मारक सिद्ध हो रही है यह 'डेस्क टॉप डाईट '
THE DESK TOP DIET /DO YOUR EATING HABITS GO AWRY WHEN YOU ARE AT YOUR WORKPLACE ?SET THINGS RIGHT (Divashri.Sinha@timesgroup.com/MUMBAI MIRROR ,JANUARY4,2012.
बैठे - बैठे डेस्क टॉप में एक साथ कितने ही कामों को दिन भर में अंजाम देती युवा प्रोफेशनल्स की यह युवा भीड़ खाना पकाने और सेहत के मुफीद खाने -पीने का अपने तैं वक्त नहीं निकाल पा रही है .यही वजह है इनके ऑफिस की दराजें जंक फ़ूड से भरी रहतीं हैं .संशाधित पैकेज्ड फ़ूड ,तुरता पकने को तैयार सामिग्री से पटी रहतीं हैं .परम्परा गत घर का पेग लंच नदारद है इनके खान पान से .
दिक्कत यह है यह तुरता बासा भोजन (easy -to -cook meals)जो चिकनाई (जमने वाली चिकनाई सेच्युरेतिद फेट्स ,ट्रांसफेट्स)नमक और शक्कर से लदा रहता है मोटापे ,ओबेसिटी ,मधुमेह (जीवन शैली सेकेंडरी डायबितीज़ ),दिल और दिमाग के दौरों (heart and brain attacks ),दिल और दिमाग की अन्य बीमारियों को बढा रहा है .
कोई वजह नहीं है हम अपने बिगड़े हुए खान पान में थोड़ी सी भी रद्दो बदल न कर सकें .जहां चाह वहां राह .
चलिए उलट पुलट हो चुके खान पान में हो क्या क्या रहा है इस पर तवज्जो देके देखें -
COMPULSIVE SNACKING:
चिप्स हों या कचरी(Chakna),खाकरा (khakras) या फिर हो बिस्किट्स दफ्तर में डेस्क पर काम करते करते टूंगने की एक आदत सी हो गई है सभी को दमखम बनाए रखने के नाम पर .बस बैठे ठाले इस परिवेश में शरीर को बिला वजह हम भण्डार ग्रह बनाए जा रहें हैं चर्बी का .(लम्बी उड़ान भरने से पहले प्रवासी पक्षी जमा करतें हैं फेट्स ,हम बिला वजह बैठे बैठे एक सनक में यह सब किए जा रहें हैं बस यही है ओबसेशन ,कम्पल्सिव ईटिंग ).
हमें जरा भी इल्म नहीं है इस बासा नाश्ते जलपान में ,snacks में नमक हमारी दिन भर की ज़रूरीयात से भी कहाँ ज्यादा भरा हुआ है जो इस कि भंडारण अवधि बनाए रखने के लिए ज़रूरी तौर पर डाला गया है .हाईपरटेंशन (उच्च रक्त चाप ,हाई ब्लड प्रेशर )और वाटर रिटेंशन (जल अवरोधन ,जल -प्रति -धारण )की यही वजह बन रहा है .
समाधान क्या है इसका ?
छोटे पेकिट्स खरीदिये चिप्स के ,स्नेक्स के ,ध्यान रहे दिन भर में पांच बार से ज्यादा आप कुछ भी न खाएं .
TOO MUCH TEA OR COFFEE:
हर दो घंटे बाद आपको काम के दरमियान चाय कोफी चाहिए .दिवसांत में यही लत आपको बे -चैन ,चिंतित ,चिडचिडा ,शरीर में पानी की कमी से जूझते हुए छोड़ जाती है रातों की नींद उड़ा ले जाती है .कुछ लोग चाय या कोफी का सेवन खाने के साथ करते देखे जा सकतें हैं .ऐसे में शरीर द्वारा लौह तत्वों की ज़ज्बी तकरीबन तकरीबन नामुमकिन सी ही हो जाती है .(वैसे ही शाकाहारी खुराक में रोटीआदि में मौजूद प्रोटीन लोहे की ज़ज्बी को मुश्किल बनाए रहतीं हैं . )रही सही कसर चाय कोफी पूरी कर देतीं हैं .ऐसे में पुष्टिकर तत्वों का बहिष्करण हमारा शरीर अपशिष्ट समझके कर देता है .
समाधान क्या है इस से उबरने का ?
है समाधान .कभी कभार ग्रीन टी भी लीजिए कभी गुनगुना नीम्बू पानी भी .आधा प्याला एक बार में लीजिए चाय कोफी का .कभी ताज़ा जूस भी ट्राई कीजिए .ग्रीन टी में न चीनी होगी न दूध .अलग अलग स्वादों में उपलब्ध है ग्रीन टी .
