुद्ध के बाद इस दुनिया में आयें हैं वह चिर युवा बने रहने के लिए नए नए नुसखें,खुराक ,कसरत और अनेक सम्पूरण का सहारा ले रहें हैं .

बावजूद इसके -

Today ,age doesn't necessarily equal medication .That's why it's important to get professional advice on what to take as your life changes .

Ages 45 to 55 


   चालीसा पार करते करते अनेक लोग पीड़ा- हर (pain relievers)लेने लगतें हैं Aches and pain से राहत   के लिए .कुछ को नींद न आने की शिकायत होने लगती है .नींद आने में खासी दिक्कत आने लगती है .

अचानक अस्थि  क्षय(ओस्टियोपोरोसिस ) और दिल के रोग तवज्जो मांगने लगतें हैं ,जिन रोगों की  अब तक उपेक्षा होती रही थी अब वह महत्वपूर्ण हो उठतें हैं .

आप को ऐसे कितने ही लोग मिल जायेंगे जो जीवन के इस चरण में भी prescriptions नहीं लेना चाहतें हैं .जबकि  अगर  आप इस चरण में किसी रोग को जल्दी पकड़ लेतें हैं उसकी शिनाख्त हो जाती है रोग निदान हो जाता है तब आप अपने चिकित्सक की सलाह पर चलते हुए जीवन शैली में समुचित बदलाव लाकर बचावी रणनीति बना लेते  हैं .ज़रूरी सम्पूरण(supplements) लेने लगतें हैं .  

हो  सकता  है रोग से पहले रोग की आहट को भांप कर आप अब prescription medications से  भी बचें रहें .

Ages 55 to 65 

इस आयु सौपान में ला -इलाज़ रोगों से घिर जाने के मौके और भी बढ़ जातें हैं .अनिद्रा रोग आम हो सकता  है .अब संक्रमण और बीमारियाँ या फिर कोई चोट ही लग जाए तो उतनी आसानी से ठीक नहीं होती हैं .

इसी उम्र में आदमी एक छटपटाहट के तहत  घडी की सुइयों का रुख पीछे की ओर मोड़ने के लिए फिश आयल से लेकर विटामिनों का सहारा लेने लगता है .

अनेक सम्पूरण आदमी आजमाना चाहता है .कुछ इसने बताये कुछ उसने .यहाँ हर घर में हकीम हैं .अनेकानेक नुसखे  भी बिना सोचे समझे आजमाए जाने लगतें हैं .

बेशक यह बड़ा जोखिम भरा काम है .सेहत से खिलवाड़ है .एक ही चिकित्सक के संपर्क में रहने की उम्र है यह क्यंकि वह आपको और आपके शरीर के मिजाज़ को आपके चिकित्सा पूर्व वृत्तांत को जानने बूझने लगता है .

जब कभी आपने खुद से आगे बढ़के इसके या उसके कहे में आकर दवा बदली है या कोई दवा लेनी ही बंद कर दी है  कृपया अपने चिकित्सक की जानकारी में यह बात लायें . 

अवांछित परिणाम हरेक दवा के होतें हैं उनसे छुटकारा पाने के ,विकल्प के बारे में जानकारी प्राप्त करिए  .करते रहिये समय समय पर .

Ages 65 -plus

यह वह उम्र है जब आप की आय सीमित और तय सी हो जाती है .

Beyond age 65 ,many people are on fixed incomes.

अब दवा की कीमत मायने ज्यादा रखने लगती है .एक ही फार्मेसी से संपर्क रखिए .कितने ही लोग पैसे की तंगी की वजह से ही इस उम्र में दवा लेना  बंद कर देतें  हैं .

यही वक्त है जब आप generic drugs लें.मालूम करें कहाँ -कहाँ हैं आपके इलाके में या आसपास ऐसे ड्रग स्टोर्स .   दो तीन महीने की दवा एक साथ लेके रखें .सीनियर सिटीजन्स को १०% तक दवाओं पे कमीशन कई दवा विक्रेता दे रहें हैं .निस्संकोच पूछें . 

शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

कविता :पूडल ही पूडल

कविता :पूडल ही पूडल 
 डॉ .वागीश  मेहता ,१२ १८ ,शब्दालोक ,गुडगाँव -१२२  ००१ 

          जिधर देखिएगा ,है पूडल ही पूडल ,
          इधर भी है पूडल ,उधर भी है पूडल .

