वर्णसंकरों की जेनेरिक प्रोग्रेमिंग में ही गड़बड़ी है। खानदानी जीवन खण्डों का जिम्मा राहुल बाबा पर नहीं डाला जा सकता। पूर्व में इनके पिताजी ने एक बार अपनी तक़रीर में किसानों की हिमायत में कहा था -हम देखेंगे हमारे यहां गन्ने के कारखाने लगें। फिर किसी जानकार कांग्रेसी ने उन्हें समझाया गन्ना खेत में उगता है। ईख कहते हैं जिसे। अलबत्ता शुगर मिलें ज़रूर होती हैं। रंग राहुल बाबा पर संग का भी चढ़ा है आखिर सोनिया के सपूत हैं ,कुछ तो नया कहेंगे ही।हिंदी जैसी आम ज़बान नहीं सीख सकीं इनकी मातुश्री। ये कुछ भी कह सकते हैं। इन्हें कुछ न कुछ बोलना होता है सो बोल देते हैं। विपक्ष का स्वयं नियुक्त नेता खुद को माने बैठे हैं भैयाजी।
आलू का कारखाना पहला कहाँ लगेगा भैया रायबरेली ,अमेठी या सुल्तानपुर ?
https://www.youtube.com/watch?v=4dpvj1ByKfQ
आलू का कारखाना पहला कहाँ लगेगा भैया रायबरेली ,अमेठी या सुल्तानपुर ?
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