NOT DRINKING ENOUGH WATER :
वातानुकूलित कक्षों में काम करते हुए पसीना नहीं आता है इसका मतलब यह नहीं है कि शरीर को पानी नहीं चाहिए .निरजलीकरण हो रहा है यहाँ .बॉडी आपकी डीहाईड्रेट हो रही है .लेकिन आपको इसका इल्म नहीं है न पानी पीने की आदत है .आपका शरीर भी कम पानी का अभ्यस्त हो चला है .धीरे धीरे इस कुचक्र से बाहर आएं .घर से पानी की बोतल साथ लाएं .वापस लौटने से पहले खत्म होनी चाहिए .भले शुरू में वाश रूम का स्तेमाल ज्यादा करना पड़े .कुछेक दिन में इसका भी अनुकूलन हो जाएगा .
कम पानी पीने का मतलब है कब्जी (Constipation ),अपच (indigestion ),गैस का बनना ,निरजलीकरण ,चमड़ी का कान्ति हीन होना और increased hunger pangs.है .
HEAVY MEALS:
देर रात गए खाने का मतलब है आपका शरीर थक चुका है उसे खाने से ज्यादा आराम की ज़रुरत है .देर रात गए लार्ज मील्स का मतलब है कार्बोहाईड्रेट रिच फ़ूड .जिसे शरीर जमा कर लेता है बतौर चर्बी खर्च नहीं कर पाता .खुराक में अतिरिक्त केलोरीज़ तो जा ही रहीं हैं .
समाधान है :
तरकारियाँ और लीन प्रोटीन चाहिए रात के भोजन में .ख़ास कर देर रात सोने से पहले के मील्स में जिसके हम अभ्यस्त हो चले हैं .तरकारियों में मौजूद खाद्य रेशे तथा लीन प्रोटीन एक तरफ भरपेट किए गए भोजन का एहसास दिलातें हैं दूसरी तरफ कुल केलोरीज़ में कटौती भी करतें हैं.बतलादें आपको दालें और तरकारियाँ ही देर रात गए लेना काफी रहता है चावल और रोटी हम आदतन लेतें हैं ज़रुरत नहीं रहती है इनकी .
WEEKEND BINGING:
सप्ताह में ५-६ दिन संयमित भोजन के बाद सप्ताह अंत में खुद को दावत देना खुलके कुछ भी खाने पीने की अपनी पूरी दैनिकी के साथ ज्यादती करना है छेड़छाड़ करना है .और भी तरीके हैं खुद को दावत देने के -एक अच्छी मालिश कराइए तन बदन की ,एक अच्छी किताब पढ़िए ,बढ़िया फिल्म देखिये ,मन पसंद कुछ और कीजिए .ट्रेकिंग कीजिए .सप्ताहांत से हटके भी ऐसा कीजिए .
DRINKING ALCOHOL ON AN EMPTY STOMACH:
,खाली पेट ली गई शराब सीधे सीधे फेट में बदल जाती है .इसीलिए एम्प्टी केलोरीज़ में गिनी जाती है .साथ में जलपान टूंगना केलोरीज़ की भरमार करदेता है शरीर में .ऐसे में इंसुलिन का स्तर शरीर में सहज ही बढ़ जाता है . साथ ही ब्लड ग्लूकोज़ का स्तर गिर जाता है .इसीलिए भूख बेतहाशा बढ़ जाती है .नतीजन आप जो भी सामने आता है उसे चट कर जातें हैं ऐसी चीज़ों के लिए भी ललचाने लगतें हैं जिसकी आपको ज़रुरत नहीं है .
समाधान क्या है इस स्थिति से बचाव का ?
ड्रिंक्स का मूड बनाने से पहले कुछ हल्का फुल्का सुपाच्य खा लीजिए .सलाद और सैन्विच भी बुरा नहीं है .अगर कुछ भी नहीं है तो एक ग्लास दूध भी चलेगा ,या फिर एक कटोरी दही भी .यदि दूध से आप छितकतें हैं तो .सबसे उत्तम हैं प्रोटीन .प्रोटीन एल्कोहल की ज़ज्बी की दर को घटा देतें हैं .आगे आपकी मर्जी .
बुधवार, 4 जनवरी 2012
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8 टिप्पणियां:
शुक्रवार भी आइये, रविकर चर्चाकार |
सुन्दर प्रस्तुति पाइए, बार-बार आभार ||
charchamanch.blogspot.com
बढ़िया पोस्ट। अनुकरणीय जानकारी।
वीरू भाई राम-राम !
बहुत बढ़िया जानकारियां दे रहें है आप !
आभार आपका !
आपकी पोस्ट का कुछ भाग मैंने अपने पुत्र व उसके मित्रों को भेजा है, जो बैगलोर में रहते हैं. बहुत उपयोगी पोस्ट!
आपकी जानकारी हमेशा उपयोगी होती है ... बहुत बहुत आभार ...
नए साल की बहुत बहुत शुभकामनाएँ ..
ज़रूरी बातें .
युवा पीढ़ी को विशेषकर ध्यान देना चाहिए .
इन सबसे बचना हो।
काशः,नई पीढी इस जानकारी का थोडा भी लाभ उठा सके.विस्तृत जानकारी के लिये सादर धन्यवाद.
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