(१)नहीं खेल आसाँ  ,बनाया कंप्यूटर ,

यह सी .डी .में देखो ,नहीं कोई कमतर 

फिर चाहे हो देसी ,या परदेसी पूडल 

यह सोनी का पूडल ,वह गूगल का डूडल .

(२)ये मालिक ,ये नौकर  ,बनें सब हैं सेकुलर ,

ये वोटों का चक्कर ,क्यों बनते हो फच्चर .

हो चाहे मंडल या फिर कमंडल ,

है कुर्सी सलामत ,तो बंडल ही बंडल .


(३)यह कैसी है पिक्चर ,सभी लगते जोकर ,

हो क़ानून कैसा ,ये मजहबी चक्कर ,

अभी शेर -सर्कस ,यूं बोलेगा घुर -घुर,

है झूठों  पे लानत ,बनो तुम भी सच्चर .


(४)सभी खिडकियों पे ,ये बैठे हैं बंदर ,

ये धरती भी इनकी ,ये  इनका है अम्बर ,

अपना है डमरू ,है अपना कलंदर ,

ये सब नाचतें हैं ,इशारों से डरकर .

(५) क्या राजा -रानी ,क्या कोई चाकर 

सभी बांटते  हैं ,अपनों में शक्कर ,

है बाकी तो धूलि ,और धूप धक्कड़ ,

यही राजनीति है ,इंडिया की फ्यूडल.


(६)  नहीं कोई ज़ज्बा ,है गैरत है बाकी ,

     खतरनाक चुप्पी ,ये कैसी उदासी ,

     सरकती है जाती ,ये सरकार उनकी ,

     जो फैलाए फ़न से ,लगतें हैं विषधर ,

  (७)ये डी .एन. ए .कैसा ,ये किसका कबूतर ,

      अगर  हाथ गोली तो ,हाथी से न डर 

     जो खाकी का रूतबा ,उसे हाथ में रख 

     फिर बाबा भी खातें हैं ,बच्चों का नूडल .

    प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई ,४३३०९ ,सिल्वरवुड ड्राइव ,कैंटन (मिशगन )
                ४८ १८८ -१७८१ 
                  

गुरुवार, 26 जुलाई 2012

food myths & facts

खाद्यों से जुड़े मिथ और यथार्थ 



लहसुन की दुर्गंध को,दूर भगाता सौफ
मच्छर भी है भागते,खाते इससे खौफ,,,,,,............dheerendra
पोषक तत्व बचाइये, भूलो सज्जा स्वाद |
चिकनाई शक्कर बढे, बिगड़े भला सलाद |

लहसुन खाने से नहीं, मच्छर भागें पार्थ |
माशूका खिसके मगर, रविकर यही यथार्थ ||
अम्ल अमीनो सोडियम, दिल को रखे दुरुस्त |
पोटेशियम तरबूज से, मिले यार इक मुश्त ||
अम्ल अमीनो सोडियम, दिल को रखे दुरुस्त |
पोटेशियम तरबूज से, मिले यार इक मुश्त ||-----------रविकर फैजाबादी
सोच समझ के खाईए
रहना है तंदरुस्त
वरना जीवन की गति
हो जाएगी सुस्त...।................surenderpal vaidya



food myths & facts


मिथ :लहसुन खाइए मच्छर भगाइए 


यथार्थ :बेशक स्वादु बना देता है लहसुन पास्ता सौस और अन्य खाद्यों यथा गार्लिक ब्रेड को लेकिन मच्छर भगाऊ भी है? न बाबा ना ..महज़ मिथ है ऐसा बूझना .


University of Connecticut  के रिसर्चरों द्वारा की गई शोध इस दावे को जन विश्वास  को गलत सिद्ध करती है कि  लहसुन ज्यादा खाने से मच्छर आपसे दूर छिटकते  हैं .(मच्छरों का छोडिये माशूका ज़रूर खिसक लेगी दुर्गन्ध श्वास से ,इलायची खाइए या सौंफ इससे बचने के लिए चूसिये दालचीनी यानी Cardamom ,clove  यानी लौंग ).




तरबूज खाना पुष्टिकर है 


यथार्थ :हाँ सत्य है यह कथन क्यंकि तरबूज में मौजूद हैं पुष्टिकर तत्व -


सोडियम बहुत कम है ,विटामिन ए  का अच्छा स्रोत है वाटर्मेलन .


पोटाशियम के अलावा प्रति -ओक्सिकारक (एंटी -ओक्सिडेंट )लाईकोपीन  भी यह मुहैया करवाता है .


