बरसों से ,महाभारत काल और उससे भी बहुत पहले से दिल्ली भारत की राजधानी रही है कभी हस्तिनापुर और कभी इंद्रप्रस्थ कहलाती हुई। आज उसी दिल्ली का केंद्र जेएनयू राष्ट्रविरोधी -लिवर कैंसर से ग्रस्त है। लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आज़ादी का यह अर्थ नहीं है आप लोकतंत्र को ही नष्ट कर दो ,आपको आत्मघात की छूट नहीं दी जा सकती माना की जनेऊ राष्ट्रविरोधी गतिविधियों की प्रयोग भूमि है। पर इसका अर्थ यह नहीं है आप कहें मैं तो अपने घर को ही आग लगाऊंगा ,इससे पहले कि देश को और नुक्सान पहुंचे राष्ट्रविरोधी लिवर कैंसर के इस केंद्र नष्ट करना ज़रूरी है। इलाज़ इसका कुछ हो नहीं सकता। विज्ञान भी लिवर कैंसर से निजात नहीं दिलवा सका है ,यहां तो रोग इसके अंग प्रत्यंग तक पसारा पसारे हुए है।
लखनऊ में मोदी के पुतले का दहन इसी आलोक में देखा जाना चाहिए।
लखनऊ में मोदी के पुतले का दहन इसी आलोक में देखा जाना चाहिए।
1 टिप्पणी:
सहीं कहाँ आपने
एक टिप्पणी भेजें