यदि सलाम करने का यही अर्थ है तो हम इस राष्ट्रीय बुद्धू को सैंकड़ों बार सलाम करते हैं।जिसने अभी कल ही की तो बात है अपनी एक जनसभा में कहा था 'यदि ढाई वर्षों में मोदी ने कोई एक अच्छा काम किया है तो वह उड़ी का बदला लेकर पाकिस्तान पर उलट वार करके किया है। मैं उन्हें सलाम करता हूँ।'
आज वह कह रहा है ये काम तो भारतीय सेना ने किया है मोदी अपना काम करे।इतना ही नहीं राहुल की अगुवाई में बुद्धू दल उस सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहे हैं जिसकी दुनिया भर में सराहना हुई है मय पाकिस्तान के।
यदि १९७१ के युद्ध के बाद किसी ने यह कहा होता कि जनरल मानेकशा ने तो अपना काम कर दिया ,इंदिरा नेहरू अपना काम करें ,तो इंदिरा जी को आत्महत्या करनी पड़ती उनको बाद में अपने ही अंग रक्षकों के हाथों यूं न मरना पड़ता जैसा बाद को उनके साथ हुआ।
इस राहुल को ये मालूम होना चाहिए -प्रजातंत्र में (भारतीय मॉडल )में तमाम शक्तियां संविधानिक प्रमुख प्रधान-मंत्री के हाथ में होतीं हैं ,सेना क्या करे क्या न करे इसका फैसला वह करता है ,और वह वही करता है जो देश के सर्वोच्च हित में होता है। पूर्व में ने इंदिराजी ने और अब मोदी ने वही किया है।
सुब्रामनियम स्वामी ने यूं ही राहुल को(गांधी तो ये है नहीं ) मंद बुद्धि (बुद्धू )नहीं कहा था ,उन्हें मालूम था,ये क्या क्या कह और कर सकता है। कहा जा सकता है आज कांग्रेस को यदि किसी से सबसे ज्यादा खतरा है तो ये माँ -बेटे ही हैं। जिन्होनें लोकसभा में इनकी गिनती को ४४ में समेट दिया है।
यही बुद्धू कल उत्तरप्रदेश की एक सभा में आलू की फैक्ट्री लगाने की बात कर रहा था ,पूर्व में इनके पिताजी गन्ने की फेक्ट्री लगाने की बात कर चुके हैं । इनकी अम्मा इन तमाम सालों में भी इस देश की जुबान नहीं सीख सकी हैं। कुछ खानदानी जीवन खण्डों ,जीन्स में ही गड़बड़ी है इन वर्णसंकरों की।
सैंकड़ों सिब्बल ,मनीष तिवारी ,सलमान खुर्शीद ,मणिशंकर एअर ,सैंकड़ो रणदीप सुरजेवाला आज इस मंद मति के प्रलाप को दोहरा कर देश हित को क्षति पहुंचा रहे हैं। यदि देश हित को नुक्सान पहुंचाना ही सलाम करना है (यद्यपि हम देश का कोई अहित नहीं चाहते )तो हम इस राष्ट्रीय बुद्धू राहुल को बार बार सलाम करते हैं।
आज वह कह रहा है ये काम तो भारतीय सेना ने किया है मोदी अपना काम करे।इतना ही नहीं राहुल की अगुवाई में बुद्धू दल उस सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहे हैं जिसकी दुनिया भर में सराहना हुई है मय पाकिस्तान के।
यदि १९७१ के युद्ध के बाद किसी ने यह कहा होता कि जनरल मानेकशा ने तो अपना काम कर दिया ,इंदिरा नेहरू अपना काम करें ,तो इंदिरा जी को आत्महत्या करनी पड़ती उनको बाद में अपने ही अंग रक्षकों के हाथों यूं न मरना पड़ता जैसा बाद को उनके साथ हुआ।
इस राहुल को ये मालूम होना चाहिए -प्रजातंत्र में (भारतीय मॉडल )में तमाम शक्तियां संविधानिक प्रमुख प्रधान-मंत्री के हाथ में होतीं हैं ,सेना क्या करे क्या न करे इसका फैसला वह करता है ,और वह वही करता है जो देश के सर्वोच्च हित में होता है। पूर्व में ने इंदिराजी ने और अब मोदी ने वही किया है।
सुब्रामनियम स्वामी ने यूं ही राहुल को(गांधी तो ये है नहीं ) मंद बुद्धि (बुद्धू )नहीं कहा था ,उन्हें मालूम था,ये क्या क्या कह और कर सकता है। कहा जा सकता है आज कांग्रेस को यदि किसी से सबसे ज्यादा खतरा है तो ये माँ -बेटे ही हैं। जिन्होनें लोकसभा में इनकी गिनती को ४४ में समेट दिया है।
यही बुद्धू कल उत्तरप्रदेश की एक सभा में आलू की फैक्ट्री लगाने की बात कर रहा था ,पूर्व में इनके पिताजी गन्ने की फेक्ट्री लगाने की बात कर चुके हैं । इनकी अम्मा इन तमाम सालों में भी इस देश की जुबान नहीं सीख सकी हैं। कुछ खानदानी जीवन खण्डों ,जीन्स में ही गड़बड़ी है इन वर्णसंकरों की।
सैंकड़ों सिब्बल ,मनीष तिवारी ,सलमान खुर्शीद ,मणिशंकर एअर ,सैंकड़ो रणदीप सुरजेवाला आज इस मंद मति के प्रलाप को दोहरा कर देश हित को क्षति पहुंचा रहे हैं। यदि देश हित को नुक्सान पहुंचाना ही सलाम करना है (यद्यपि हम देश का कोई अहित नहीं चाहते )तो हम इस राष्ट्रीय बुद्धू राहुल को बार बार सलाम करते हैं।
1 टिप्पणी:
अब इस मंद बुद्धि से और क्या expected है ...
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