इसमें मौजूद रहता है   एक स्वास्थ्यकर अमीनो अम्ल (amino acid citrulline).यह अमीनोअम्ल दिल और ब्लड वेसिल्स की सेहत को दुरुस्त रखता है .बढ़िया है आपकी कार्डियो -वैस्कुलर हेल्थ के लिए .




Myth : If it's a salad ,it's healthy




It remains in fact a myth.


Potato salad ,macaroni salad or fruit  salads made with whipped topping are often packed with sugar ,fat and calories -and not much nutrition .Consider them treats to eat sparingly .


Fill your plate with green salad (easy on the dressing,better still without dressings) instead .


सलाद को सजाने में जायका बढाने में ही उसके पोषक तत्व कम हो जातें हैं लद  जाती है वह शक्कर ,,चिकनाई से और हो जाती है केलोरी बहुल ,केलोरीज़ डेंस .


अपनी हरी भरी इंद्र धनुषी प्लेट ही भली परम्परागत हरी मिर्च ,बेल पेपर ,टर्निप  ग्रीन्स (शलजम के पत्तों )के संग ,टमाटर के संग ,नीम्बू लिए साथ ..ग्रेट की हुई गाज़र और  चुकंदर लिए इंद्र धनुषी आभा संग .


Burger toppings can have more calories than the patty.


Fact :A burger patty made from lean ground beef has about 150 calories .But a slice of cheddar cheese (113 calories), a table spoon of mayonnaise (50)  and two slices of bacon (92)  add 255 calories .


Try onions ,fresh tomatoes or salsa.


रविकर जी ,धीरेंद्र्जी,सुरेन्द्र पाल वैद्य जी ,आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया इस पोस्ट को सजाने ,सारगर्भित बनाने के लिए . 



धर्मो रक्षति रक्षिता :


इसका शब्दार्थ भारतीयों को बरसों से मालूम है .फिर दोहरा देतें हैं एक बार  हम , सबकी सुविधा के लिए :


आप धर्म की रक्षा करो ,रक्षित धर्म फिर आपकी रक्षा करेगा .


विधायिका का काम है वह नियम बनाए उसकी रक्षा करे रक्षित क़ानून फिर शेष समाज की राष्ट्र की रक्षा करेगा  .


लेकिन यहाँ तो सरकार खुद ही क़ानून का पालन करना भूल गई है .करवाए कैसे और किस्से करवाए ? 


एक बात और है नियम राष्ट्र का होता है .समूचे राष्ट्र को उसका पालन करना होता है .जाति को देख कर नियम तैयार नहीं किया जाता .न ही जाति  को देख कर उसका पालन करवाया जाता है .


लेकिन भारत राष्ट्र में ऐसा ही होता है .


यहाँ कोई अल्पसंख्यक दिखाई दे गया तो उसके लिए नियम कुछ और होगा ,बहु -संख्यक के लिए और .




यहाँ रामदेव के लिए बाल किशन के लिए नियम कुछ और हैं सोनिया और राहुल के लिए कुछ और शाहबानो के लिए कुछ और .


तेजा सिंह के लिए कुछ और हैं जोज़फ़ के लिए और .


यहाँ एस. यु. वी.(स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल ) रखने वालों की सोच देखिये -


अरे भाई साहब इतनी बड़ी कार है तो ऐसे ही नहीं है फुटपाथ पे कूद के भी चढ़ सकती है .अगर आपके पास घर नहीं है तो आत्महत्या करो फुटपाथ पे क्यों सोते हो .


ये अरबाज़ खान /सलमान खान की कार है कहीं भी चढ़ सकती है इसके लिए आप सामान्य नियम लागू नहीं कर सकते .


एक ही महिला थी इस देश में जो खुद क़ानून का पालन करती थी और औरों से भी करवा लेती थी जिसने इंदिरा गांधी तक की कार उठवा ली थी .

इत्तेफाक से फिलवक्त वह देश की चाहत और आदर्श अन्ना जी के साथ है .


बुद्धि विवेक से शून्य कुछ लोग इस आन्दोलन के खिलाफ भी सरकार का पिछलग्गू बनके लग गए हैं .


एक राष्ट्र पति हुए थे इस देश में देश के उत्तर पूरबी राज्यों से उन्होंने थोक के भाव बांग्ला देशी और पाकिस्तान सोच के लोगों को देश में घुसवाया .बोडो मूल आबादी को दबाया .इन हिदू मूल के वासियों की ज़मीन हथियाई .


अब सरकार इन्हीं बोडो लोगों को मारती है .


