समाजवादी पार्टी की कुनबाई कलह यदि असली है तो यह देश के लिए शुभ है राष्ट्रीय राजनीति का सौभाग्य है जिसने राष्ट्रीय राजनीति को एक कुनबे की राजनीति एक क्षत्रप की राजनीति में समेट दिया। और यदि यह नाटक है और तीन नवम्बर से पहले या तीन नवम्बर तक कोई सुलह सफाई हो भी जाती है तब भी सपा को इसका खमियाज़ा तो भुगतना ही पड़ेगा। अलबत्ता नै पीढ़ी को इससे थोड़ा आश्वस्ति भाव मिल सकता है यदि -
क्षत्रपों की राजनीति युवा राजनीति के प्रतीक अखिलेश के सामने समर्पण कर देती है. तब नै पीढ़ी को एक दिशा ज़रूर मिल जाएगी । कुछ करके गुज़रने का ज़ज़्बा ज़ोर पकड़ सकता है।
जहां तक अखिलेश के खेमे में आज़म खान और मुलायमजी के पाले में अमर सिंह की मौजूदगी की बात है, यह दोनों क्षत्रप आमने सामने ही रह सकते हैं। इनमें कौन किसका शकुनि है आंजना मुश्किल है।
एक प्रतिक्रया हिंदी एडिटपलेटर की ताज़ा पोस्ट पर :
समाजवादी पार्टी की कुनबाई कलह यदि असली है तो यह देश के लिए शुभ है जिसने राष्ट्रीय राजनीति को एक कुनबे की राजनीति एक क्षत्रप की राजनीति में समेट दिया। और यदि यह नाटक है और तीन नवम्बर से पहले या तीन नवम्बर तक कोई सुलह सफाई हो भी जाती है तब भी सपा को इसका खमियाज़ा तो भुगतना ही पड़ेगा। अलबत्ता नै पीढ़ी को इससे थोड़ा आश्वस्ति भाव मिल सकता है यदि -
क्षत्रपों की राजनीति युवा राजनीति के प्रतीक अखिलेश के सामने समर्पण कर देती है. तब नै पीढ़ी को एक दिशा ज़रूर मिल जाएगी । कुछ करके गुज़रने का ज़ज़्बा ज़ोर पकड़ सकता है।
जहां तक अखिलेश के खेमे में आज़म खान और मुलायमजी के पाले में अमर सिंह की मौजूदगी की बात है, यह दोनों क्षत्रप आमने सामने ही रह सकते हैं। इनमें कौन किसका शकुनि है आंजना मुश्किल है।
संजीव जी हर पार्टी की एक उम्र होती है ,सपा की उम्र पूरा हुआ चाहती है उसी के चिन्ह है ये फाल्ट और फिशर। बढ़िया विश्लेषण कुनबाई कलह और फटन का ,महत्वकांशाओं के प्रकट विस्फोट का।
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#राजनीतिक पटल पर #देश के सबसे महत्वपूर्ण राज्य #उत्तरप्रदेश में चुनावों की तैयारी चल रही है तो #समाजवादीपार्टी का संकट गहराता जा रहा है। मुलायम सिंह #यादव और #अखिलेश सिंह यादव के खुलकर आमने-सामने आने के कारण पार्टी एक तरह से टूट के कगार पर पहुंच गई है। इस सारे प्रकरण में कई पहलु और पात्र हैं जिनमें #शिवपाल सिंह यादव, #अमर सिंह, #साधनायादव और #अपर्णा यादव के नाम खुलकर सामने आए हैं। अब सवाल ये है कि इस सियासी#दंगल में अखिलेश #राम बनेंगे या #अभिमन्यु। इस सारे प्रकरण पर हमारे संस्थापक, संपादक संजीव श्रीवास्तव की टिप्पणी।
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