आप जानते हैं कामरूप में अर्जुन के जाने का विवाह रचाने का उल्लेख है .कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न का भी यहाँ विवाह हुआ था .महाभारत में कामाख्या मंदिर का बारहा ज़िक्र है .आज यही "बोडो" घाटी के हिन्दुओं की तरह  बिना घरौदों के हैं .दोनों बहुसंख्यक थे अल्पसंख्यक बना दिए गए .ऐसा सिर्फ भारत में ही होता है .सेकुलरिज्म के नाम पे और उसका नाम ले लेके होता है .अपना हक़ मांगते  हैं तो सरकार इनका दमन करती है .


सारा मामला क़ानून  और उसके पालन करने करवाने के ढंग  और मनचाहे तरीके से चुनिन्दा लोगों द्वारा उसे तोड़ने से जुड़ा  है .


क़ानून और उसके पालन और पालना का सारा मामला एक दोगले पन  दोहरे पन  से जिस देश में जुड़ा  हो उसकी हिफाज़त भला कौन कर सकता है ..


यहाँ चेहरा देख के क़ानून लागू होता है .


मेट्रो जैसी वैज्ञानिक  व्यवस्था के विस्तार तक में इस देश में रोड़े अटकाए  गएँ हैं .आपको याद होगा पुरानी  दिल्ली के लाल किले और दरिया गंज के बीच एक सुभाष  पार्क है यहाँ मेट्रो के लिए खुदाई करते वक्त एक सात फुट मोटी  दीवार निकली .कहा गया यह दीवार जामा मस्जिद का हिस्सा है .


बात अल्पसख्यक मुख से निकली थी आप्त ववचन बन गई मेट्रो को अपना रास्ता बदलना पड़ा .


भला हो सुप्रीम कोर्ट का जिसने खुदाई दोबारा शुरू करवाई आदेश पारित करके .


अब मस्जिद किसी जगह का नाम तो है नहीं जहां नमाज़ अता करो वह जगह पाकीज़ा हो जाती है मस्जिद हो जाती है .


अल्पसंख्यक इसी का फायदा उठाकर रीयल -टरों 
के नज़रिए  से  उपयोगी ज़मीन पे जुम्मे की नमाज़ पढके उसे हथियाने की कोशिश करते रहें हैं चाहे इलाका इंदिरा गांधी हवाई अड्डे के आसपास का हो या कहीं और का .या फिर धौला कुआँ -गुडगाँव मार्ग पर कोई सड़क के बीचों बीच का हिस्सा हो .क्या कर लेंगे आप इन नमाजियों का ये मेरे सेकुलर देश के अल्पसंख्यक हैं .


अल्पसंख्यकों को इस देश में कौन रोक सकता है, टोक सकता है .


एक देश है जहां कायदे कानूनों का पालन होता है यहाँ नियम राष्ट्र पति की पत्नी के लिए भो वहीँ हैं शाह रुख खान के लिए भी .यहाँ शाह रुख खान अल्पसंख्यक नहीं है सामान्य विजिटर हैं .


सीखो इस देश से कुछ यहाँ एक मर्तबा ही 11/9 हुआ है .







कभी -कभार


धर्मो रक्षति रक्षिता :


इसका शब्दार्थ भारतीयों को बरसों से मालूम है .फिर दोहरा देतें हैं एक बार  हम , सबकी सुविधा के लिए :


आप धर्म की रक्षा करो ,रक्षित धर्म फिर आपकी रक्षा करेगा .


विधायिका का काम है वह नियम बनाए उसकी रक्षा करे रक्षित क़ानून फिर शेष समाज की राष्ट्र की रक्षा करेगा  .


लेकिन यहाँ तो सरकार खुद ही क़ानून का पालन करना भूल गई है .करवाए कैसे और किस्से करवाए ? 


एक बात और है नियम राष्ट्र का होता है .समूचे राष्ट्र को उसका पालन करना होता है .जाति को देख कर नियम तैयार नहीं किया जाता .न ही जाति  को देख कर उसका पालन करवाया जाता है .


लेकिन भारत राष्ट्र में ऐसा ही होता है .


यहाँ कोई अल्पसंख्यक दिखाई दे गया तो उसके लिए नियम कुछ और होगा ,बहु -संख्यक के लिए और .




यहाँ रामदेव के लिए बाल किशन के लिए नियम कुछ और हैं सोनिया और राहुल के लिए कुछ और शाहबानो के लिए कुछ और .


तेजा सिंह के लिए कुछ और हैं जोज़फ़ के लिए और .


यहाँ एस. यु. वी.(स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल ) रखने वालों की सोच देखिये -


अरे भाई साहब इतनी बड़ी कार है तो ऐसे ही नहीं है फुटपाथ पे कूद के भी चढ़ सकती है .अगर आपके पास घर नहीं है तो आत्महत्या करो फुटपाथ पे क्यों सोते हो .


ये अरबाज़ खान /सलमान खान की कार है कहीं भी चढ़ सकती है इसके लिए आप सामान्य नियम लागू नहीं कर सकते .


एक ही महिला थी इस देश में जो खुद क़ानून का पालन करती थी और औरों से भी करवा लेती थी जिसने इंदिरा गांधी तक की कार उठवा ली थी .

इत्तेफाक से फिलवक्त वह देश की चाहत और आदर्श अन्ना जी के साथ है .


बुद्धि विवेक से शून्य कुछ लोग इस आन्दोलन के खिलाफ भी सरकार का पिछलग्गू बनके लग गए हैं .


एक राष्ट्र पति हुए थे इस देश में देश के उत्तर पूरबी राज्यों से उन्होंने थोक के भाव बांग्ला देशी और पाकिस्तान सोच के लोगों को देश में घुसवाया .बोडो मूल आबादी को दबाया .इन हिदू मूल के वासियों की ज़मीन हथियाई .


अब सरकार इन्हीं बोडो लोगों को मारती है .


आप जानते हैं कामरूप में अर्जुन के जाने का विवाह रचाने का उल्लेख है .कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न का भी यहाँ विवाह हुआ था .महाभारत में कामाख्या मंदिर का बारहा ज़िक्र है .आज यही "बोडो" घाटी के हिन्दुओं की तरह  बिना घरौदों के हैं .दोनों बहुसंख्यक थे अल्पसंख्यक बना दिए गए .ऐसा सिर्फ भारत में ही होता है .सेकुलरिज्म के नाम पे और उसका नाम ले लेके होता है .अपना हक़ मांगते  हैं तो सरकार इनका दमन करती है .


सारा मामला क़ानून  और उसके पालन करने करवाने के ढंग  और मनचाहे तरीके से चुनिन्दा लोगों द्वारा उसे तोड़ने से जुड़ा  है .


क़ानून और उसके पालन और पालना का सारा मामला एक दोगले पन  दोहरे पन  से जिस देश में जुड़ा  हो उसकी हिफाज़त भला कौन कर सकता है ..


यहाँ चेहरा देख के क़ानून लागू होता है .


मेट्रो जैसी वैज्ञानिक  व्यवस्था के विस्तार तक में इस देश में रोड़े अटकाए  गएँ हैं .आपको याद होगा पुरानी  दिल्ली के लाल किले और दरिया गंज के बीच एक सुभाष  पार्क है यहाँ मेट्रो के लिए खुदाई करते वक्त एक सात फुट मोटी  दीवार निकली .कहा गया यह दीवार जामा मस्जिद का हिस्सा है .


बात अल्पसख्यक मुख से निकली थी आप्त ववचन बन गई मेट्रो को अपना रास्ता बदलना पड़ा .


भला हो सुप्रीम कोर्ट का जिसने खुदाई दोबारा शुरू करवाई आदेश पारित करके .


अब मस्जिद किसी जगह का नाम तो है नहीं जहां नमाज़ अता करो वह जगह पाकीज़ा हो जाती है मस्जिद हो जाती है .


अल्पसंख्यक इसी का फायदा उठाकर रीयल -टरों 
के नज़रिए  से  उपयोगी ज़मीन पे जुम्मे की नमाज़ पढके उसे हथियाने की कोशिश करते रहें हैं चाहे इलाका इंदिरा गांधी हवाई अड्डे के आसपास का हो या कहीं और का .या फिर धौला कुआँ -गुडगाँव मार्ग पर कोई सड़क के बीचों बीच का हिस्सा हो .क्या कर लेंगे आप इन नमाजियों का ये मेरे सेकुलर देश के अल्पसंख्यक हैं .


अल्पसंख्यकों को इस देश में कौन रोक सकता है, टोक सकता है .


एक देश है जहां कायदे कानूनों का पालन होता है यहाँ नियम राष्ट्र पति की पत्नी के लिए भो वहीँ हैं शाह रुख खान के लिए भी .यहाँ शाह रुख खान अल्पसंख्यक नहीं है सामान्य विजिटर हैं .


सीखो इस देश से कुछ यहाँ एक मर्तबा ही 11/9 हुआ है .